वैचारिक मतभेद से अपने ही देश बंधुओं को देशद्रोही और गद्दार केह देना उचित नही है

संघ कि शिक्षा यही रही है कि इतिहास में यह देश हमेशा इसलिये पराजित हुआ है क्योंकि इसमे गद्दार बहोत हुए हैं।

संघ मूर्खीयत का मुख्यालय है इस देश में !

गद्दारी को नापने वाला thermometer नही होता है। किसी को बेवजह गद्दार घोषित करके आप अपने ही बंधु से अपनी सहयोगी सम्बद्ध विच्छेद कर देते हैं। और फिर कमज़ोर, अलग थलग हुए , अपनी पराजय को सुनिश्चित कर देते है। 

समाज में सत्य और न्याय की आवश्यकता इन्हीं दिनों के मद्देनज़र आवश्यक मानी गयी थी। अब जब आपने न्यायिक संस्थाओं के संग छेड़छाड़ करि है, ज़ाहिर है आपने नासमझी करि है, तो समय है अपने मन में गलतियों से रूबरू होने का।
दूसरे बंधु को गद्दार घोषित करके अंदरूनी चुनाव तो जीत सकते हो,
मगर दुश्मन से युध्द नही जीत सकते हो।

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