मुद्रा सर्वश्रेष्ठता के प्रत्यय से आधुनिक शिक्षा प्रणाली का मुआयना
ब्रिटिश, अमेरिकी और पश्चिम देशों के वीसा वितरण/ नागरिकता प्रदान के तरीकों में एक विशेष चलन को महसूस किया जा सकता है। वह यह है की जिसके पास धन है उसे यह देश ज्यादा आसानी से वीसा या अपनी नागरिकता प्रदान करते हैं। चाहे वह धन जायज़ तरीके से कमाया गया हो, या नजायज़ । इसमें बुद्धिमता, शारीरिक क्षमता, सामाजिक पद, इत्यादि किसी को भी उन्होंने महत्वपूर्ण नहीं माना है। सिवाय धन, आर्थिक स्थिति के। इस नीति के पीछे का स्वीकृत सिद्धांत यह माना गया है की जिसके पास धन है, औसतन वह बेहतर पहुँच रखता है अच्छी और उच्च शिक्षा तक; अच्छी और बेहतरीन स्वास्थ सुविधाओं तक, और इन दोनों के नतीजे में -- अच्छे सामाजिक पद तक। फिर धन प्राप्त करने के तरीके में जायज़ होना या नाजायज होना एक अस्थाई हालात हैं, समय और सामाजिक पद से सामाजिक और वैधानिक मान्यताएं बदलती रहती है--जो आज नाजायज़ है, वह कल जायज़ बनाया जा सकता है। पैसा का इस कदर की प्रधानता आरम्भ में मुझे आश्चर्यचकित करता था, मगर अब धीरे धीरे मैंने भी कुछ हद तक, पूरा तो नहीं,स्वीकार कर लिया है की पश्चिमी देशों की यह नीति इतनी गलत नहीं है। गौर करने की बात यह