राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ की आलोचना
राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ और बाकी हिन्दुत्ववादी संघटनो की सर्वप्रथम ख़राब आदत है पश्चिम में हुए वैज्ञानिक सिद्धांतों और खोजों को नक़ल करके उन्हें प्राचीन वैदिक ज्ञान जताना। आर्यभट्ट और रामानुजम प्राचीन भारत के अपने समय और युग के अग्रिम गणितज्ञ थे। संघ और हिंदुत्व वादियीं ने इनके नाम पर इनके वास्तविक योगदान से कही अधिक श्रेय दे दिया है। प्य्थोगोरस थ्योरम और यहाँ तक कि कैलकुलस (सूक्षम संख्याओं की गणित, वास्तविक खोज न्यूटन द्वारा) को भी मूल उत्पत्ति भारत की ही बता डाला है। शून्य की खोज भारत में हुयी मगर संघियों ने इस खोज को ऐसा गुणगान किया की बस मानो बाकी सब खोज का ज्ञान आरम्भ-अंत यही था। धरती के गोलाकार और सूर्य की परिक्रमा करने की ज्ञानी खोज कॉपरनिकस द्वारा ही हुई थी। मगर संघ के लोगों ने कुछ 'अस्पष्ट सूचकों' को "स्पष्ट प्रमाण" समझ कर इस अधभुत खोज को प्राचीन वैदिक ज्ञान जता रखा है। मेरे व्यक्तिगत दर्शन में भारत की भौगोलिक स्थिति में ही कुछ वह खगोलीय घटनाएं नहीं है जिनसे यहाँ के मानस प्रेरित हो पाते यह विचार करने के लिए की धरती गोलाकार है और सूर्य की परिक्रमा करत