An ocean of thoughts,earlier this blog was named as "Indian Sociology..my burst and commentary". This is because it was meant to express myself on some general observations clicking my mind about my milieu...the Indian milieu. Subsequently a realisation dawned on that it was surging more as some breaking magma within . Arguments gave the heat to this molten hot matter which is otherwise there in each of us. Hence the renaming.
Suez Canal blockage and the so-called malpractice of complimenting.
catholics और protestants में क्या भिन्नताएं होती है
ईसाई धर्म में समयकाल में दो प्रमुख गुटों में विभाजन हो गया था मत-आधार पर। क्या थे यह मत-आधार, क्या हैं इन दोनों गुटों की समानताएं, और भिन्न्नता , नीचे दिए गए चार्ट में यही ज़िक्र किया गया है (आम भारतीय की रूचि के प्रकाश में )
दो भिन्न गुटों के नाम हैं catholic और protestants .
catholics प्राचीन और आरम्भिक समूह का नाम हुआ, जो विभाजन के पूर्व समस्त ईसाई पंथी हुआ करते थे।
विभाजन का मुख्य कारण था चर्चों में बढ़ता हुआ भ्रष्टाचार। धार्मिक भ्रष्टाचार का अभिप्राय था कि आम जनता को बेवक़ूफ़ बनाया जाता था उनकी दैविक आस्था का अवैध लाभ लेते हुए। मिसाल के तौर पर :- चर्च में बैठे पादरी समूह आम जनता को मुफ्त में चर्च के लिए श्रमिक और कारीगरी योगदान देने के धार्मिक तर्क देते थे।
चर्च के पादरी कोई स्थाई और पूर्व घोषित नियामवली का पालन खुद तो करते नहीं थे, मगर दूसरों को किसी न किसी "ग़लती" का अपराधी बता कर उनके ऊपर धार्मिक पंचायत (inquisition ) बैठा कर उन्हें बेहद अमानवीय दंड देते थे। आम आदमी को किसी भी साधारण तर्करेखा से यह बूझ सकना असंभव था कि कब , किस कर्म को, किस हालत में आपराधिक होने की सम्भावना है !! ऐसे में आम आदमी सदैव एक चिंता से बंधा रहता था कि पता नहीं उससे कब ,कहाँ , कुछ आपराधिक कर्म हो जाये ! तो अपराध बोध से डरा हुआ, दबा ,और चिंतित व्यक्ति कभी भी स्वछन्द जीवन नहीं जी सकता था। मगर चर्च के पुजारी लोगो के परिवार और मित्र समूह स्वछन्द जीवन तो जीते ही थे, अगर कुछ वास्तव में कुछ आपरधिक हो जाये तब आसानी से धार्मिक पंचायत में मिली-भगति- करके बच भी निकलते थे !!!
चर्च के पादरियों की न्याय व्यवस्था में कुछ भी स्थाई मानदंड नहीं थे, तथा गुनाह पूर्व घोषित नहीं थे , न ही न्याय करने की प्रक्रिया । इंसान को अनुशासन के नाम पर डरा करके आपराधिक बोध से दबा कर रखा जाता था , आजीवन।
चर्च के पादरियों का आचरण भारत की ब्राह्मणी व्यवस्था के सामान समझा जा सकता है।
चर्च की प्रभुसत्ता के विरोध में जन आंदोलन उठा , जो की कारीगर वर्ग ने आरम्भ किया। इन्होने अपने खुद के संस्करण का चर्च स्थापित किया। यह आंदोलन तत्कालीन जर्मनी से आरम्भ हुआ था। यह लोग protestant कहलाये। इन्होनें अपनी सोच और विचारधारा के अनुसार जो चर्च बसाया उसका केंद्र(head quarter ) था church of england . और ये चर्च रोम शहर के बीच में बसे vatican के चर्च के विपरीत सोच का है।
protestant लोगों में चर्च मात्र एक अर्चना करने का गृह है , उसके पादरी के उपदेशों का जीवन में पालन करना अनिवार्य नहीं है। जीवन में सिर्फ बाइबिल के वचन निभाना ही आवश्यक है , और वो भी अपने खुद के मतानुसार। इस पंथ में प्रभु युसु से इंसान सीधा सम्बन्ध रखता है , पादरियों की मध्यस्थता आवश्यक नहीं होती है। न ही पादरियों के प्रति कोई विशेष सम्मान भाव रखना। जबकि catholic पंथ में pope तो साक्षात् प्रभु युसु के धरती पर अवतार माने जाते हैं। और उनके वचनो को भी बाइबिल के समान महत्त्व देना होता है।
protestant पंथियों के अनुसार कभी भी , कोई भी इंसान न तो बाइबिल में कुछ जोड़ सकता हैं, और न ही निकाल सकता है। इसका अर्थ है की तमाम संतों का कोई विशेष स्थान नहीं बनता है। इसलिए protestant समूह में christmas के त्यौहार को मौजमस्ती और झूम मस्ती से मनाया जाता हैं। जबकि catholics में christmas का त्यौहार एक पवित्र दिन है , जिस दिन बहोत सलीके से , शालीनता से रहना होता है (यानि झूमना , नाचना, धूम मस्ती करना सख्त मना है ) . और संत का समाना तो परम आवश्यक है --इसलिए maggi और saint nicholas की स्तुति गयी जाती है। इसके बनस्पत , protestant पंथी तो संतों के नाम का भी मौज-मस्ती करण करके उन्हें santa बुलाते हैं, और उन्हें जोकर-नुमा लिबास पहना करके santaclaus को घर-घर बुला कर सभी में तोहफे बांटे जाते हैं। ( यह प्रथा norway से आरम्भ हुई थी। )
protestant पंथी लोग अनुशासन को अनावश्यक समझते हैं। वह दंड देने की प्रथा से अधिक श्रेष्ठ सुधार की प्रथा को मानते है। वह सभी समूहों, धर्मों, वर्गों में समानता के पालक लोग होते है। वो हमेशा rational तर्क रेखा के अनुसार न्याय और नियम की रचना करते है , और कारणों को सार्वजनिक करना परम धर्म मानते हैं। इसलिए protestant लोग विज्ञान प्रेमी भी होते हैं। secularism की धार्मिक संस्कृति इसी वर्ग की देन है। यह लोग मानव वाद को सर्वश्रेष्ठ धर्म मानते हैं। मानवधिकारों का मूल भी इन्ही लोगो की सोच की देन है। आज यह लोग पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका पर शासन करते हैं। इनके देशों के शासन को protestant होना अनिवार्य होता है। (इंग्लॅण्ड , नॉर्वे , स्वीडन , डेनमार्क, के राजशाही घरानों को protestant पंथी होना अनिवार्य होता है। )
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