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Showing posts from June, 2023

Why say "No" to the demand for a Uniform Civil Code in India

 What is Uniform Civil Code? Uniform Civil Code (UCC) is a set of laws that apply equally to all residents regardless of their sexual orientation, gender, or affiliation with a particular religion. It means that all sections of society, irrespective of their religion, shall be treated equally according to a national civil code, which shall be applicable to all uniformly. The code covers areas like marriage, divorce, maintenance, inheritance, adoption, and succession of property Which democracies have the UCC ? A simple Google Search will reveal that the US does not have UCC, in that, each state is allowed to have it's own laws for governing the personal laws of the citizens. The Google Search will reveal that France, Australia and and the United Kingdom have something of the " Uniform " Civil Code. But a deeper search of what is " uniform " in these countries wil reveal that it only means a set of laws applying homogenously across all the sub-divisions of the c

एक तरफ ego होती है, दूसरी तरफ narcissism

जब इंसान में ज्ञान आने लगता है तब उसमे ego जन्म लेने लगता है, और जब इंसान में ज्ञान नहीं होता है, तब इंसान में narcissism जन्म लेने लगता है। इंसान दोनो दिशाओं में फंसा हुआ है।आत्मबोध के बगैर बच पाना मुश्किल होता है। Ego वाला इंसान स्वयं को दूसरे से अधिक श्रेष्ठ साबित करने में व्यसन करता है,  जबकि narcissism वाला इंसान दूसरे को स्वयं से तुच्छ साबित करने में व्यसन करता है। Ego ज्ञान यानी बाहरी सासंकारिक बोध का प्रतिनिधत्व करती है। Knowledge से ego जन्म लेती है। जबकि Narcissism अत्यधिक self knowledge का प्रतिनिधित्व करती है। जब इंसान बहुत अधिक अपने में तल्लीन हो जाता है कि वह बाहर की दृष्टि से स्वयं को देखने छोड़ देता है, तब आतम्मुग्ध हो जाता है। अत्याधिक आत्म बोध करने से आत्म मुग्धता आती है।

पौराणिक चरित्रों के चरित्र में परिवर्तन समाज के लिए हितकारी है, या नही

प्रोफेसर दिलीप चंद्र मंडल बता रहे हैं कि फिल्म "आदिपुरुष" में हनुमान जी के चरित्र को बेहद उग्र, हिंसक और भद्दी जबान प्रयोग करते जो दिखाया गया है, ये एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया experiment है। प्रो मंडल के अनुसार ये रुद्र हनुमान के चित्रण वाला experiment सन 2015 से चालू हो चुका है, और शायद इसका मकसद है हिंदू जनता के मन में विश्वास जमाना कि secularism विचारधारा से देवता गण रूष्ट, क्रोधित हैं। हालांकि ऐसा सीधे शब्दों में कहीं कुछ नही कहा गया है, मगर आंख–कान के पीछे से ये बात फिर भी दिमाग के अंदर पहुंचाई जा रही है, कि --  १) हिंदू देवता गण, जिनमे हनुमान जी भी शुमार होते हैं, वे बेहद क्रोधित और उग्र हैं —— २) इसलिए क्रोधित और उग्र होना आम हिंदू के लिए सामान्य बात होती है —— ३) भद्दी भाषा का प्रयोग सामान्य चलन है, धर्म की रक्षा के लिए प्रयोग किया जाना सामान्य है —— ४) धर्म का अर्थ है, हिंदू —— ५) धर्म यानी हिंदू का शत्रु है — मुस्लिम, ईसाई, sickularism ६) धर्म के शत्रुओं के संग वैसे पेश आने की जरूरत है, जैसा कि रुद्र हनुमान आ रहे हैं  मगर ऊपर की सिर्फ प्रथम तीन बातें सीधे

अखबारों में क्या और कैसी खबरें पढ़नी चाहिए?

अखबार पढ़ने का मकसद क्या होता है? क्या और कौनसी प्रकार की खबरों को हमें ध्यान दे कर , खोज खोज कर पढ़ना चाहिए? जीवन में प्रतिपाल इंसान को alert रहना पड़ता है , Precautions लेने पड़ते हैं, prudence दिखानी पड़ती है कि वो आने वाली संभावित मुसीबत से बचने का प्रबंध पहले से ही लेकर तैयार खड़ा हुआ है। सोचिए, कि कोई बालक ये सब कैसे प्राप्त कर पाएगा जीवन में, क्योंकि सर्वप्रथम  सच तो ये है कि कोई भी इंसान मां के पेट से ये सब सूझ बूझ सीख कर आता नही है दुनिया में  तो फिर? अब उसे ये सब कहां, और कैसे सीखने को मिलेगा? कुछ सुझाई पड़ा क्या आपको अभी अभी? जी जां, यही तो है अखबार पढ़ने का मकसद। दरअसल अखबारों को प्रकाशन करने के पीछे की आरम्भिक युगों की सूझबूझ तो यही थी !  कि, नई पीढ़ी को समझदार बनाने का मार्ग निर्मित करना, और मौजूदा पीढ़ी को सूझबूझ को नवनिर्मित करते रहने का मार्ग देना। अखबारों में बालको को थोड़ा नकारात्मक किस्म को खबरों को पढ़ना चाहिए ! हालांकि ये अपने आप में गलत सुनाई पड़ेगा, क्योंकि भय ये रहता है कि नकारात्मक खबरेंअबोध बालको के मस्तिष्क को सदमा दे सकती हैं, और वह अपने आप में वजह बन सकती

Learn to let your Emotions flow smoothly. For that, you need to learn the good Expressions from the masters of the art

To meet our best performance in any field, we first need to become PASSIONATE about our work related to that field. To become PASSIONATE, we need to let lose our emotions and allow them to flow freely - to express our like and our criticism about our work. To help the flow of Emotions, we need EXPRESSIONS. And for letting out our EXPRESSIONS, we need not just the vocabulary, but also an ability to tell a story, to write poems and to sing songs. How do we built our treasure of EXPRESSIONS ? By watching and learning from others who are considered the masters. Mere watching is not sufficient, we also need to practice them in our day-to-day life।

Difference between Investigation, Enquiry and Trial

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Difference between Investigation, Enquiry and Trial 

आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में साहित्य क्यों पढ़ाया जाता है?

आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में साहित्य क्यों पढ़ाया जाता है? शायद ध्यान दिया होगा कि अक्सर करके जो बच्चे बचपन में पढ़ाई लिखाई के कार्यों में अच्छे होते थे, वे बड़े होते होते न जाने क्यों पढ़ाई लिखाई से मोहभंग सा व्यवहार करते हुए उनका मन उचट जाता है। कई सारे बालक आरंभिक दौर में तो गणित में अच्छा करते रहते हैं, मगर फिर बाद में गणित , physics, chemistry उनको बहुत मुश्किल और bore विषय लगने लग जाते हैं।  ऐसा क्यों होता है? लगभग सभी माता- पिता एक सामाजिक चलन से बनने वाली सोच के कैदी होते है, और वे "स्वभावतः" ये सोचने लगते हैं कि ऐसा इसलिए हो जाता है कि अब बच्चा पढ़ाई लिखाई में ध्यान नहीं देता है, वो जैसे जैसे बड़ा हो रहा होता है, उसकी अभिरुचि कई और जगह भी लगने लग रही होती है, जिसकी वजह से अब वह पढ़ाई लिखी पर अपना सारा ध्यान केंद्रित करना बाद देता है। और इसलिए वह कमज़ोर हो जाता है। ये सोच गलत होती है।  कैसे? गौर करके यदि हम मंथन करें तब शायद हमें यहां साहित्य के अध्ययन का महत्व दिखाई पड़ने लग जाए। दरअसल इंसान का शिशु अपने जन्म से ही सभी जीवन रस लेंकर पैदा नही होता है। हिंदू दर्शन में ऐ