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Showing posts from September, 2023

उन्नत मुखी होने का क्या अर्थ होता है?

उन्नत मुखी बनने के प्रत्येक युग में अलग अलग अर्थ होते हैं। उन्नत मुखी बने रहना इंसान की जिंदगी का सबसे बड़ा challenge होता है। और कौन रोक रहा होता है इंसान को उन्नत मुखी, यानी progressive होने से? इंसान को progressive होने से रीत रिवाज, प्रथाएं रोक रही होती है। प्रत्येक युग में उन्नत मुखी होने के अलग अलग मानक रहे हैं। मगर इन सभी के बीच में एक विचार सर्व विदित था — कि, सभी को किसी तत्कालीन विचार से, या व्यवस्था से, या प्रथा से संघर्ष करके, उसे तोड़ कर आगे आना पड़ा है। ये जितनी भी चीज है– प्रथा, व्यवस्था, विचर, ये सब के सब समाज के माध्यम से कार्य करती हैं।समाज सभी इंसानों से बने समूह को बुलाया जाता है, जब इन सभी को एक इकाई की तरह देखा, सुना और बात करी जा रही होती है। जाहिर है, ऐसे में समाज का अभिप्राय बन जाता है, बहुमत आबादी का मन। यानी , majority की बात, उसके दर्शन, उसकी सहमति, इत्यादि से। तो समाज इंसान को हमेशा रोकने का कार्य करता है। ध्यान रहे कि समाज ऐसा करने में गलत नहीं होता है, क्योंकि वह सही मंशा से, इंसान को किसी संभावित गलत, किसी खतरे, किसी अनजान मुश्किल में पड़ने से रोकने के ल

Narcissist व्यक्ति को करुणामई , इंसानियत से हृदय परिवर्तन करके सुधारा नहीं जा सकता है

Narcissist व्यक्ति का एक गंभीर चरित्र दोष होता है। — वो जितना भी दोस्ती और बैर करता है, सब अपनों से ही करता है, पराए, अनजान के संग वो बहुत सादगी, और विनम्रता से पेश आता है !! यानी, अपनों पे सितम, गैरों पे करम भारत के टीवी वाले इस समय कैनेडा मामले में जो कुछ बता रहे हैं, सच उसके ठीक उल्टा है। चीन ने एशियाई खेलों में भारत के अरुणाचल प्रदेश से जाने वाले खिलाड़ियों को वीज़ा नही दिया है। और बदले में भारत के खेल मंत्री ने चीन जा कर शामिल होने से मना कर दिया है। मगर, गौर करिए, कुछ बड़ी खबर बनी क्या ये भारत के मीडिया पर? नहीं , ना। चीन पर चूं करने की औकात नही बन रही है मोदी सरकार की । क्योंकि चीन मोदी के जितना ही ढींठ है। वो भचक कर मुंह तोड़ जवाब दे देगा। मगर कैनेडा शांतिप्रिय, मानववादी, मित्र देश है। तो चढ़ा हुआ है भारत का मीडिया उस पर । घमंडी आदमी अपने सारे बैरभाव केवल उनके संग करता है, जो उनको किसी रिश्ते के चलते, या अपने हृदय के मानववाद के चलते बर्दाश्त करता है। और, जो पलट कर जवाब देता है, उसके साथ कायदे से रहता है। Shakespear ने एक नाटक लिखा था, taming of the shrew।

हिंदुओं की सोच में अभी Logic जैसी शुद्धि नहीं हुई है

ब्रिटिश उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल ने दो शब्द, Blackwhite Thinking और Doublespeak का सृजन किया था , इंसानों की सोच में ऐसी प्रवृत्ति को दिखाने के लिए जो एक संग दो विरोधास्पद तर्कों का पक्ष लेते हुए (blackwhite), जब चाहा तब पल्टी मारते रहते हैं, और अपने विरोधी को गलत और दुष्ट साबित कर देते हैं। सभी हिंदू यानी सनातन धर्म पालक स्वभाव से ऐसे doublespeak करते हैं, blackwhite सोच प्रकृति के होते हैं। कई सारे video clips हैं,जिनमें हिंदू संत लोग अपने अंतर–विरोधी चरित्र का गुणगान करते सुने जा सकते हैं, कि '"मैं ही सुर हूं, असुर भी मैं ही; मैं ही आकाश हूं, और पाताल भी मैं ही।" दरअसल समस्त मानवता पहले के युग में ऐसी blackwhite सोच की हुआ करती थी। मगर पश्चिमी philosophy में aristotle और उसकी रची गई Logic की philosophy ने पाश्चात्य लोगों की सोच को शुद्ध और निश्छल बना कर,उनको श्रेष्ठ कर दिया। हिंदू लोग अभी तक अशुद्ध और छल(कूट) सोच में फंसे हुए हैं।

इतिहास कैसे लिखा जाता है ? किस मंशा के साथ ?

इतिहास क्यों पढ़ाया जाता है, इस विषय पर तो बहुत कुछ मंथन किया जा चुका है, मगर अब एक मंथन की ज़रुरत है कि इतिहास लिखा कैसे जाता है?  किस मंशा के साथ? इतिहासकार इतिहास को लिखते समय निम्मलिखित दो मंशाओं को केंद्र में रख सकते हैं:- १) मंशा : सामाजिक इतिहास का लेखन इस प्रकार के लेखन का उद्देश्य ये होता है कि पाठक छात्र  जल्द से जल्द अपने समाज को संचालित करती अदृश्य , अगोचर शक्तियों को अपने मस्तिष्क में ग्रहण कर सके और फिर स्वयं को तीव्रता से समाज में अपने स्थान के संघर्ष के लिए तैयार कर ले। २) मंशा : समाज के बीच सत्ता को प्राप्ति करने के लिए संघर्ष कर रहे समूहों का रहस्य उदघोटन कि, वे कौन कौन से समूह हैं, क्या उद्देश्य हैं उनके, वे किस दूसरे समूह के विरुद्ध संघर्ष रत हैं, क्या विवाद के मुद्दे हैं उनके बीच आपस में, कैसे संचालित करते हैं वे समुदाय अपने बीच में, अपने अधीन समाज को , क्या हैं उनके धार्मिक दर्शन, विश्व दर्शन, अन्य philosophy के विचार, और क्या क्या घट कर बीत चुका है उनके संघर्ष की गाथाओं के दौरान। ये दूसरा वाला इतिहास वास्तविक विषय होता है समाज की और देश की राजनीत

जीवन के नौ रस क्या हैं? इनका क्या अभिप्राय है, हमारे जीवन से क्या संबंध है?

जीवन के नौ रस क्या हैं? इनका क्या अभिप्राय है, हमारे जीवन से क्या संबंध है? 1963 में प्रकाशित हुई एक किताब the Power of Subconscious Mind ने दुनिया में तहलका मचा दिया था ,ये दावा पेश करके कि कोई भी इंसान अपने दिमाग की सोच की बदौलत कुछ भी बन सकता है, कुछ भी हासिल कर सकता है । कहने का सीधा मतलब दुनियावालों के अनुसार ये था कि बस बैठे- बैठे, यूं सोच - सोच कर गरीब आदमी ,अमीर और अमीर आदमी गरीब बन सकता है।  किताब में दावा की theory ये थी कि जब इंसान के दिमाग में, भीतर में उसका अवचेतन मन, यानी sub conscious mind, किसी विचार में यकीन करने लग जाता है, तब वह खुद से ही ऐसी क्रिया प्रतिक्रिया को इंसान के शरीर में से त्वरित करवाने लगता है की वाकई में वैसा हो भी जाता है जैसा उसका अवचेतन मन सोच रहा था। सवाल था कि क्या जो कुछ हम सोच रहे होते हैं, ये हमारे अवचेतन मन से नही सोचते हैं क्या?  यदि नही, तो फिर हम अपने दिमाग के किस हिस्से से सोचते हैं? और क्या हमारा ये तथाकथित अवचेतन मन हमारे बाकी दिमाग से अलग हट कर सोचता है क्या? और, अवचेतन मन को हम कैसे वो चीज सोचवाए जो हम चाहते हैं, अपने उस दिमाग की सोच

A small list of names of nations assigned to them by the "Foreign Powers"

The first Explorerer have assigned their own names to almost all the nations  India  Japan (Nippon in local language) China ( Zhongguo in local language ) West Indies (from India) America (named after a Spaniard) Burma , now Myanmar  Ceylon , now Srilanka  Singapore, indian origin name  There is a comprehensive list  Now Think ,who all have chosen to remove the assigned name and adopt only the local language name  And then think of what is the motivation? Now decide , which action  is genuinely "Political Motivation" and which is not?

Lessons of Secularism from GB Shaw's play "Saint Joan", and risks to Democracy and Secularism, lessons from George Orwell's "1984"

 Some old memories , from the play * Saint Joan  * by GB Shaw  1) what was the the Role of Inquisitor in the trial of Joan? 2) Did Joan receive a fair trial? 3) What happened in the Epilogue ? How is the trial of Joan pronounced now? Do you still think that Joan received a fair trial ? _________ गधा in the Context of the present Opposition mean a Stupid person,  But Same गधा in the Context of the Dear Leader means Hard Working person ! Do you think you are giving a fair trial ? Your views are not pathologically polarised ? _____ [9/11, 11:00 PM]   What is * Blackwhite * style of thinking in George Orwell's play " 1984 "? What is a doublespeak  ? [9/11, 11:00 PM]   ( You are free to use Google Search ) [9/11, 11:06 PM]  What is the lesson learnt on a necessity to separate the Government institutions from the Religious Service , if you think any, from the play * Saint Joan* ?  Do you agree that the necessity is applicable universally ?,  Or, you think that your own religion

Mariners should collectively reject the name change from India AND/OR Bharat , to EXCLUSIVELY Bharat

I think that we as Marine fraternity must not accept the name change theory as correct We are Mariners, the posterity of the erstwhile Explorers . And  so we must all stand to defend that it is a God-bestowed NATURAL RIGHT  of every explorer to call the place that he lands on before anyone else, by what nane he thinks fit and whatever he knows of it. By assigning a name, an explorer has done just what any other explorer, from any other country or a civilizations would do - Yesterday, Today or Tomorrow. Aren't we , as the Human species , giving names to places of the Moon and the Mars, and other cornors of the outer space, as how we think of them as on today !! Imagine , if we have called a place in the outer space  by some name today, and many many centuries later , some species of Aliens rises up to accuse us of having done then a wrong by assigning them non-native name, or an incorrectly spelled name , or whimiscial name of our own thought, How right will that accusat

Bharat बनाम India -- मुल्क का नाम बदलने की राजनीति , अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य से एक विमोचन

ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत ही अपने राष्ट्र का नाम बदल रहा है। हमसे पहले, बर्मा ने नाम बदल कर म्यांमार कर लिया है, कंबोडिया ने थोड़े समय के लिए नाम कम्पूचिया कर के वापस कंबोडिया कर लिया था, और सीलोन ने नाम बदल कर श्रीलंका रख लिया है। मुल्क के नाम बदल जाना कोई बड़ी बात नहीं है, विश्व राजनीति के लिहाज से। बड़ा सवाल ये है कि नाम बदले क्यों गए, और हांसिल क्या हुआ नाम बदल देने से? क्या वह मकसद पूरा हुआ? कंबोडिया के मामले में तो नाम बदलने का कारण सीधा सीधा अंतरिक राजनीत से था, और मात्र दस वर्ष तक नाम कम्पूचिया रहा, फिर वापस कंबोडिया पर लौट आया, जो की ब्रिटिश का दिया हुआ नाम था ! बर्मा के मामले में नाम बदलने का तथाकथित कारण बताया गया कि बर्मा नाम अंग्रेजो का दिया हुआ था। हालांकि आंतरिक राजनीत में अटकलें लगती रही कि कारण कुछ और ही है। अंग्रेजों ने जो नाम चुना था, बर्मा, वह वहां की भाषा में का ही नाम था।  मगर सबसे पहले सवाल है कि अंग्रेजों को नाम चुनने का अधिकार किसने दिया ? जवाब है— प्राकृतिक नियम ! अंग्रेजों और उनके नाविकों ने कुछ पक्षपात नहीं किया , मात्र अपना प्राकृतिक अधिकार का उपभोग किया था

Because Philosophy is the mother of Arts and Sciences, embrace the changes in moral, religious and cultural values introduced by the technology

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Don't suffer from Nostaligia

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इनमें से कितने किस्म की चिंतन शैली को जानते हैं आप?

इनमें से कितने किस्म की चिंतन शैली को जानते हैं आप?   Critical Thinking  Lateral Thinking  Analytical Thinking  Logical Thinking  Reflective Thinking Emotional Thinking Strategic Thinking Abstract Thinkng

Mental Control की कला

Psychology या mind self control के भरोसे किए जाने वाले कुछ क्रियाओं की सूची १) चलना, लटकना, दौड़ना, २) ऊबड़ खाबड़ सड़क पर हिचकोले खाने वाली जगहों को झेल जाना ३) लटकना, हवा में लटकते हुए पलटी मार लेना,  ४) mid air में body पर control कर लेना ६) लटकती हुई रस्सी पर balance बनाए रखते हुए चढ़ना  7) दूसरे बच्चे , व्यक्ति को आदेश देना ९) आदेशों को अपने विवेक अनुसार पालन करना, या अवज्ञा करना  १०) अनदेखा, अनेपक्षित कार्य या हालात के आने पर सामना कर गुजरना ये सब ऐसे काम हैं, जिन्हें आप यदि अपना दिमाग में सोच लें, मन बना लें तब कर गुज़र सकते हैं।  बिना mental preparedness  के , ये काम बहुत कष्टकारी हो जाते हैं।