कौन सा वर्ग था वह जो कि हिंदू मंदिरों को बादशाह अकबर के आतिथ्य से जोड़ता था

आजकल, हिंदुत्ववाद की क्षय प्राप्त करके बहुत सारे पंडित लोग -ये मिश्रा, पाठक, पाण्डेय, तिवारी त्रिपाठी लोग— पोल खोल में लगे हैं , तमाम "झूठ से पर्दा उठाने में लगे हैं " कि,

 — कैसे देश की जनता को "झूठ" बताया गया था, (कांग्रेस सरकार के जमाने में ), ये जो देश भर के कई सारे मंदिरों से जुड़ी जो बादशाह अकबर वाली कहानियां है ——वो सब कहानियां झूठी और मनगढ़ंत है।

कहानियाँ, जैसे कि, कैसे एक बार बादशाह अकबर जब उस फलाना मंदिर आए था, तब मंदिर के देवता के प्रकोप से क्या अचरज वाली जादुई घटना घटी थी, जिससे भक्तिभाव से श्रद्धालु हो कर बादशाह अकबर ने उस फलाना मंदिर का निर्माण करवाया था, अथवा कितनी बड़ी जमीन दान कर दी थी, अथवा कितना ढेर सारा सोना चढ़ाया था।

तो आजकल पण्डित लोग बताने लगे है कि ये सब कहानियां झूठ है, और आरोपित तौर पर, कांग्रेस पार्टी की फैलाई गई मिथक है, secularism को फैलाने की मंशा से।

हो सकता है कि पंडितों (मिश्राओ, पाठक, पाण्डेय, तिवारी त्रिपाठी लोग) की तथ्यिक बात सही हो, कि बादशाह अकबर वाली कहानियां फर्जी थी, और सच में अकबर कभी उस मंदिरों में नहीं गया हो, 

मगर सवाल ये है, कि इन मनगढ़ंत किस्से को फैलाने वाला गुट था कौन? क्या कांग्रेस पार्टी थी, या फिर यही पंडित वर्ग (मिश्रा, पाठक, पाण्डेय, तिवारी त्रिपाठी लोग) थे घोर अतीत में कभी, शायद मुगलों के जमाने में ?

ये असल सवाल है कि 
१) interested party कौन थी, मंदिर को बादशाह अकबर की किसी आगमन की कहानी गढ़ने वाली? 

सवाल ये नहीं है कि,
२) क्या सच में अकबर आया ही था?

सवाल हमारे सामने वो है — देशभर के समाज के सामने, जो पहला वाला है। दूसरा वाला सवाल तो भटकावा है, असल बिंदु से, ताकि कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करके, पंडित लोग (मिश्रा, पाठक, पाण्डेय, तिवारी त्रिपाठी लोग) मोदी, भाजपा , RSS और हिंदुत्व के पक्ष को तो मजबूत कर ले, साथ में अपने भी देश की जनता से झूठ बोलने के कु कर्म से हाथ साफ कर लें, 

एक नया झूठ बोल कर !

सच शायद ये है कि मंदिरों को बादशाह अकबर की आगमन यात्राओं के कहानियों से जोड़ने वाला interested party वर्ग,कभी किसी जमने में जब मुगलों का राज हुआ करता था, तब ये सब पंडित ही थे, — ये मिश्रा, पाठक, पाण्डेय, तिवारी त्रिपाठी लोग। 

मंदिरों को ये लोग अपनी व्यवसाय की दुकान की तरह चलाते आए है प्राचीन काल से। तो फ़िर ,मंदिर से जन भावना भटक न जाए इसलिए अतीत के युग में इन लोगो ने ही marketing के जैसी युक्ति करी थी, एक प्रकार की साजिश — की अपने अपने मंदिर को उस समय की, उस युग की सबसे शक्तिशाली सरकार से कैसे भी जुड़ा हुआ बताने की कोई कहानी मनगढ़ंत बना कर जनता को सुनते रहे !!। ताकि जनता की श्रद्धा बनी रहे मंदिर से, और जनता आती रहे मंदिर पर, चढ़ावा चढ़ाती रहे ! पंडित की व्यवसाय की दुकान चलती रहे !

ये इनकी पुरानी फितरत और चालाकी रही है। 

अब आज जब हिंदुत्व की सरकार का समय चल रहा है, तब यही पंडित लोग अपने झूठ कर्मों का घड़ा कांग्रेस पार्टी के सर फोड़ रहे हैं, और इस प्रकार से एक नया झूठ बोल कर एक तीर से दो निशाने लगा रहे हैं ! दोष कांग्रेस पर तो डाल ही रहे हैं, — secularism करके मुसलमानों को बढ़ावा देने का दोष, संग में।

और साथ ही में, खुद को, और मोदी को, जनभावना में मजबूत कर रहे है, वही चाल जो ये लोग सदियों से करते हुए पहले कभी मुगलों और बादशाह अकबर से जोड़ कर कर रहे थे !

असल दोषी तो ये मिश्रा, पाठक, पाण्डेय, तिवारी त्रिपाठी लोग ही है, जनता को झूठ बोल कर गुमराह करते रहने का। 
तब भी ये ही लोग साजिश करने वाले थे, और आज भी।


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