अखबारों में क्या और कैसी खबरें पढ़नी चाहिए?

अखबार पढ़ने का मकसद क्या होता है? क्या और कौनसी प्रकार की खबरों को हमें ध्यान दे कर , खोज खोज कर पढ़ना चाहिए?

जीवन में प्रतिपाल इंसान को alert रहना पड़ता है , Precautions लेने पड़ते हैं, prudence दिखानी पड़ती है कि वो आने वाली संभावित मुसीबत से बचने का प्रबंध पहले से ही लेकर तैयार खड़ा हुआ है।

सोचिए, कि कोई बालक ये सब कैसे प्राप्त कर पाएगा जीवन में, क्योंकि सर्वप्रथम  सच तो ये है कि कोई भी इंसान मां के पेट से ये सब सूझ बूझ सीख कर आता नही है दुनिया में 

तो फिर? अब उसे ये सब कहां, और कैसे सीखने को मिलेगा?

कुछ सुझाई पड़ा क्या आपको अभी अभी?

जी जां, यही तो है अखबार पढ़ने का मकसद।

दरअसल अखबारों को प्रकाशन करने के पीछे की आरम्भिक युगों की सूझबूझ तो यही थी ! 

कि, नई पीढ़ी को समझदार बनाने का मार्ग निर्मित करना, और मौजूदा पीढ़ी को सूझबूझ को नवनिर्मित करते रहने का मार्ग देना।

अखबारों में बालको को थोड़ा नकारात्मक किस्म को खबरों को पढ़ना चाहिए ! हालांकि ये अपने आप में गलत सुनाई पड़ेगा, क्योंकि भय ये रहता है कि नकारात्मक खबरेंअबोध बालको के मस्तिष्क को सदमा दे सकती हैं, और वह अपने आप में वजह बन सकती है बच्चे का नकारात्मक रवैया वाला बन जाने का, 

मगर फिर भी यदि बालक इस खतरे से खुद को प्रबुद्धता से बचाए रख सके, तब उसे अपने समझदार बनने के वास्ते पढ़नी तो नकारात्मक खबरे ही चाहिए।

छोटी छोटी त्रासदियां, दुर्घटनाएं, क्रियाकलाप, ये सब इंसान को सूझबूझ बढ़ाने में बेहद योगदान देती हैं।


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