अर्थनीति का मतलब स्टॉक मार्किट और sensex नहीं होता है

काफ़ी सारे लोग stock markets को ही economy समझते हैं। खास तौर पर पीयूष गोयल जैसे मुम्बई निवासी लोग। इनके अनुसार यदि sensex बढ़ रहा है, तो मतलब की economy दुरुस्त है।
यह लोग Economy का संदर्भ सामाजिक कठनाइयों के निवारण से नहीं जोड़ते हैं, कि लोगों की जिदंगी आसान हुई है या नही एक स्वतंत्रत जीवन जीने के लिये, अपनी इच्छाओ के अनुसार।
अमेरिकी दार्शनिकों ने आज से 250 वर्षों पहले ही समझ लिया था कि प्रजातांत्रिक स्वतंत्रता का निवास आर्थिक स्वतंत्रता के मार्ग पर बनेगा। अगर इंसान को आर्थिक तौर पर ही कमज़ोर कर दिया जाएगा, तो वह गरीबी के दबाव में वह सब करने लगेगा - मज़दूरी, अपराध, बंधुओं की तरह नौकरियां- जो कि समाज मे से सभी स्वतंत्रता को यूं पल में वाष्प बना कर उड़ा देगी जैसे तराश में पड़ा पेट्रोल खुद ब खुद गायब हो जाता है।
इसलिए अमेरिकी दार्शनिकों ने तब ही अमेरिकी declaration of Independence में आर्थिक स्वतंत्रता के बारे में दर्ज कर दिया था, और कहा था कि अत्यधिक टैक्स या अत्याधिक महंगाई के आगमन को नागरिक स्वतंत्रता पर हमला माना जायेगा।
इधर जहां हमारे right wing वाले हमारे देश के सब कुछ व्यापारिक निवेशों को अपने संगी साथियों को मलकाना देने की फिराक में हैं, तो वहीं हमारे विपक्ष के लोग खुद समाजवादी बने हुए है और चाहते हैं कि व्यापारों को सरकार के हाथों दे दे, और संग में सभी नागरिक अनिवार्य टैक्स भी जमा कराया करें ।

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