कौन है भारत के leftist जिन पर इतिहास के पाठ्यक्रम को मरोड़ने का आरोप लगता है
भारत मे अक्सर हिंदुत्ववादी भक्त दल यह आरोप लगाते रहते हैं कि इतिहास को leftist मार्क्सवादी विचारधारा के लोगो ने लिखा है, इस तरह से मरोड़ कर की इतिहास की स्कूली पाठ्यक्रम में उनके पक्ष के साथ ज्यादती करते हुए सही से प्रस्तुत नहीं किया गया है।
एक मनोरंजक बात यह भी है कि ठीक ऐसा एक आरोप खुद भक्त हिंदुत्ववादी लोगों पर भी लगता है, दलित-पिछड़ा अम्बेडकरवादी लोगों के हाथों की भारत के धर्म शास्त्र से लेकर जंग-ए-आज़ादी तक इतिहास के स्कूली पाठ्यक्रम मे उनके लोगो पर हुए शोषण और उनके योगदान की वीरगाथाओं को ठीक से प्रस्तुत नही किया गया है।
इधर इतिहास के स्कूली पाठ्यक्रम विषय के बारे भक्तबुद्धि चेतन भगत ने तो एक टिप्पणी यह करि हुई है कि यह व्यर्थ का विषय है जिसका आधुनिक समाज की तुरंत आवश्यकताओं को पूरित करने में कोई महत्व और उपयोग नही होता है। इस विषय का उपभोग बस राजनीति की रोटी सेकने के लिए ही होता है लोगो के दिमाग मे एकतरफा इतिहासिक दृष्टिकोण को भर कर उनको वोटबैंक में तब्दील करके।
बरहाल एक सवाल यह है कि कौन हैं यह leftist मार्क्सवादी लोग जिनको क्ष्रेय भी दिया जाता हमारे देश का इतिहास पाठ्यक्रम लिखने का , और जिनके ऊपर यह आरोप भी लगता है उन्होंने इतिहास को तोड़-मरोड़ कर अपनी विचारधारा के पक्षपात में लिखा है।
Leftist शब्द की संज्ञा और इतिहास में थोड़ा सा google और विकिपीडिया के माध्यम से यह लेख लिखा गया है। लेख की जानकारी के मूल स्रोत विकिपीडिया के article है leftist in france, और leftist in UK
Leftist शब्द एक विशेषण-संज्ञा है, जिसकी उत्पत्ति हुई थी france में । वहां के संसद में जो लोग सभासद के बाई ओर बैठते थे उनको leftist संज्ञा से पुकारा जाने लगा था। यह लोग राजशाही समर्थकों के विरोधी लोग थे, क्योंकि दाई और राजशाही समर्थक लोग हुआ करते थे।
तो बायीं ओर के लोग फ्रांस की जनक्रांति के समर्थक थे जिससे नारा मिला था लिबर्टी, equality , fraternity । और दाई ओर जनक्रांति के विरोधी थे जिनके अनुसार इन सब विचारधाराओं से दुनिया मे सुशासन और आर्थिक चक्र चल ही नही सकता है।
इतिहास के प्रति leftist विचारधार में यह नज़रिया था कि समूचा मानव इतिहास बस एक संघर्ष गाथा है सामाजिक वर्गों के मध्य। तो वह लोग इतिहास के प्रति जो भी लिखते थे उसमे केंद्र में किन्ही दो वर्गों के मध्य होते संघर्ष को रखते थे।
ब्रिटेन में भी leftist विशेषण संज्ञा की उत्पत्ति ऐसे ही हुई है, संसद के कक्ष में बैठने की दिशा से। अब यहाँ का संसद में left दिशा में मुख्यतः वह लोग होते हैं जो कि चुनावों में बहुमत नही बना सके है। तो अधिकांशतः संसदीय इतिहास में labour party ही लेफ्ट में बैठी रही है, और इनके अलावा स्कॉटलैंड की SNP पार्टी, और ब्रिटिश सोशलिस्ट पार्टी रही है। वहां इतिहासिक तौर पर अधिकतर बहुमत जिन पार्टियों को मिला है, उनको सामूहिक तौर पर tories कह कर पुकारा जाता है। अभी फिलहाल प्रमुख विपक्ष नेता जेर्मी कॉर्बीन है , जो कि ukip पार्टी से हैं।
यहां के वामदल में वह लोग रहे हैं जिन्हें तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग का समर्थन रहा है, यानी जो कि popular थोड़ा सा कम रहते है। क्योंकि जो अधिकः popular होते हैं, वही सत्ता में रहते हैं, यानी दायां पक्ष माने जाते हैं।
भारत मे leftist कहकर मुख्यतः पश्चिम बंगाल और केरल से आती राजनैतिक विचारधाराओं को माना गया है। इन दोनों राज्य में common बात यह है कि दोनों राज्यों में चाय की पैदावार होती है। और चाय की पैदावार से बात राजनैतिक विचारधारा से ऐसे जुड़ती है कि चाय की खेती ही भारत मे सबसे प्रथम उद्योगिक काम हुआ था। प्राचीन भारत से east india company ने जिन पदार्थों का सबसे अधिकः व्यापार किया है वह चाय थी। तो देश पर कब्ज़ा जमाने के बाद east india ने सबसे प्रथम इन दोनों राजयों में चाय की खेती उद्योगिक स्तर पर करना चालू करि। केरल के मुन्नार में इस उद्योग को बसाने के लिए उन्होंने एक अलग मुद्रा भी बनाना चालू किया था, जो कि मज़दूरों को तनख्वाह देने लिए काम आती थी, और जो कि गांव के आम किसान को एक मजदूर में तब्दील करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है -- तनख्वाह।
तनख्वाह ही वह महत्वपूर्ण कड़ी है जिसपर east india कंपनी ने आपने भाड़े के सैनिक इकट्ठा किये और एक स्थायी फौज तैयार करि थी, जिसका दैनिक कार्य ही हमले करना, युद्ध लड़ना था। इससे पहले के इतिहास में स्थायी फौज नही होती थी। जब किसी राजा को सैनिक चाहिए होते थे तब वह स्थानीय सामंतों की मदद से किसानों और उनके जवान बेटों को पकड़ कर यूँ ही भेज देता था लड़ाई लड़ने, कुछ तलवार भाले हाथो में थमा कर। तब कोई फौजी वर्दी और फौजी प्रशिक्षण का चलन नहीं था। यह चलन तो बाद में आया था east india company के द्वारा, जिसे अक्सर professional regular army पुकारा जाता है, और जिसकी सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है -- तनख्वाह।
तो मज़दूरों वाला यह समाज ही भारत देश मे सबसे प्रथम कार्ल मार्क के तथाकथित विचार से अधिकांश प्रेरित और प्रभावित हुआ था। इन्हीं लोगों ने अपने बेटों को आगे east india के शिक्षा तंत्र में दाखिला दिलवाया और भारत के सबसे प्रथम "बुद्धिजीवी" वर्ग को जन्म दिया । आप आज भी देख सकते हैं कि बंगाली समाज से भारत के बड़े नामी फिल्मकार सत्यजीत रे, लेखक नोबेल पुरस्कार विजेता रबिन्द्र नाथ टैगोर, विज्ञान नोबेल विजेता j c bose, s n बोस, अर्थशास्त्र नोबेल विजेता अमर्त्य सेन इत्यादि आये हुए हैं।
तो भारत के पत्रकारों ने socialist विचारो से प्रभावित इन्ही लोगो की विचारधारा को leftist पुकारा है, हालांकि संसद में बहुमत दल में भाजपा भी बहोत कम समय रही है। हां, 1998 में एक बार भाजपा सबसे बड़ा दल होकर भी विपक्ष में थी, अन्यथा 2014 चुनावों से पूर्व यह लोग सबसे बड़ा घटक दल भी नही रहे थे।
तो भारत मे आरोप यह है कि इतिहास का पाठ्यक्रम leftist ने लिखा है, जबकि असल मे nehru खुद भी इतिहासकार लेखक थे और discovery of india जैसी प्रसिद्ध पुस्तक लिख चुके हैं। आधुनिक पाठ्यक्रम नेहरू की विचारधारा से अधिकः प्रेरित है।
मगर अब आरोप यह भी है कि नेहरू खुद भी समाजवाद विचारधारा के प्रभाव में ही थे। तभी नेहरू और तत्कालीन सोवियत संघ में इतनी मैत्री स्थापित हो सकी । आज़ाद भारत का अर्थ तंत्र और सैनिकय परंपरा तो सोवियत तंत्र की विचारधारा से प्ररित हो कर निलता है।
भारत मे leftist एक अनाम, अदृश्य व्यक्ति या विचारधारा से सरोकार रखता है। क्योंकि leftist का कोई विशेष अर्थ नही है किसी विचारधारा के साथ जोड़ कर समझने के लिए। यहां संसद में बांई दिशा में कभी न कभी सभी दल बैठे रहे हैं। इतिहास के पाठ्यक्रम मुख्यतः नेहरू से प्रेरित है, मगर कांग्रेस ज्यादा समय left में नही रही है। भाजपा को right विंग कहा जाने लगा है, जबकि वह सत्ता में इतना समय नहीं रही है।तो शायद इतिहास को मरोड़ कर लिखने का यह आरोप leftist कर नाम पर किसी गुमनाम व्यक्ति पर जाता है, जबकि आरोप लगाने वाले का सीधा मतलब यूँ है कि इतिहासिक सच को बदल कर अब से उसके अनुसार पढ़ाया जाए। चाहे उसकी बात प्रमाणित हो या नहीं।
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