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Showing posts from July, 2020

सामाजिक मस्तिष्क, प्रजातंत्र- साम्यवाद, और depression , nepotism

आज सुबह से ही बहोत ही विचित्र सयोंग वाले विषयों पर देखने-पढ़ने को हो रहा है।  यह सब विषय 'विचित्र सयोंग" वाले क्यों हो सकते हैं, यह सोचने-समझने का काम इस लेख की मदद से आप लोगों को तय करने पर छोड़ दिया है । सुबह, सर्वप्रथम तो एक वृतचित्र देखा था - इंसान के सामाजिक मस्तिष्क - social brain के बारे में।  फ़िर दोपहर में सर्वप्रथम एक लखे पढ़ा और फ़िर उस पर एक वृत्रचित्र देखा था -रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) द्वारा 1973 में भेजा गया चंद्रमा पर rover अभियान - दो Lunokhod rover जिनको सोवियत संघ ने सफ़लता पूर्वक प्रक्षेपित किया था और तत्कालीन तकनीकी में भी उसे धरती से नियंत्रित करने की क्षमता रखते थे । और तीसरा, शाम को हिन्दी फिल्म देख रहा था - केदारनाथ, जो की दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत   द्वारा अभिनित है और हिन्दू-मुस्लिम विषय को छेड़ती है। सुशांत सिंह ने संभवतः depression से शिकार हो कर आत्महत्या करि थी, - कम से कम प्रथम दृश्य तो यही कहा गया था, मगर आरोप यह बने थे की वह nepotism से त्रस्त हुए थे, कुछ लेखों में उनमे social quotient की कमी होने के दावे दिये गये थे। क्या अंदाज़ा लगा सकते हैं

यूपी के राजनैतिक नेतृत्व में 15वीं शताब्दी राजसी युग का "समाजवादी" अर्थतंत्र है

अखिलेश के संग कमियां है। अखिलेश "राजनीति करने" को एक पेशा समझते हैं, इंसान के समाज की ज़रूरत कम। अखिलेश के अनुसार "राजनीति करने" में कुछ ख़ास कौशल और ज्ञान लगता है जो हर एक व्यक्ति के पास नही होता है, सिर्फ ख़ास लोगों में ही होता है,  जो की फ़िर राजनीति के माहिर खिलाड़ी होते हैं । !! ऐसा लगता है अखिलेश का world view अभी तक पूरी तरह विकसित नही हुआ है। वह पार्टी को किसी corporate की तरह देखते समझते है। समाज में से उभर रहे leaders को पहचान कर सकने में कमज़ोर हैं। बल्कि समाज को अपने सुझाये हुए व्यक्ति को leader बना कर देते हैं। अखिलेश समाज को आवश्यक राह पर दिशा संचालन कर सकने में कमज़ोर हैं। न ही उनके चुने हुए लीडर। सब के सब आत्म भोगी है। आजमखान शायद थोड़ा बहोत अपने समाज के business interest का प्रतिनिधत्वि करते थे। अखिलेश को अपने समाज की टोह नही है, कि इनकी क्या ज़रूरत है, जिसको पूर्ण करना चाहिए।  अखिलेश और यूपी के तमाम अन्य नेताओं के अनुसार यूपी की ज़रूरत है कि लोगों के पास नौकरी नही है। तो इसके लिए बारबार यूपी में आने वाले नेतागण सरकार बना लेने पर कोई न कोई सरकारी नौकरी में भर