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Showing posts from May, 2023

आत्म विश्वास क्या होता है, over confidence क्या होता है

  आत्म विश्वास क्या होता है?  आत्म विश्वास वो पल होता है जब आपको भरपूर यक़ीन हो जाता है कि कोई क्रिया आपके इच्छानुसार तय परिणम देने वाली है।   और ये यक़ीन कहां से आता है?  कभी कभी ये यकीन महज़ अन्धविश्वास भरा होता है, हालांकि संतुलित सोच , बौद्ध वाले इंसानों में ये यकीन किसी तर्क में से उद्गम करता है । अक्सर करके जब आत्मविश्वास असंतुलित यकीन से निकलता है, यानी जब सचेतता का दामन छोड़ देता है, कि यदि कर्म का परिणाम आपके अनुसार नही हुआ तब क्या होगा, तब ऐसे वाले आत्म विश्वास को over confidence की संज्ञा दी जाती है।

Politics - the means of controlling the Fate

Fate is something that happens to us when things are beyond our control. But the smart human minds know it that there can be ways -maybe extremely cumbersome, maybe requiring extreme cooperation between the humans, — to bring those uncontrollable things within some reach of controllablility. It is possible, sometimes to achieve some degree of control over the Fate, but by employing those means which are themselves not easy to be met by ordinary human efforts. It is here that the smart thinking humans begin to feel the necessity of organising their society in such a nanner that the human efforts are always kept gathered up, and ready to be deployed as and where required .  This organisation of the society by which one can quickly harness men and material to work for a pre-intended action from where we can attain a certain degree of control over our common fate, is termed as Public Administration. The Public Administration is in itself having its handles for control by another means , w

ग्रीक और जापानी संस्कृति ,बनाम हिंदुओं की संस्कृति

  ग्रीक और जापानी संस्कृति , बनाम हिंदुओं की संस्कृति इंसान का जीवन भाग्य रूपी धागे के सहारे आधर में झूल रहा है। कब ये डोर टूट जाए और जीवन गिर पड़े, कोई कुछ नही बता सकता है । कुछ बताया नही जा सकता है पहले से। ये सब भविष्यवाणियां, कुंडलियां, ये सब बेकार की बातें होती है। कबीर दास जी ने कहा हुआ है पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात। देखत ही छिप जायेगा, ज्यों तारा   परभात।। --- एक औसत बनारसी (और भारत वासी) का दिमाग केवल इस हद तक ही चलता है। मगर भगवान ने धरती पर नानक प्रकार से देश, मनुष्य जातियां , सभ्यताएं बनाई है। सभी कोई सोच की इस वाली हद तक सीमित नहीं है। कुछ तो हमसे भी नीची हदों तक छूट गई हैं। मगर कुछ हमसे श्रेष्ठ भी हैं। जापानी और ग्रीक(यूनानी ) हमसे श्रेष्ठ सभ्यताओं के दो नाम हैं, जो की अपनी सोच जीवन की अनिश्चितताओं के आगे ले जाने की काबिलियत रखती हैं। वो केवल ये नही सोचती है कि कैसे इंसान का जीवन भाग्य की डोर पर लटकता रहता है, कुछ भी तय शुदा नही है। अपितु वो ये भी सोचती है कि कही, कुछ तो फिर भी, निश्चित होता है,पूर्व तयशुदा होता है, जिसके बारे में पूर्व घोषणा,भविष्यवाणी सटीकता से

राजनीती में क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए? अमीर लोग क्यों राजनीती में दिलचस्पी रखते हैं?

 राजनीती में क्यों दिलचस्पी  लेनी चाहिए? अमीर लोग क्यों राजनीती में दिलचस्पी रखते हैं?  क्यों कोई भी समाज Plebeian और Patrician में विभाजित हो ही जाता है , चाहे कितना भी समानता की बातें कर ले नियम बना ले।? क्या अंतर होता है राजनीती में दिलचप्सी दिखने में -- एक Plebs वर्ग और एक Patrician वर्ग के सदस्य में ? Quote, ये विंध्या चल का programme ग़लत बना लिया है। आइंदा से अगर अकेले जाओ, तब सिर्फ उतना ही कार्य करो, जितने के लिए यहाँ से बात करके निकली थी @@ र्य नया लड़का है, अभी vetting नही समझता है ,हालांकि ship पर पहुंच गया है कहीं भी आने जाने से पहले ।मैं यहां पच्चीसों बातें सोचता हूँ,  रिसर्च करता रहता हूँ, वो कहां यूँ ही मस्ती में गाड़ी बुक करके निकल ले रहा है तुन्हें और सब को ले कर 😡😡 गाड़ी , driving सड़क, driver कुछ भी नही समझता है उसको ऐसा नही करना चाहिए तुमहे माना करना चाहिए कि तुम्हे मेरी permission के बिना नही ले जा सकता है अब वो 😡😡😡 हो सके तो टालो  मना करो 😡😡😡 @@ र्य दिमाग से अभी छोकरा किस्म का है अंजान, अनदेखा, अज्ञात के प्रति दिमाग से खुद को तैयार नही किया है Expect the unexp