भक्त बनाम लिबेर्टर्डस
भक्त और लिबेर्टार्डों के बीच मोटे मोटे तौर पर दो मुख्य बिन्दूओं पर अंतर है : आरक्षण-विरोधी आचरण (anti-reservationism) और इस्लाम पंथ विरोधी आचरण (anti-Islamism) । इस्लाम-विरोधी आचरण का प्रतिसूचक है कश्मीर में धारा 370 का विरोध । भक्तों का कट्टर राष्ट्रवादी-पना भी असल में कश्मीर-प्रेम में लिबेर्टार्डों से अपने को अधिक श्रेष्ट दिखाने का नतीजा है। भक्त कश्मीर-प्रेम के चक्कर में राष्ट्रवाद की उन सीमाओं को भी पार कर रहे हैं जिसको की राष्ट्रवाद के सिद्धांत देने वाले बुद्धिजीवियों ने चेतावनी दी थी , नहीं होनी चाहिए। राष्ट्रवाद कोई प्राकृतिक भावना नहीं है, इंसानों की बनाई हुई है। इसको बनाने वाले बुद्धिजीवियों ने चेतावनी के साथ राष्ट्रवाद बनाया था की आवश्यकता से अधिक होने पर यह भावना फासिज़्म को जन्म दे सकती है, जब राष्ट्रवाद समुदायों का भला करने के स्थान पर माफियाओं के कब्जे में जा कर भोग-भूमि का इलाका सरक्षित करने के लिए प्रयोग होने लगेगा। इतिहास के पन्नों में देखें तो दिख भी जायेगा की फासिज़्म मुख्यतः इटली में जन्मा था, जहाँ की माफिया का भी जन्म हुआ है। माफिया का अभिप्राय है उद्योगपत