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Showing posts from November, 2018

कौन है भारत के leftist जिन पर इतिहास के पाठ्यक्रम को मरोड़ने का आरोप लगता है

भारत मे अक्सर हिंदुत्ववादी भक्त दल यह आरोप लगाते रहते हैं कि इतिहास को leftist मार्क्सवादी विचारधारा के लोगो ने लिखा है, इस तरह से मरोड़ कर की इतिहास की स्कूली पाठ्यक्रम में उनके पक्ष के साथ ज्यादती करते हुए सही से प्रस्तुत नहीं किया गया है। एक मनोरंजक बात यह भी है कि ठीक ऐसा एक आरोप खुद भक्त हिंदुत्ववादी लोगों पर भी लगता है, दलित-पिछड़ा अम्बेडकरवादी लोगों के हाथों की भारत के धर्म शास्त्र से लेकर जंग-ए-आज़ादी तक इतिहास के स्कूली पाठ्यक्रम मे उनके लोगो पर हुए शोषण और उनके योगदान की वीरगाथाओं को ठीक से प्रस्तुत नही किया गया है। इधर इतिहास के स्कूली पाठ्यक्रम विषय के बारे भक्तबुद्धि चेतन भगत ने तो एक टिप्पणी यह करि हुई है कि यह व्यर्थ का विषय है जिसका आधुनिक समाज की तुरंत आवश्यकताओं को पूरित करने में कोई महत्व और उपयोग नही होता है।  इस विषय का उपभोग बस राजनीति की रोटी सेकने के लिए ही होता है लोगो के दिमाग मे एकतरफा इतिहासिक दृष्टिकोण को भर कर उनको वोटबैंक में तब्दील करके। बरहाल एक सवाल यह है कि कौन हैं यह leftist मार्क्सवादी लोग जिनको क्ष्रेय भी दिया जाता हमारे देश का इतिहास पाठ्यक्रम लिख

Why does history take side with the winners of the war ?

आजकल जो  लोग यह शिकायत करते घूम रहे हैं कि इतिहास को leftist ने मरोड़ कर लिखा है और स्कूल शिक्षा में भारत के इतिहास पाठ्यक्रम में सिर्फ एकतरफा पक्ष के नज़रिए को ऊंचा करके दर्ज किया है यह वही लोग है जिनको बच्चों पर वैसे भी स्कूली पाठ्यक्रम के load का अतापता नही है। यह लोग खुद अनपढ़, philister लोग है और बेवजह मासूम पढ़ने वाले बच्चों पर फिजूल के छिट्टपुट्ट जानकारियों को रटते रहने का load देना है। ---_-----_------_------__------- * Question * : Why do we know more about the intruders than our own warriors or kings. Answer Because those great warriors or kings or the architect kings  could not prove to be victorious as their architecture monuments could not give to the society people with enough powerful skills that could help the king win the wars. So eventually the academics of History , which is always under pressure to trim down the contents to the "necessary" short lines , automatically takes favour with those historical figures who ruled over the society , as it is the

Indian dystopia : An outcome of the flawed wisdom of the Constitution makers and the subsequent courts

A more elucidating analogy to explain what our country and our Supreme Court has been doing by making the helmet-wearing compulsory, is a situation in the proverbial "andher nagari" (Dystopia), where the Government authorities make compulsory the carriage of Quinine tablets when the country is plagued by Malaria diseases, instead of setting out to cleanup the streets and the colonies. The Government authorities , since they have the power to write the rule books for the citizen, while also having a duty to do the routine clean-up, would never write a Law which may make compulsory on themselves to do some action , without doing which they may have to pay a fine. In the case of growing problem of criminalty in the Political space, the courts of this country continue to walk on their familiar line of idiocy . They see the problem as that of the citizen and the community , instead of the Political -administrative system 's own failure to ensure a Political neturality wit

Distinguishing between Business, Profession and Service

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Ordinarily we all depend on English dictionary, from where we acquire a knowledge that  Profession  and  Service  mean one and the same thing. But in deeper academics, there is a distinguishing between these.