इतिहास कैसे लिखा जाता है ? किस मंशा के साथ ?
इतिहास क्यों पढ़ाया जाता है, इस विषय पर तो बहुत कुछ मंथन किया जा चुका है,
मगर अब एक मंथन की ज़रुरत है कि इतिहास लिखा कैसे जाता है? किस मंशा के साथ?
इतिहासकार इतिहास को लिखते समय निम्मलिखित दो मंशाओं को केंद्र में रख सकते हैं:-
१) मंशा : सामाजिक इतिहास का लेखन
इस प्रकार के लेखन का उद्देश्य ये होता है कि पाठक छात्र जल्द से जल्द अपने समाज को संचालित करती अदृश्य , अगोचर शक्तियों को अपने मस्तिष्क में ग्रहण कर सके और फिर स्वयं को तीव्रता से समाज में अपने स्थान के संघर्ष के लिए तैयार कर ले।
२) मंशा : समाज के बीच सत्ता को प्राप्ति करने के लिए संघर्ष कर रहे समूहों का रहस्य उदघोटन
कि, वे कौन कौन से समूह हैं, क्या उद्देश्य हैं उनके, वे किस दूसरे समूह के विरुद्ध संघर्ष रत हैं, क्या विवाद के मुद्दे हैं उनके बीच आपस में, कैसे संचालित करते हैं वे समुदाय अपने बीच में, अपने अधीन समाज को ,
क्या हैं उनके धार्मिक दर्शन, विश्व दर्शन, अन्य philosophy के विचार,
और क्या क्या घट कर बीत चुका है उनके संघर्ष की गाथाओं के दौरान।
ये दूसरा वाला इतिहास वास्तविक विषय होता है समाज की और देश की राजनीति को पकड़ने के लिए। ज़ाहिर है, ये वाला इतिहास स्कूली छात्र पाठकों को किताब में परोस कर नहीं पढ़ाया जाता है।
इस प्रकार के इतिहास को ग्रहण करने के लिए व्यक्ति को खुद से, एक निज़ी शोध कार्य करना होता है ।
ये वो मूल इतिहास होता है जो देश की राजनीति उसके प्रशासन, उसकी न्यायपालिका, देश के तंत्र को प्रतिबिंबित करके समझाता है।
ये वाला इतिहास स्कूली छात्रों को जानना ज़रूरी नहीं है क्योंकि ये केवल स्थानीय मुद्दों को तराशता है, वैश्विक शक्तियों की पकड़ नही थमाता है, दुनिया में अपने स्थान के संघर्ष के लिए इसे जानना इतना आवश्यक नहीं होता है।
ये केवल professionals के लिए है, ऐसे व्यक्ति जो व्यापार और राजनीति के गठबंधन को बूझने के द्वार तक पहुंच गए हो।
ये आर्थिक इतिहास करके पुकारा जाता है।
जबकि स्कूली छात्रों को पढ़ाया जाने वाला राष्ट्रीय इतिहास एक सामाजिक इतिहास होता है।
मगर अब एक मंथन की ज़रुरत है कि इतिहास लिखा कैसे जाता है? किस मंशा के साथ?
इतिहासकार इतिहास को लिखते समय निम्मलिखित दो मंशाओं को केंद्र में रख सकते हैं:-
१) मंशा : सामाजिक इतिहास का लेखन
इस प्रकार के लेखन का उद्देश्य ये होता है कि पाठक छात्र जल्द से जल्द अपने समाज को संचालित करती अदृश्य , अगोचर शक्तियों को अपने मस्तिष्क में ग्रहण कर सके और फिर स्वयं को तीव्रता से समाज में अपने स्थान के संघर्ष के लिए तैयार कर ले।
२) मंशा : समाज के बीच सत्ता को प्राप्ति करने के लिए संघर्ष कर रहे समूहों का रहस्य उदघोटन
कि, वे कौन कौन से समूह हैं, क्या उद्देश्य हैं उनके, वे किस दूसरे समूह के विरुद्ध संघर्ष रत हैं, क्या विवाद के मुद्दे हैं उनके बीच आपस में, कैसे संचालित करते हैं वे समुदाय अपने बीच में, अपने अधीन समाज को ,
क्या हैं उनके धार्मिक दर्शन, विश्व दर्शन, अन्य philosophy के विचार,
और क्या क्या घट कर बीत चुका है उनके संघर्ष की गाथाओं के दौरान।
ये दूसरा वाला इतिहास वास्तविक विषय होता है समाज की और देश की राजनीति को पकड़ने के लिए। ज़ाहिर है, ये वाला इतिहास स्कूली छात्र पाठकों को किताब में परोस कर नहीं पढ़ाया जाता है।
इस प्रकार के इतिहास को ग्रहण करने के लिए व्यक्ति को खुद से, एक निज़ी शोध कार्य करना होता है ।
ये वो मूल इतिहास होता है जो देश की राजनीति उसके प्रशासन, उसकी न्यायपालिका, देश के तंत्र को प्रतिबिंबित करके समझाता है।
ये वाला इतिहास स्कूली छात्रों को जानना ज़रूरी नहीं है क्योंकि ये केवल स्थानीय मुद्दों को तराशता है, वैश्विक शक्तियों की पकड़ नही थमाता है, दुनिया में अपने स्थान के संघर्ष के लिए इसे जानना इतना आवश्यक नहीं होता है।
ये केवल professionals के लिए है, ऐसे व्यक्ति जो व्यापार और राजनीति के गठबंधन को बूझने के द्वार तक पहुंच गए हो।
ये आर्थिक इतिहास करके पुकारा जाता है।
जबकि स्कूली छात्रों को पढ़ाया जाने वाला राष्ट्रीय इतिहास एक सामाजिक इतिहास होता है।
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