Critical Thinking और What If Analysis की कबलियात

Critical Thinking की प्रतिभा को बालको में प्रोत्साहन देने की बात तो सभी कोई करता है, मगर जमीन स्तर पर इसको कैसे विकसित करा जा सकता है बालको में, इस पर कोई विशेष मंथन नही हुआ है।

Critical Thinking कोई नैसर्गिक प्रतिभा नही होती है, जो जन्मजात निकलती हो। ये जन्म उपरांत ही विकसित करी जा सकती है, और इसके आरंभिक बीज पर्यावरण से प्राप्त होते हैं।  ये केवल किताबो को पढ़ने से नही आती हैं। इसका मूल जन्मस्थान होता है, संवाद।

आपसी संवाद। ये वो स्थान है जहां से critical thinking निकलती है। इसका अर्थ है कि जितनी चपलता और शालीनता किसी भी बालक को उसके मित्रमंडली में मिलेगी, तमाम तरह के संवाद करने के लिए, उतना ही वह बेहतर तरीके से मंथन करने की प्रतिभा को अपने भीतर बीज बो सकेगा।

इसका अर्थ ये भी है कि महज आज्ञाकारी हो जाना , और नीत दिन बैग उठा कर स्कूल जाने से कोई बालक एक बेहतर critical thinking नही विकसित कर सकता है अपने भीतर में। और न ही दुनिया भर की किताबो को पढ़ने से ये प्रतिभा प्राप्त करो जा सकती है।

तो इसका अर्थ हुआ कि critical thinking केवल संवाद यानी बेहतरीन आपसी चर्चा और बातचीत करके ही विकसित करी जा सकती है। 

अब बेहतरीन आपसी बात चीत कर सकने से संबंधित नए सवाल सामने खड़े हो जाते है । जैसे कि, शालीनता और विनम्रता नए विषयवस्तु बन कर निकलते हैं, अच्छे संवाद और वार्तालाप को कायम रख सकने के।आवश्यक तत्व बन कर। वार्तालाप को भटकने से रोकने के लिए ध्यान बनाए रख सकने की काबिलियत , आत्म अनुशासन भी एक अतिआवश्यक गुण दिखाई पड़ने लगता है ।

Critical Thinking एक प्रकार का बौद्धिक योग होता है , जिसको अपने भीतर विकसित करने के लिए एक उच्च कोटि का बुद्धि का अभ्यास चाहिए होता है। इसके दौरान किसी भी विषयवस्तु विचार को अलग अलग तरफ से पलट- चटक कर, तोड़ मरोड़ कर सोचने की आवश्यकता होती है। इस दौरान विषयवस्तु से भटक जाने का संभावना होती है, तमाम experimental thoughts के परिणामों को गुम करके भुला देने की संभावना होती है।

Critical Thinking के लिए एक अन्य आवश्यक प्रतिभा जो चाहिए होती है वह है What If Analysis की। अब इस वाली प्रतिभा के रोपक बीज जुड़े होते है भविष्य की अटकलें लगा सकने की कबलियाय से। यानी ये गुण नैसर्गिक तौर पर उन परिवार के बालको में।मिल सकता है जहां पुराने समय की ज्योतिषी और राशिफल, इत्यादि में पेशा हुआ करता था। 

What If Analysis करने में प्रवीण बनने के लिए बालको को प्रश्न को "यदि" के क्षितिज से जा कर उत्तर देना होता है। यहां पर ही अधिकाश बालक मात खाने लगते है क्योंकि अधिकांश बालक उत्तर ये देते है कि, ' जिस गली जाना नही, उसकी बात क्या करना ', या फिर कि "अगर मेरी फूफी को मूछें होती, तो मैं उन्हे फूफा कहता"।

परंतु, यही वह स्थान बिंदु भी है जहां से critical thinking के बड़े दरवाजे खुलते है आगे के मार्ग पर जाने वाले। जो व्यक्ति, और जो बालक, यदि के क्षितिज से उठते सवालों के संभावित जवाबो को तलाश कर पाते हैं, और अपनी बात को सिद्ध करने के लिए प्रयत्न करते हैं, अपने लिए प्रमाणों का मानक बनाते है , वही बेहतर critical thinking योग कर के आगे बढ़ सकते हैं।

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