कॉफी हाउस का सामाजिक महत्त्व
कोफ्फी हाउस (विकिपीडिया में दिए कुछ लेखों से प्रेरित ) : कॉफी हाउस के चलन का सामाजिक महत्त्व बहोत गहरा है । इतिहास में झाँक कर देखें तब यह ज्ञात होगा की कैसे कॉफ़ी हाउस की दुकाने एक सामुदायिक स्थल के रूप में उभरी, नए विचारों को प्रसारित किया और एक सामाजिक दिशा में मोड़ दे दिया । भारत में कोफ़ी हाउस के समतुल्य 'नुक्कड़ वाली चाय की दूकान' ने भी कुछ ऐसी ही भूमिका निभाई है । चाय की दूकान भारत के यूरोपीय कोफ़ी हाउस के समान हैं । सर्वप्रथम सार्वजनिक रूप में कोफ़ी को व्यवसायिक तौर पर पेश करने का चलन तुर्की में हुआ था । मगर कॉफ़ी हाउस जैसी दुकानों का सामाजिक उत्थान ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड और कैंब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों के आस पास में खुलने से हुआ । वहां यह छोटी-छोटी दुकानें छात्रों के लिए एक सामाजिक होने और वाद-विवाद, शास्त्रार्थ करने की भूमि के रूप में विकसित हुए। यहाँ तक की कुछ विश्वविख्यात व्यापारों का असल जन्म स्थल एक कॉफ़ी हाउस ही है । सबसे बड़ा और उम्दा नाम बिमा की सर्वप्रथम कम्पनी 'ल्लोय्ड' का है जिसके अभिवाक को बिमा जैसे व्यापार का विचार एक कॉफ़ी हा