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Showing posts from 2024

सर्वोच्च न्यायालय में Computer तथा Electronics प्रौद्योगिकी संबंधित विषयों पर मूढ़ता पर एक विचार

बात 1993 की है, जब हम नौवि क्लास में थे । Computer विषय की अध्यापिका, श्रीमती अनुजा अग्रवाल मैडम हम लोगों को तत्कालीन सुप्रचलित Programming Language, GW—Basic, में RND नामक Statement पर लेक्चर देते हुए बता रही थी की Random Numbers क्या होते हैं, और कैसे computers के उपयोग को Casino, Computer Games जैसे कि Wheel of Fortune, Roulette, Poker Games के लिए मार्ग खोल देते हैं। हम छात्र लोगो का सवाल जाहिर सा उठा टीचर से — कि, क्या Computers पर आधारित Gambling Machines पर भरोसा किया जा सकता है ? क्या इन machines के भीतर के computers पर कोई दूसरी program लिख करके अपने इच्छा अनुसार वाले random numbers नही generate करवा सकता है कोई , जैसे कि casino का मालिक खुद ही । अनुजा मैडम का जवाब धमाकेदार था, और आजतक याद है — कि, हां ऐसा किया जा सकता है । वास्तव में computer और electronics प्रौद्योगिकी कि इंसानों द्वारा बनाई गई कृतिम दुनिया में कुछ भी uncontrolleable नहीं होता है। सिर्फ आसमान में चमके और गिरने वाली बिजली ही सच्चे मायनों में संसार में वाकई में Random होती है, जिसकी भविष्यवाणी नही करी जा स

Making assumptions is an essential and inevitably evil tool for life to survive and thrive

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  Axxxxxx :   Having an opinion about a government official just basis a fwd msg is incorrect. Assumption should not be made on the basis of scanty information.  Hopefully DGS investigation report about this incident is made public for all of us to know the truth and what mitigation measures have been taken by them to prevent this in future Even the UKHO and the Mariner's Handbook doesn't want the Mariners to place as much reliance on the information that they supply, as much as you want us to depend of the DGS investigation report ! 🤦‍♂            Also,  The lines reasds "Assumption shall not be made on ..." So, don't read it like , "Assumptions are not allowed to be made ..."  🤨 Open you mind , Making assumptions is an essential and inevitably evil tool for life to survive and thrive.             In the wild, all animals immediately run for their life the moment the birds sitting in the top the                   trees    start cawing . That assumptio

Which class of people can be aptly called as "Cattle" ?

"People from U.P, Bihar side are cattle , and I am a Jatt ." ~ common psychology of masses A cattle ,more honestly speaking, is the one who doesn't have control over his mind , his thoughts, his words and his actions. The one who acts out of a compulsive behaviour is truely worth being labelled a cattle. Someone who is driven by opinions conposed by someone else,, sees others  from an imagery drawn by someone else, he is in real sense a cattle .  The one who cannot overcome the sweeping perception of his mind to uncontrollably see every other person as belonging to a certain malevolent category , such a person genuinely is the one who deserves to labelled as " a cattle" .

आधुनिक Competetive Examination System की दुविधा

आधुनिक शिक्षा तंत्र की अजीब दुविधा हैं। Competetive exams के संबद्ध में — यहां कमाना ये करी गई होती है कि छात्र को विषय के बारे में कुछ गहराई से ज्ञान होना चाहिए। मगर, साथ में समय बद्ध भी कर दिया जाता है। यानी, गहरा जानने- जानने के चक्कर में गहराई में कतई उतरे का जोखिम नहीं लेना है, अन्यथा भटक जायेंगे और समय रेखा पर मात खा जायेंगे ! विषय में गहराई से जानने का अर्थ होता है उसके दर्शन को पकड़ना।! मगर, competetive exams system तंत्र चाहता है कि आप philosophy पढ़ने में बिना समय जाया किए,  बिना philosophy पढ़े ही उसे गहराई से जान ले !! अधिकांश छात्र यहां पर मात खा रहे होते हैं। गहरे से समझने की मजबूरी उनको ऐसे ऐसे स्थानों पर गहराई में ले जाती हैं, जहां वह philosophy को ही सुनने से मंत्रमुग्ध हो कर भटकने लग जाते हैं ! और समय रेखा पर मात खा बैठते हैं ! अब, विशेष समस्या जो सामने आ निकल कर आ रही है, क्या आपने उसे बूझ कर उसका निराकरण समझ लिया है ? ये कि, बिना philosophy पढ़े ही गहराई से ज्ञान कैसा अर्जित किया जा सकता है ? इसका केवल एक ही समाधान है -- कि कोई गुरु पहले से ही मा

What woman want ...& ...what everybody wants

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The Charvaks philosophy 

Spiritual (या Thought Leader) क्या होता है, क्यों चाहिए होता है, और क्या दिक्कत होती है उसके चयन में

Spiritual Leader एक thought leader होता है, जिसकी समझ ज्यादा परिपक्व होती है। क्या मतलब हुआ परिपक्व का? परिपक्व मतलब mature का? वो जो कि घटनाओं को व्यापकता से देखें और बूझे, समय रेखा पर भी और भूगौलिक स्थानों पर भी। वो व्यक्ति जो इंसानों को न केवल उनके नाम, जाति या धर्म से चिन्हित करता हो, बल्कि वो जो कि इंसानों को उनके चरित्र, प्रकृति, बौद्ध, तर्क, चिंतन शैली जैसे तरल पैमानों से भी सटीकता से पहचान कर सके और अनुमान बांध सके कि किसकी क्या प्रतिक्रिया, क्या आने वाला व्यवहार हो सकता है। ये होता है spiritual लीडर। Thought leader भी अक्सर वही होता है, क्योंकि वह समुदाय को उनके विचारो की दिशा देता है। कि किस प्रयोजन में सभी सदस्यों को मिलजुल कर, एक साथ युग्न करना चाहिए। सभी स्वस्थ मस्तिष्क वाले इंसानों को एक spiritual / thought leader की अपने जीवन में कमी का बोध होता है । सभी इंसान ढूंढ रहे होते हैं अपने लिए एक गुरु को, जो कि उन्हें संसार से अवगत करवाता रहे, क्योंकि संसार में कदम कदम पर रहस्य, अज्ञानता, खतरा, धोखे,असुरक्षा, होती है। आवश्यक नही कि जन्म देने वाला पिता, (या माता, या दो

Spiritual Leader या Thought Leader कौन होता है?

Spiritual Leader एक thought leader होता है, जिसकी समझ ज्यादा परिपक्व होती है। क्या मतलब हुआ परिपक्व का? परिपक्व मतलब mature का? वो को कि घटनाओं को व्यापकता से देखें और बूझे, समय रेखा पर भी और भूगौलिक स्थानों पर भी। वो व्यक्ति जो इंसानों को न केवल उनके नाम, जाति या धर्म से चिन्हित करता हो, बल्कि वो जो कि इंसानों को उनके चरित्र, प्रकृति, बौद्ध, तर्क, चिंतन शैली जैसे तरल पैमानों से भी सटीकता से पहचान कर सके और अनुमान बांध सके कि किसकी क्या प्रतिक्रिया, क्या आने वाला व्यवहार हो सकता है। ये होता है sporitual लीडर। Thought leader भी अक्सर वही होता है, क्योंकि वह समुदाय को उनके विचारो की दिशा देता है। कि किस प्रयोजन में सभी सदस्यों को मिलजुल कर, एक साथ युग्न करना चाहिए।

अगर बढ़ा अधिकारी बनना हैं तो Cheating करना छोड़ दो

12th Fail में एक दृश्य है, जब dySP साहब, दुष्यंत सिंघ (Priyanshu), मनोज को बताते हैं कि एक बड़ा पुलिस अधिकारी बनने के लिए cheating करना छोड़ना होता है। "Cheating करना छोड़ना"  क्या मतलब हुआ इसका?  क्या सिर्फ exams में फर्रे बना कर पास कर लेना छोड़ देने भर की बात थी? गहरा अर्थ कुछ भी नहीं था? कि सिर्फ इतना कर लेने भर से UPSC का कठिन interview पास हो जाता ? लोगो के सवालों का उचित, संतुलित, संतोषजनक जवाब देने की कला आ जाती ? Interview कहीं भी हो, उद्देश्य सवाल जवाब या Kaun Banega Crorepati के GK Quiz जैसा नही रह जाता है।interwiewer के सवाल व्यक्तिनिष्ठ होते हैं, एक सवाल का जवाब दूसरे सवाल को जन्म देता रहता है, बातचीत का समां बंधने लगता है, जो कि आगे केवल तब ही बढ़ता है जब सामने वाला जवाब कुछ संतोषजनक सा देता सुनाई पड़ता है, मगर हर बार कुछ थोड़ी सी कमी रह जाती है interviewer के मन में और उसे पूरा करने के लिए वह दूसरा कोई सवाल पूछ लेता है। ये सिलसिला होता है interview में।  तो इसने cheating छोड़ देने का क्या लाभ मिल जाता है, एक संतोषजनक जवाब देने में? बात personal honesty में एक ख

Nationalism is important, but .....

.....But sometimes I think that, Trying to undo the existing system which has emerged from the historical facts of its own,  Will lead to severe situation of wars and conflicts all over the world  Imagine, When every other nation will start to give a call for nationalism to its citizens, Resulting in a bloated sense of nationalistic ego of all these nations coming in a conflict with each other, just to prove its point and the superiority , It will so happen that nationalism will lead to great distructiion in the world which is already laden with nuclear weapons. The Wikipedia, under the page about the Narcissism discusses about a variant of the malice,, called as the Nationalistic Narcissism,  wherein the psychopathic patient starts to get his pleasure trip by boasting about the glories and achievements of his nation, the "ego trips" To an untrained eye, such a patient may only look innocuous and a simple patriot, displaying his love for his beloved motherland , Until the tim

EVMs के प्रति बढ़ते जन अविश्वास के प्रभाव

Sam pitrodha, जो कि overseas Congress के अध्यक्ष हैं, वे भी अभी हाल ही में चुनाव आयोग से EVM के प्रति बढ़ते हुए जन अविश्वास पर पत्राचार कर चुके हैं। जितना जितना जन अविश्वास बढ़ेगा, उतना ही ये बात बैठने लगेगी कि अब भारत में level playing field नहीं बचा है। छत्तीसगढ़ में  कांग्रेस नेता धीरज साहू के घर income tax और ED की रेड में करीब ३००करोड़ नकदी पकड़े जाने के बाद पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का व्यक्तव्य कि electoral bonds के चलते ये तो जाहिर हो गया है कि सत्ताधारी पक्ष cheque में पैसा चलाएगा और विपक्ष का रोकड़ा ED से पकड़वाएगा, ये वापस level playing field की बढ़ती कमी की ओर प्रकाश डाल रहा है। ऐसे हालातों में अब कई सारे लोगों का देश से मोहभंग होना जाहिर होने लगता है। दक्षिण भारत से भाजपा करीबन पूरी तरह साफ़ हो गई है, जो वापस इशारा दे रहा है कि मोह भंग बढ़ रहा है, level playing field के प्रति लोग चिंतित होने लगे हैं। अमेरिका और कैनाड में केंद्र सरकार की जासूसी कार्यवाही में खालिस्तान समर्थक नेताओं की हत्या, जिन्हे कि वे दोनों देश महज अपना आम नागरिक मानते हैं, मामले का पकड़े जान

छोटे बालकों को किस्से और कहानियां सुनाने के महत्व के बारे में

एक बड़ी चुनौती ये रहती है कि बच्चों को चेतनावान या विवेकशील कैसे बनाया जाए । इस विषय पर बात करते हुए, सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि 'ज्ञानवान' अलग होता है और 'चेतनावान' (या विवेकशील) अलग । ज्ञान तो किताबो से मिल जाता है मगर चेतना को अपने अंदर से निकलना होता है। चेतना दिमाग की वह क्रिया होती है जिसके माध्यम से इंसान निर्णय लेता है कि असली और नकली ज्ञान को कैसे भेद किया जाए; कौन सा ज्ञान कब और कहां सार्थक है और कहां निरर्थक है; नया ज्ञान कब और कहां प्रस्तुत कर रहा है और वह क्या है; किस व्यक्ति से क्या ज्ञान सांझा करना चाहिए और कब मूक रह जाना उचित होता है। ये सब बातें बच्चों को ज्ञान बना कर प्रसारित नहीं करी जा सकती है। ये सब conceptual है, यानी अपने विवेक से प्रत्येक बालक को तय करना सीखना होता है। और यहां हमें विवेक और ज्ञान के मध्य का अंतर दिखाई पड़ जाता है। जरूरी नहीं कि जो बालक (या व्यक्ति) ज्ञानवान हो, वह विवेकशील भी हो। विवेक के माध्यम से इंसान खुद के निर्णय लेना सीखता है, जबकि ज्ञान के माध्यम से केवल सवालों के जवाब देना सीखता है। मानव मस्तिष्क नैसर्ग