अयोग्यता को सफलता के मार्ग पर प्रशस्त करने वाला सबसे मजबूत साधन भ्रष्टाचार है,  आरक्षण व्यवस्था नहीं।

अयोग्यता को सफलता के मार्ग पर प्रशस्त करने वाला सबसे मजबूत साधन भ्रष्टाचार है,  आरक्षण व्यवस्था नहीं।

    आम आदमी पार्टी के उदय से आरम्भ हुई वाद-विवाद और चिंतन से यह निष्कर्ष मैं स्पष्टता से कह सकता हूँ।
यदि कोई भी दल-गत कूटनैतिक चुनावी दल नागरिकों से यह विश्वास प्राप्त कर लेगा की प्रशासन व्यवस्था में अब कभी भी कहीं भी भ्रष्टाचार नहीं चलेगा, तब उसको जनता का समर्थन मिल जाएगा की वह देश में लागू वर्तमान आरक्षण व्यवस्था को निरस्त कर के संयुक्त राज्य अमेरिका के "सुनिश्चितीकरण प्रक्रिया"(affirmative action) की भांति एक 'सामाजिक न्याय आयोग' बनाकर देश के पिछड़े तथा दलित समुदायों को सामान्य योग्यता मापदंडों से रोज़गार और उचित आर्थिक न्याय दे सके।
  वर्तमान में हमारे देश ने  'सुनिश्चितीकरण प्रक्रिया' के लिए आयोग न बना कर सीधे आरक्षण प्रणाली स्वीकार करी है। हमारी यह व्यवस्था अमेरिका में लागू व्यवस्था से भिन्न है क्योंकि वहाँ रंग भेद से पिछड़े लोगों के लिए योग्यता के मापदंड नीचे करने के स्थान पर यह आयोग है जो सुनिश्चित करता है की किसी भी प्रकार के भेदभाव की वजह से व्यक्ति का अधिकार शोषित न हो। अमेरिका में यह हो सका क्योंकि वहां भ्रष्टाचार कोई सांकृतिक समस्या नहीं हैं।
  इसके विपरीत भ्रष्टाचार भारत की मात्र प्रशासनिक समस्या ही नहीं , सांस्कृतिक समस्या भी है। हमारे यहाँ हर समुदाय, हर एक सम्प्रदाये, हर एक सरकारी विभाग , सभी न्यायलय, जन संचार और जन जागृति स्तंभ -हमारा मीडिया , सब कुछ भ्रष्टाचार से ग्रस्त हैं।
  वास्तव में सोचे तो यह क्षेत्रवादी , और जातवादी राजनीति इत्यादि सभी प्रकार के छिछली कूटनीति के स्रोतों  का उदय भ्रष्टाचार के कारण उत्पन्न अन्याय , अथवा शक्तियों का असंतुलन , का ही परिणाम है। यहाँ सामाजित हित की बात करने वाले सभी लोग चुपके से अपने अपने व्यक्तिगत हितों को ही साधने में लगे है। नतीजे में , प्रकृति के चक्र ने शक्तियों के संतुलन के लिए ही जाती गत , सम्प्रदाय समर्थित, और क्षेत्रवादी दलगत कूटनीति को जन्म दे दिया है।
संक्षेप में कहू तो - गलती मुलायम, लालू, मायावती , आज़म खान, ओवैसी अथवा बाल ठाकरे, राज ठाकरे, शरद पवार की नहीं है। यह प्रकृति का चक्र है जिसने व्यवस्था को शांति और सौहर्दय पूर्ण बनाने के लिए प्रशासनिक शक्तियों को इन व्यक्तियों के हक में कर रखा है।
  शायद कुछ लोग सही कहते हैं कि अगर भ्रष्टाचार नहीं होगा तो भारतवर्ष टूट कर बिखर जायेगा। भ्रष्टाचार एक आदर्श चुस्त दुरुस्त व्यवस्था में वह छिद्र प्रदान करवाता है जिसमे से समाज के कई तनाव निकल सके बिना सम्पूर्ण व्यवस्था को तोड़े।
Corruption is like the lightening holes in a highly stressed  junction point in a steel plate fitted in a big installation.
 
   

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