अभद्र बोल वाले भोजपुरी गीत -- क्या भाषा जनित भेदभाव का मुद्दा है , या की यह नज़ाकत और नफासत की कमियां है ?
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सुशांत सिंह राजपूत विषय में से एक और सामाजिक तथा क्षेत्रीय संस्कृति विषय सामने निकल कर बाहर आया है। The Print समाचार पत्रिका के लिये कार्य करने वाली पत्रकार सुश्री ज्योति यादव जी ने संदिग्ध रिया चक्रवर्ती के लिये प्रयोग किये गये आपत्तिजनक शब्दों का मुआयना किया और अपनी तफ़्तीश का कोण यह रखा है कि आखिर क्यों सुशांत तथा उनके परिजनों में मधुर संबंध नहीं थे । रिया चक्रवर्ती के लिए प्रयोग किये गये आपत्तिजनक शब्द अधिकतर सुशांत के fans और भोजपुरी-भाषी समर्थक पक्ष से आये हैं, जिनमे रिया पर काला जादू , बंगालन जादूगरनी इत्यादि जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया गया है । पत्रकार सुश्री ज्योति यादव जी (मूलनिवास हरियाणा) का लेख प्रत्यक्ष तौर पर रिया के बचाव में तो नही हैं, हालांकि यह सुशांत के परिजनों के सम्बंधो को कुछ सामाजिक और क्षेत्रीय चलन के आधार पर मुआयना करता है, कि कहीं सुशांत , उनके पिता और अन्य परिजनों में मधुर सम्बद्ध नही होने का कारण "वही पुराना" मानसिकता का कारण तो नही है जो कि उत्तर भारतीय परिवारों -- विशेषतौर पर बिहारी परिवारों में - देखने को मिलता है - एक आदर्श पुत्र श्रवण कुमा