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Showing posts from August, 2023

सिगमंड फ्रायड का छाता को खोलने वाला एक्सपेरिमेंट

Psychology (साइकोलॉजी) यानी मनोविज्ञान के जनक कहे जाने वाले जर्मनी के पडोसी देश ऑस्ट्रिया में जन्मे, विख्यात वैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud) ने 1938 (के करीब) एक एक्सपेरिमेंट किया था, जिससे उन्होंने इंसान की बुद्धि में " चेतन मन "और " अचेत मन " के अस्तित्व की पुष्टि करी थी। हुआ यूं कि फ्रायड के जान–पहचान के एक डॉक्टर ने अपने कुछ मरीजों का इलाज करते समय सम्मोहन क्रिया (Hypnosis) करके आदेश दिया कि जब मैं तुम्हें अपने सम्मोहन से मुक्त करने के बाद वापस कमरे में प्रवेश करूंगा, तब तुम एक छाता खोल कर मेरे सर पर छतरी से ढक कर मेरा स्वागत करोगे।  और इसके बाद डॉक्टर वैसा करते हुए, व्यक्ति को सम्मोहन से आजाद करके ,पुनः कमरे में प्रेवश करता। व्यक्ति, अनजाने में, छाता खोल लेता और डॉक्टर के शीश को छतरी से ढकते हुए उनका स्वागत करने लगता।  और बाद में जब व्यक्ति से पूछताछ करी जाती कि उसने ऐसा क्यों किया, तब अलग–अलग व्यक्ति अलग–अलग "वजह" बताने लग जाते। जैसे, एक व्यक्ति ने कहा वो सिर्फ छाते का परीक्षण कर रहा था कि छाता कोई मरम्मत तो नही मांगता है। एक व्यक्ति ने कह

भारत में कहां से और कैसे आते हैं आज के ये कन्हैया कुमार, दिलीप मंडल और उमर खालिद ?

भारत की असलियत ये है कि ये जिसको हम लोग " आधुनिक भारत " के कर पुकारते हैं, इसमे ये "आधुनिक" वो अंश है जो कि ब्रिटेन और दूसरे देशों से आयात करके, या फिर चुरा करके लाया गया है। और जिन-जिन क्षेत्रों में इस "आधुनिक" को भोग किया गया, जिस समाजों के द्वारा सर्वप्रथम, अग्रिम पंक्ति में अर्जित किया गया, वे सब छोड़ कर, बाकी सभी जन पिछड़ा, " ग्रामीण " भारत बन कर रह गए थे।  मगर पिछली शताब्दी के अंत में जैसे-जैसे यातायात के संसाधन में तकनीकी विकास हुआ, ये " आधुनिक" भारत और " ग्रामीण भारत " को आपस में एक दूसरे को मटमैला करने की आवृत्ति बढ़ती गई है। 'आधुनिक' ने 'ग्रामीण' को गंदा किया, 'ग्रामीण' ने 'आधुनिक' को। कुल मिला कर भारत मैला होता रहा है। ग्रामीण भारत का नवयुवक जब शहर में आता है, तब उसको सबसे प्रथम दिक्कत होती है ये समझने में कि "क्या चल रहा है, ....चल क्या रहा है?" उसका मन अपने आसपास के समाज को, व्यवस्थाओं को, कोर्ट को, पुलिस को, यातायात के नियमों से लेकर विश्वविद्यालय के नियमों तक किसी भी च

What is this achievment?

Is the achievement only about doing a race with the entire world, and reaching some point earlier than everybody else? Are we so self-centered, so much self-loving that we are still going to search out some mean "objective" and rush out to label that as our "achievement" in order to be able to tell our story to the world? Are we going to see in it (#moonlanding) some race event happening and that our achievement being only about getting there first? And are we always going to see the achievements as something that is centred around our country? Are we so much self-centered? Tell me, what other thing can you think of for calling out as your achievement ? How important, do you think, it is for you to do show out some achievement in what you have secured just now? What if we let the moment pass quietly, without calling out any achievment?   or Can we not wait for a while before we tell the world what our achievement is? Can we not be patient enough to give ti

The four types of Conversations

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 Credit.: Sourced from the Internet The Four types of Conversation (by Mr David W Angel)

क्या मतलब होता है, जब हम किसी अमुक व्यक्ति को एक Historian (इतिहासकार) के तौर पर चिन्हित करते हैं?

क्या मतलब होता है, जब हम किसी अमुक व्यक्ति को एक Historian (इतिहासकार) के तौर पर चिन्हित करते हैं? आम तौर पर हम सभी लोग इतिहासकारों को एक बुड्ढा सा, बेमतलब का ज्ञान कुंड रखने वाला व्यक्ति समझते हैं। एक, ऐसी बातें का संग्रहण करने वाला व्यक्ति जिसका आधुनिक या वर्तमान काल से कोई वास्ता नहीं है, जो अतीतकाल में जीवन यापन कर रहा होता है। हम ऐसा समझते हैं इतिहासकारों के प्रति। मगर कभी गहराई से अपने आसपास में वर्तमान की किसी भी समस्या का अपने पूर्ण निर्मोह(objectivity) और निष्पक्षता (neutrality) से हो कर समाधान ढूढने की कोशिश करी है? कभी एक सच्चे दिल से एक सार्थक प्रयास करके आजमाइए अपने आप को। तब आपको समस्या को उसके मूल से समझने की आवश्यकता महसूस होगी, उसका सरस्वीकृत समाधान और न्याय करने हेतु।  और ये "मूल से समझने " की बात आपको बता देगी की इतिहासकारों का वर्तमान काल से क्या वास्ता और महत्व होता है। किसी भी समस्या को गहराई से समझने के लिए उसके मूल से ज्ञान अर्जित करना आवश्यक होता है। ऐसे में इतिहासकारी कर सकना एक कौशल बन जाता है, क्योंकि इस कला को अभ्यास कर सकने वाले लोगों में निर्मोह