भारत की अगाध गरीबी के कारक यह है ही नही की अर्थशास्त्र नीतियां गलत हैं , बल्कि यह है की नौकरशाही उचित प्रदान नहीं कराइ गयी है किसी भी अर्थ नीति को लागू करने के लिए

भारत की ज़रूरत अर्थशास्त्री नही है। क्योंकि भारत की अगाध गरीबी के कारक यह है ही नही की अर्थशास्त्र नीतियां एक के बाद एक गलत हो रही हैं। बक्लि कारण है की यहाँ एक ऐसी चूहा जैसी नौकरशाही बैठी हुई है जो अच्छे से अच्छे अर्थशास्त्रीय प्रबंध में छेद करके अनाज (अथवा जनहित सेवा योजना)को 'खा' जाती है।
और दुर्भाग्य यह है की जन प्रशासन विज्ञान में कोई नोबेल प्राइज़ नही है सिद्धांतों की नींव डालने के लिए, जो नौकरशाही को काबू में ला सके ।

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