एक तरफ ego होती है, दूसरी तरफ narcissism
जब इंसान में ज्ञान आने लगता है तब उसमे ego जन्म लेने लगता है,
और जब इंसान में ज्ञान नहीं होता है, तब इंसान में narcissism जन्म लेने लगता है।
इंसान दोनो दिशाओं में फंसा हुआ है।आत्मबोध के बगैर बच पाना मुश्किल होता है।
Ego वाला इंसान स्वयं को दूसरे से अधिक श्रेष्ठ साबित करने में व्यसन करता है,
जबकि narcissism वाला इंसान दूसरे को स्वयं से तुच्छ साबित करने में व्यसन करता है।
Ego ज्ञान यानी बाहरी सासंकारिक बोध का प्रतिनिधत्व करती है। Knowledge से ego जन्म लेती है।
जबकि Narcissism अत्यधिक self knowledge का प्रतिनिधित्व करती है। जब इंसान बहुत अधिक अपने में तल्लीन हो जाता है कि वह बाहर की दृष्टि से स्वयं को देखने छोड़ देता है, तब आतम्मुग्ध हो जाता है। अत्याधिक आत्म बोध करने से आत्म मुग्धता आती है।
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