Rule of law बनाम Good Conscience प्रशासन और न्याय व्यवस्था

*Rule of law बनाम Good Conscience प्रशासन और न्याय व्यवस्था*

Rule of law व्यवस्था के आने से पूर्व जो न्याय व्यवस्था थी , उसे हम good conscience व्यवस्था बुला सकते हैं। इसमे न्याय का आधार हुआ करता था "अंतरात्मा की आवाज़", स्वचेतना।
आपको अभी तक इस पुरानी व्यवस्था के प्रति सुनने में कहीं कुछ ग़लत नही लगेगा।
मगर इसकी खामियां आप बन्द आंखों से सोचिये।
पुरानी व्यवस्था में प्रत्येक न्याय विवादों से घिरा रहता था। क्योंकि अंतरात्मा की आवाज़ हर इंसान की अलग अलग होती है !! तो हर एक न्याय , हर एक फैसला आरोप में घिरा हुआ था कि यह भेदभाव किया गया है, वह पक्षपात हुआ है !

असल मे समाज में भेदभाव और पक्षपात का जन्म ऐसे ही न्यायों में से हुआ है। कुछ न्यायिक फैसले असली में भेदभाव को जन्म देते है, कुछ आभासीय जन्म देते है जहां आरोप और विवाद हुआ होता है।

Christian secularist यहां ही सभी समाज से आगे की सोच सके, और दुनिया से सबसे सशक्त समाज और राष्ट्र को जन्म दे सके। उन्होंने good conscience न्याय व्यवस्था की जगह rule of law की ओर रुख किया। असल न्याय का स्रोत तो आज भी good conscience ही है, मगर बीच मे rule of law का अतिरिक्त प्रबंध कर दिया, जो भेदभाव और पक्षपात को रोक सके। rule of law में लिखित, पूर्व घोषित (यानी नीतिगत ) , स्पष्ट रचित (द्विउचारण से मुक्त), कानूनों को रचने का चलन आया । यह codification कहलाता है। प्रत्येक code का प्रेरणा स्रोत भी लिखित है, जो कि constitution या संविधान कहलाता है।

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