निजीकरण और सरकारीकरण शब्द मेरी आपत्ति

दो शब्दों के चिंतन विहीन प्रयोग के प्रति मैं अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हूँ।
एक है, निजीकरण।
इसके प्रयोग से हम जिस विचार के अवरोधित कर रहे हैं, वह है बाज़ारवाद। और दिक्कत यह है की बाज़ारवाद में ही छिपा है प्रजातंत्र का सार - right to private property।
और दूसरा शब्द है सरकारीकरण, यानी nationalisation। इसके लिये उचित शब्द है समाजवाद , यानी अपने निजी संपत्ति और अन्य मौलिक अधिकार किसी मध्यस्थ संस्था को सौंप कर फिर आजीवन उससे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहना। यह परम मूर्खता है।

भारत मे शब्दवाली में बहोत लोचा है।
जो खुद को समाजवादी बोलते है, वह वास्तव में समाजवादी हैं नही,
और जिसे हम सरकारीकरण बुलाते है, अकादमी ज्ञान के अनुसार वही समाजवाद कहलाना चाहिए !
तो, जो -जो है, वो- वो नही है है,
और जो- वो नही है, वही- तो वो है!!
😁😁😁

Comments

Popular posts from this blog

क्या वैज्ञानिक सम्बन्ध होता है खराब राजनीतिक माहौल और विभित्स rape प्रकरणों के बीच में

Why do the poor people like, admire and observe the politics with so much enthusiasm

The man-woman relationship