हिंदुत्ववादियों की क्या शिकायत है इतिहासकारों से

'हिंदुत्ववादी कौन है?' का वास्तविक बिंदु ऐसी ही post में से निकलता है।

हिंदुत्ववादी उन लोगों को बुलाया जा सकता है जो अतीतकाल की मुग़ल/मुस्लिम सम्राट के दौरान की घटनाओं से आजतक सदमा ग्रस्त हो कर नाना प्रकार के जलन (jealousy), कुढ़न(grudge) जैसे मानसिक विकृतियां(inferiority complexes) अपने भीतर में पाल रखें हैं।

और इन complexes के चलते उनकी वर्तमान काल के इतिहासकारों से ये माँग कर रहे हैं की स्कूली पाठ्यक्रमो में मुग़लों/मुस्लिमों के प्रधानता/महानता के मूल्यांकन को नष्ट कर दें।

और फ़िर अपनी इस माँग को प्राप्त करने के लिए कई सारे उलूलजुलूल "तर्क फेंक रहे है" सामाजिक संवादों में।

जैसे कि, ऊपरलिखित वाक्य।
ये उलूलजुलूल इसलिये हो जाता है क्योंकि मुद्दा ये नही है कि क्या ये सत्य है, बल्कि ये है की क्या जो ज्ञान ये स्कूली किताबो में चाहते हैं, वो इतिहासकारों की दृष्टि से प्रधान(गौढ़) बिंदु का विषय ज्ञान है, या नही?

वर्तमान पीढ़ी के इतिहासकारों के अनुसार अकबर की महानता को जानना और समझना महत्वपूर्ण है भावी पीढ़ियों के लिए, क्योंकि अकबर ने जो कुछ योगदान दिये है , (राज्य प्रशासन रचना , टैक्स नीति, इत्यादि के विषय में ), उनके पीछे के motivation शायद यही से व्याख्यान प्राप्त कर सकता है।

मगर ,
हिंदुत्ववादी वो लोग है, जो इतिहासकारों के द्वारा स्कूली पाठ्यक्रम की किताबो में अकबर को महान बताये जाने से रुष्ट हैं (किसी प्रकार के जलन, कुढ़न और सदमा, complexes से ग्रस्त हो कर) और अब वो इस चाहत को पूर्ण करने के लिए नाना प्रकार के कु-तर्कों को सामाजिक संवाद में प्रवेश करके अपनी कुढ़न के मुताबिक इतिहासकारों के मूल्यांकन को बदलवा देना चाहते हैं।

Right?

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