हिंदू धर्म में लगे अंतरात्मा के रोग

हज़ारों वर्षों से भी अधिक पुरानी सनातन परंपरा ऐसा नहीं है कि इतने वर्षों तक यूं ही रोग मुक्त हो कर पनप गई।
धर्म क्योंकि इंसान की अंतरात्मा को प्रभावित करता है, इसलिए धर्म पर लगे रोगों को "अंतरात्मा के रोग" करके पुकारा जा सकता है।
हिंदू धर्म, यानी सनातन परंपराओं एक संग्रह, 
इनमें ऐसे बहुत से रोग लगते रहे हैं इसके हजारों सालों के अस्तित्व में।
ये रोग सिर्फ ये नहीं थे कि इन परम्पराओं के संग्रह ने इस्लाम, ईसाई धर्म, और बाकी कितनों ही धर्मों के प्रभावों को अपने में समा लिया।
बल्कि, मैं अंतरात्मा के रोगों की बात कर रहा हूं, जब इंसान तर्क और कुतर्क के मध्य भेद करने की बौद्धिक सामर्थ्य ही खो बैठता है। वह सत्य, न्याय और ईमानदारी के मूलभूत विचार को सीधे से एक बेकार, बेमतलब की बातें मानने लगता है।

भारत भूमि पर कुतर्को ने अपनेआप में एक नया धर्म होने का अधिकार तक ग्रहण कर लिया, इस कदर हमारी संस्कृति में अंतरात्मा के रोग लगते रहे हैं।

 C@#V विचारधारा,और इससे जन्मे Jbxd धर्म देखिए कभी। मध्यकाल, करीब 15वीं सदी के युग में भारत की छवि ठगो के देश की थी। Thugs of hindostan/ Orient बड़ा कुख्यात वाक्य था भारत को संबोधित करने संबंधित। ये सब हिन्दू धर्म में लगे रोगों की देन थी, और है। आज ऐसी सोच वाले लोग नए संस्करण, नए रूप नए नाम और चेहरे के साथ वापस लौट आए है हिंदू धर्म को ठगने, खुद को हिंदू कहकर पहचान बताते हुए।

हिंदुओं के धर्म को रक्षा करने वालों की जरूरत है। मगर किसी बाहरी अधिग्रहण से नहीं। बल्कि भीतर कुतरी करियों से, जो विश्व समुदाय में सनातन धर्म की छवि खराब कर देंगे, अपने वचनों से तो शांति, विश्व एकता, सौहाद्य, मानवता, मानवाधिकारों की बातें बोल बच्चन करके, 
मगर अपने कर्मों से ठीक उल्टा करते हुए, उल्टी नीतियों और न्याय प्रकिया का पालन काके।

हिंदू धर्म को सच्चे रक्षकों की जरूरत है, नकली रक्षकों से रक्षा करने वालों से रक्षा करने के लिए।

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