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Showing posts from December, 2021

Defence वालों के घोटाले

नेवी वाले सफ़ेद, चमचमाती uniform पहन कर scams करने में उस्ताद लोग होते हैं। मुम्बई के कोलाबा क्षेत्र में आदर्श सोसाईटी घोटाला क्या किसी को याद है। इस घोटाले के उजागर हो जाने के बाद लंबे समय तक ये मामला court की सुनवाई में चलता रहा है, और अंततः कोर्ट ने मामले को घोटाला करार देते हुए बिल्डिंग की कुर्की करवा दी। आज ये बिल्डिंग उजाड़ खड़ी हुई दुनिया को गवाही देती है कि कहीं कुछ तो बहोत बड़ा घोटाला हुआ है, मगर जो सटीक जानकारी के संग दुनिया वालो को बताया नही जाता है, शायद इसलिये कि नेवी वालो की सफ़ेद पोशाक पर दाग के छीटें अच्छे नहीं दिखाई पड़ते हैं लोगों को। घोटाला क्या था? क्या गड़बड़ करि थी नेवी के आला अधिकारियों ने? कोलाबा क्षेत्र ज़मीन का छोटा सा, "लटकता हुआ" (appendix) भाग है दो तरफ से समुन्दर से घिरा है। यहां का मौसम और आबोहवा इतनी रमणीय है कि सभी लोग यहाँ बसना पसंद करते हैं। अफसोस ये है कि जमीन का भूक्षेत्र इतना कम है कि इतने लोगों को बसाना संभव नही है। उस पर भी, इतने से भूक्षेत्र पर नेवी, आर्मी ने अपनी छावनी डाली हुई हैं।  और अब नेवी वाले लोग राष्ट्रीय सुरक्षा का वास्ता दे कर कोई औ

मनगढंत रचा हुआ इतिहास और पुरातत्व विज्ञान से लिखा हुआ इतिहास

इतिहास और पुरातत्व विज्ञान में अंतर भी है और संबंध भी। " इतिहास रचने " की घुड़क मनुष्यों में बहोत पुराने काल से रही है। सभी ने अपने अपने हिसाब से अपना आज का ब्यूरा लिखा था, इस हिसाब से सोचते हुए कि यही लेखन भविष्य काल में पलट के देखे जाने पर "इतिहास" कहलायेगा, और तब हम उस इतिहास में साफ़-सफ़ेद दिखयी पड़ जाएंगे।। ये सब इतिहास मनगढंत था। तो, अब सत्य इतिहास कैसे पता चलेगा? कैसे इंसानियत को अपने आज के काल की समाज के तमाम क्रियाएं बूझ पडेंगी? सत्य कारण किसे माना जाये? - ये कैसे तय करेंगे इंसानो के मतविभाजित समूह? ऐसे निर्णयों के लिए तो सत्य इतिहास मालूम होना चाहिए, मनगढंत वाला इतिहास नहीं। जवाब है --पुरातत्व की सहायता से! पुरातत्व एक विज्ञान होता है। और वो जब इतिहास लिखता है तब वो मनगढंत को और सत्य दमन को - अन्वेषण करके अलग कर देता है। पुरातत्व ज्ञान जो लिखता है, वो सत्य की ओर खुद-ब-खुद जाता है । तो फ़िर कोई भी व्यक्ति लाख बार अलाउदीन खिलिजि और पद्मावती लिख के इतिहास लिख ले, एलेक्सजेंडर और पोरस का इतिहास लिख ले, ग़ज़नी और पृथ्वीराज चौहान का इतिहास लिख ले, चाणक्य और विष्णुग

घमंडी, arrogant नौकरशाही और भारत के बुद्धिहीन इतिहासकार

हम जब की दावा करते हैं कि नौकरशाह देश के करदाता के पैसों पर ऐश काटता है, तब नौकरशाह बहस लड़ाता है कि , फिर तो टैक्स हम भी तो देते हैं। यानी टैक्सदाता("income tax") भी हम ही तो हुए। तो फिर अपने पैसे पर ऐश काटना, इसमे ग़लत क्या हुआ?  मानो जैसे टैक्स से अर्थ सिर्फ income tax ही होता है। यहाँ ग़लती देश के इतिहासकारों की भी है, कि उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम में विश्व आर्थिक इतिहास को कहीं लिखा ही नही हैं। छात्रों ने इतिहास के विषय में बहोत अधिक व्यसन गाँधी-नेहरू-सुभाष-पटेल में बर्बाद किया है, और फिर अख़बर महान और महाराणा प्रताप शौर्यवान को साबित करने की बहस में खपाया है। छात्रों को समाज में आर्थिक चक्र के विकास की कहानी का अतापता नही है, वर्तमान युग की आर्थिक व्यवस्था , टैक्स व्यवस्था कहां से उद्गम हुई, और "टैक्सदाता" से अभिप्राय में मात्र "income tax payer" क्यों नही आना चाहिए , ये सब भारत की वर्तमान पीढ़ी की नौकरशाही को पढ़ाना समझना असम्भव हो चुका है।  और तो और, नौकरशाहों ऐसे उद्दंड भी चुके हैं कि उनके अनुसार टैक्स तो मात्र 1 प्रतिशत आबादी ही देती है! यानी gst और

हिंदुत्ववादियों की क्या शिकायत है इतिहासकारों से

'हिंदुत्ववादी कौन है?' का वास्तविक बिंदु ऐसी ही post में से निकलता है। हिंदुत्ववादी उन लोगों को बुलाया जा सकता है जो अतीतकाल की मुग़ल/मुस्लिम सम्राट के दौरान की घटनाओं से आजतक सदमा ग्रस्त हो कर नाना प्रकार के जलन (jealousy), कुढ़न(grudge) जैसे मानसिक विकृतियां(inferiority complexes) अपने भीतर में पाल रखें हैं। और इन complexes के चलते उनकी वर्तमान काल के इतिहासकारों से ये माँग कर रहे हैं की स्कूली पाठ्यक्रमो में मुग़लों/मुस्लिमों के प्रधानता/महानता के मूल्यांकन को नष्ट कर दें। और फ़िर अपनी इस माँग को प्राप्त करने के लिए कई सारे उलूलजुलूल "तर्क फेंक रहे है" सामाजिक संवादों में। जैसे कि, ऊपरलिखित वाक्य। ये उलूलजुलूल इसलिये हो जाता है क्योंकि मुद्दा ये नही है कि क्या ये सत्य है, बल्कि ये है की क्या जो ज्ञान ये स्कूली किताबो में चाहते हैं, वो इतिहासकारों की दृष्टि से प्रधान(गौढ़) बिंदु का विषय ज्ञान है, या नही? वर्तमान पीढ़ी के इतिहासकारों के अनुसार अकबर की महानता को जानना और समझना महत्वपूर्ण है भावी पीढ़ियों के लिए, क्योंकि अकबर ने जो कुछ योगदान दिये है , (राज्य प्रशासन रचना , ट