जीवन के नौ रस क्या हैं? इनका क्या अभिप्राय है, हमारे जीवन से क्या संबंध है?

जीवन के नौ रस क्या हैं? इनका क्या अभिप्राय है, हमारे जीवन से क्या संबंध है?

1963 में प्रकाशित हुई एक किताब the Power of Subconscious Mind ने दुनिया में तहलका मचा दिया था ,ये दावा पेश करके कि कोई भी इंसान अपने दिमाग की सोच की बदौलत कुछ भी बन सकता है, कुछ भी हासिल कर सकता है । कहने का सीधा मतलब दुनियावालों के अनुसार ये था कि बस बैठे- बैठे, यूं सोच - सोच कर गरीब आदमी ,अमीर और अमीर आदमी गरीब बन सकता है। 
किताब में दावा की theory ये थी कि जब इंसान के दिमाग में, भीतर में उसका अवचेतन मन, यानी sub conscious mind, किसी विचार में यकीन करने लग जाता है, तब वह खुद से ही ऐसी क्रिया प्रतिक्रिया को इंसान के शरीर में से त्वरित करवाने लगता है की वाकई में वैसा हो भी जाता है जैसा उसका अवचेतन मन सोच रहा था। सवाल था कि क्या जो कुछ हम सोच रहे होते हैं, ये हमारे अवचेतन मन से नही सोचते हैं क्या? 

यदि नही, तो फिर हम अपने दिमाग के किस हिस्से से सोचते हैं? और क्या हमारा ये तथाकथित अवचेतन मन हमारे बाकी दिमाग से अलग हट कर सोचता है क्या?

और, अवचेतन मन को हम कैसे वो चीज सोचवाए जो हम चाहते हैं, अपने उस दिमाग की सोच से जिसे कि हम जानते सुनते हैं?

किताब में आगे इन बातों पर चर्चा करते हुए ये बताया गया है कि, सबसे प्रथम कि इंसान का दिमाग अपने सोचने की क्रिया के मद्देनजर कुछ हिस्सों में विभाजित है, और जो कुछ हम साधारणतः सोचते है , वह हम अपने आगे के मस्तिष्क, यानी चेतन मन(Conscious Mind) से कर रहे होते हैं। Conscious Mind इंद्रियों से जुड़ा होता है इसलिए वह संसार को हमारे साथ साथ में देखता , सुनता, समझता रहता है। इसलिए वह दुनिया के धोखे और विश्वास के झूलों पर झूलता हुआ, रोज नई सोच सोचता रहता है । वह स्थिर सोच नहीं रखता है। आज कुछ सोचेगा, और कल ठीक उसका उल्टा भी सोच देगा ।
ये है चेतन मन।

मगर , किताब के अनुसार, अवचेतन मन ऐसा नही है। वह चेतन मन के भीतर में बैठा, अंधकार में रहता है, संसार से अबुझ, बिना आंख और बिना कान वाला होता है। वह केवल भावनाओं को भांप सकने भर तक की बुद्धि रखता है। उससे ज्यादा नहीं। और इसलिए वह वास्तव में हमारे चेतन मन में दौड़ रही जानकारी के महामार्ग का route निर्धारित करने की क्षमता रखता है। और इस प्रकार से, वह अनजाने में हमारी प्रतिक्रिया को निर्धारित करता रहता है। प्रत्येक इंसान एक ही किस्म की जानकारी पर अलग अलग प्रतिक्रिया कैसे कर सकता है? इसने जवाब , किताब के अनुसार, है, कि सभी इंसानों का अवचेतन मन अलग अलग भावनाओं के अनुसार उनसे अलग अलग प्रतिक्रिया करवाता रहता है।

2009 में आई एक प्रसिद्ध हिंदी फ़िल्म, ओम शांति ओम, में ये डायलॉग था कि जब आप दिल से कुछ चाहने लगते हैं, तब सारी कायनात मिल कर उसे आप को दिलवाने की साजिश करने लगती है।

ये डायलॉग वास्तव में किताब की कथनी का एक सारांश था। 
Subconscious mind में आपके मन के moods का निवास होता है।
और moods निर्धारित कर देते हैं कि आप हासिल क्या करते हैं आखिर, जीवन में।

आपकी किसी क्षेत्र में रुचि, यानी interest आपकी प्रेरणा, आपके उत्साह motivational energy से तय होती है। आपका interest आपके moods का एक प्रकार होता है।

 और moods कैसे पुख्ता किया जा सकता है किसी इंसान में?

जवाब शायद , हिंदी धर्म ज्ञान में कुछ hint के रूप में पड़ा हुआ है, जीवन के रस का रसपान कर के!!
हिंदी धर्म ज्ञान में बताया गया है कि जीवन में नौ किस्म के रस होते हैं,( कुछ लोगों के अनुसार नौ नहीं दस होते हैं।)। बरहाल, जीतने भी हों, ये emotional feelings को दर्शाते हैं। आधुनिक विज्ञान में emoji बनाते हुए, खोजकर्ताओं में सौ से भी अधिक moods की पहचान करी है इंसानों के व्यवहार में, और इसी प्रकार से कईयों को दर्शाने के लिए सोशल Media कि chat में प्रयोग किए जाने वाले Emoji चेहरे तैयार किए हैं, बात चीत को दिलचस्प यानी interesting बनाने हेतु। 

इंसान का interest उसकी किस्मत तय करते हैं। पुराने , प्राचीन सांसारिक ज्ञान में रस यानी juice की पहचान वास्तव में interest की बात है। और प्राचीन ज्ञान में कहा गया है कि इन नौ प्रकार के जीवनरस को पी सकने वाला इंसान समृद्ध बनता है। ये नौ रसों को बाल्यावस्था से ही पकड़ना शुरू करना होता है, तब जा कर इनका स्वाद इंसान को भाता है। आगे की आयु में तो वह केवल इनको स्वीकार या अस्वीकार करता है, चखता नही है।

 इनमें सबसे आरंभिक रस होता है भक्ति रस यानी devotional mood। ये बाल्यावस्था का सबसे प्रथम रस होता है, जब इंसान संसार के बारे में कुछ भी नहीं जानता है। तब वह केवल माता पिता के बताए , कथन को आंख मूंद कर यकीन करता रहता है, और leap of faith लगाने की साहस दर्शाता है। जैसे, जब किसी छोटे बच्चे को उसका पिता हाथों में ले कर हवा में कई फीट ऊपर उछाल देता है, तब बच्चा भयभीत होने की जगह खुश होता है, हंसता और गुदगुदाता है, चहचहता है। ये भक्तिरस का परम श्रद्धेय पल होता है। उसके मन का विश्वास कि वह वापस सुरक्षित लौट आएगा अपने पिता की बाहों में।

ये भक्ति रस आगे जीवन में बहुत जरूरी होता है। क्योंकि यही से इंसान जादू में विश्वास करना सीखता है। और वह miracles को मानने लगता है। हालांकि आगे के ज्ञान में उसे ये बताया जाने लगता है कि जादू वाडू कुछ नहीं होता है, miracle वगैरह बेवकूफ बनाने के धंधे होते हैं ढोंगी बाबा साधु संतों के, मगर सच ये होता है कि इंसान कई बार वाकई में मात्र विश्वास कर सकने की कला के सहारे वाकई में अद्भुत, अविश्वसनीय, कारनामे जीवन में कर गुजरता है। आपने cricket के खेल में, या फुटबॉल के तगड़े, tight finish वाले मैच में ऐसे कारनामे कई बार होते हुए देखे होंगे। ये सिर्फ खेल और क्रीड़ा तक सीमित नहीं होते है। ये सेना, फौजों में, चिकित्सा, बीमारी को शय मात देने की मरीज की ताकत में भी यदा कदा दिखाई सुनाई पड़ते हैं।

सीधा , सारांश ये है कि जो व्यक्ति जादू में विश्वास करता है, वही जादू कर भी सकता है।

इतनी ताकत होती है, इंसान के विश्वास में। यही बात किताब भी कहती है।

अब जादू से मेरा मतलब वह नही है कि सड़क पर, या बर्थडे पार्टी में, या stage पर जादू दिखाने वाले तमाशबाजो कि वैज्ञानिक पोल को समझना बंद कर दिया जाए। मेरा बस इतना मतलब है कि कही ऐसा नही हो जाए कि वैज्ञानिक पोल खोलने खोलने के चक्कर में इंसान का विश्वास इतना कमजोर नहीं हो जाए कि वह अचंभित, अविश्वसनीय क्रिया कर गुजरने के अपने मन के यांकिन को ही लूटा, खुआ बैठे !! 

I believe in miracles, something really good in everything I see, 
 I cross the street , I have a dream  

ये ईसाई लोगो का एक motivational, devotional song है। ये गाना मेरी बात का सारांश अपने भीतर सहेजे हुए है।


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