Narcissist व्यक्ति को करुणामई , इंसानियत से हृदय परिवर्तन करके सुधारा नहीं जा सकता है

Narcissist व्यक्ति का एक गंभीर चरित्र दोष होता है।
— वो जितना भी दोस्ती और बैर करता है, सब अपनों से ही करता है,
पराए, अनजान के संग वो बहुत सादगी, और विनम्रता से पेश आता है
!!
यानी, अपनों पे सितम, गैरों पे करम

भारत के टीवी वाले इस समय कैनेडा मामले में जो कुछ बता रहे हैं, सच उसके ठीक उल्टा है। चीन ने एशियाई खेलों में भारत के अरुणाचल प्रदेश से जाने वाले खिलाड़ियों को वीज़ा नही दिया है। और बदले में भारत के खेल मंत्री ने चीन जा कर शामिल होने से मना कर दिया है।

मगर, गौर करिए, कुछ बड़ी खबर बनी क्या ये भारत के मीडिया पर?

नहीं , ना।

चीन पर चूं करने की औकात नही बन रही है मोदी सरकार की । क्योंकि चीन मोदी के जितना ही ढींठ है। वो भचक कर मुंह तोड़ जवाब दे देगा।
मगर कैनेडा शांतिप्रिय, मानववादी, मित्र देश है। तो चढ़ा हुआ है भारत का मीडिया उस पर ।

घमंडी आदमी अपने सारे बैरभाव केवल उनके संग करता है, जो उनको किसी रिश्ते के चलते, या अपने हृदय के मानववाद के चलते बर्दाश्त करता है। और, जो पलट कर जवाब देता है, उसके साथ कायदे से रहता है।

Shakespear ने एक नाटक लिखा था, taming of the shrew। उसमे शेक्सपियर ने एक बदमिजाज औरत को काबू में करने का यही तरीका बताया था, कि कैसे उसका पति उसके साथ बदमिजाजी करके उसके मिजाज के जहर को अपने दिखावटी बदमिजाज़ जहर से काटता है और उस औरत को सुधार देता है।

Narcissism ऐसा चारित्रिक दोष है, जिसका काट बुद्ध और अंगुलिमाल वाले प्रसंग से नहीं मिल सकता है। यानी, दयामयी,करुणामई, मानवता और इंसानियत से भरे हृदय के गुण दिखा कर ऐसे लोगों का हृदय परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। इसके दिल को जीता नहीं जा सकता है।

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