JNU के प्रति जन विरोधी माहौल, और जीवन मे Liberal Arts विद्यालयों का महत्व

जब आप JNU जैसी liberal arts संस्थानों को अपमानित करेंगे तब आपके घरों में मूर्ख ,अड़ियल और अल्प बुद्धि सन्तानें ही जन्म लेगा, बौद्धिक नही।

भाजपा घराने और मोदी जी खुद की सबसे जानी-मानी "खूबी" है कि करण थापर ने चार सवाल क्या पूछ लिए थे, पानी पीना पड़ गया था। यह लोग प्रश्न का उत्तर नही दे सकते हैं। अर्थात कि स्वतंत्र , स्वछन्द चिंतन नही है इनमें जो की समस्याओं के मूल कारक को सटीकता से पहचान कर के उसके समाधान दे।  यह लोग संसद में अपने सांसदों की उपस्थति कम होने पर उसे सज़ा तो देते हैं, मगर संसद के भीतर, बाहर कभी भी सवाल पूछने या तर्क- संवाद में शमल्लीत होने में भयभीत , व्याकुल हो जाते हैं। जबकि संसद और कोर्ट संस्थाएं बनाई ही गयी होती है तर्क-संवाद करने के लिए।
तो यह लोग कुछ ऐसे है की सिर्फ इन्हें स्कूल जाना ही पसंद आता हैं, मगर स्कूल में होने वाली पढ़ाई लिखाई का काम पसंद नही !!

तर्क की आवश्यकता मानव जीवन और समाज में महत्वपूर्ण है। तर्क ही मन को मोहित करते हैं, प्रेरणा देते हैं, व्याकुलता को शांत करते हैं, कर्म और निर्णय को दृढ़ बनाते हैं। तर्क से इंसान निष्पक्षता और न्याय करने के उच्च मानदंड प्राप्त करता है। तर्क और आलोचना से सुंदरता आती है। तर्क को साधना उच्च बौद्धिक क्षमता का कार्य है। जो की liberal arts जैसे विद्यालयों में प्रशिक्षण मिलता है, अच्छे, उच्च कोटि political science के माहौल में।

मगर यह लोग वह सब नही कर सकते हैं । क्यों?? क्योंकि JNU जैसी संस्थाओं का महत्व नही जानते हैं। यह liberal arts को तक नही पहचानते हैं।

मगर शायद यह भी हो सकता है कि JNU को अपमानित करना इनकी साज़िश हो , कि सिर्फ आपको-हमें ही JNU के प्रति विमुख करना चाहते हैं, जबकि उनकी खुद की सन्तानें तो विदेशों के उच्च कोटि liberal arts विद्यालयों में पढ़ने चली जाती है। विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद जी की बेटी law पढ़ने विदेश गयी है, स्मृति तो yale के 6 दिवसीय course पढ़ कर ही गदगद हुई हैं। बाकीयों की संतान London school of economics and political science , या cambridge , oxford जैसे विश्व स्तरीय liberal arts संस्थाओं में पढ़ती है।

और आपको-हमें यह JNU जैसे देसी, सस्ते मगर उच्च कोटि विद्यालय तक के लिए उदासीन बना देने की साज़िश करते हैं ताकि आपकी और हमारी पीढ़ियां भी मूर्ख , अल्प बुद्धि बनें।

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