Professionalism संस्कृति और पर्यटन पर इसके प्रभाव
(..continued from वर्तमान युग की संस्कृति का संक्षेप इतिहास)
Professionalism Culture और पर्यटन पर इसके प्रभाव
professionalism वाले इस दौर में पर्यटन के उद्देश्य भी अब दूसरे ही हो चले हैं।
professionalism जो की अपने अभिप्रायों में श्रम का large scale व्यापार लिए हुई है, इस सभ्यता की एक और महत्वपूर्ण निशानदेही है। यहाँ इंसानो की एक बहोत बड़ी आबादी व्यापारिक वस्तु के उत्पाद दैनिक श्रम पर आश्रित है और इसके वास्ते "professional" के रूप में तब्दील हो चुकी है। professional का एक दूसरा अभिप्राय है , ऐसे व्यक्ति जो की स्वतंत्र चिंतन ,यानि liberal thoughts , के लिए समय नहीं रखते हैं।
आरंभिक दौर में इंसान के भ्रमण पर जाने के उद्देश्य दूसरे हुआ करते थे। भ्रमण के सार को उस युग में बौद्धिक विस्तार की प्रक्रिया से जोड़ कर समझा जाता था। क्योंकि उस युग में चलन यानि यात्रा के संसाधन इतने विक्सित और सहज उपलब्ध नहीं होते थे, इसलिए इंसान यात्राएं बहोत कम करते थे। ऐसे व्यक्तियों के सोच के दायरे संक्षित और स्थानीय (parochial) होते थे ।स्थानीय से अर्थ है वह जो की लघु दर्शन लिए हुए है, व्यापक और समग्र (global) दर्शन का नहीं है। स्थानीय दर्शन में क्योंकि सूर्य को हम प्रतिदिन पूर्व दिशा से उदय या निकलते देखते हैं, और पश्चिम दिशा में अस्त यानि डूबते देखते है, इसलिए हमारा "सत्य" स्थानीय हो चलता है की " सूर्य ही धरती की परिक्रमा करता है"। यह apparent truth है। मगर किसी विस्तृत, व्यापक भ्रमण किये हुए व्यक्ति के नज़रिये में जब वह धरती के ध्रुवों पर प्रकृति के गूल रूप के कारण बसी दूसरी प्राकृतिक घटनाओं के दर्शन और कारको को देख लेता है, तब उसका "सत्य" परिवर्तित हो जाता है कि , "असल में धरती गोल है, गुरत्वकर्षण शक्ति हमें धरती के केंद्र की और खींचती है, और धरती सूर्य की परिक्रमा कर रही है"। अब वह भ्रमण किया हुआ व्यक्ति universal truth की ओर अग्रसर हो जाता है। universal truth वह है की हर जगह लागू होता है, और इससे दोनों ही कारकों का संज्ञान किया जा सकता है -- जो हुआ उसका कारक, और जो होना तो चाहिए था मगर नहीं हो रहा है, उसका संज्ञान भी।
बरहाल, वर्तमान युग में भ्रमण के उद्देश्य अब उस व्यापक "सत्य" के शोध वाले नहीं रह गए हैं। professionals अब एक प्रकार का विश्व व्यापक समान रुपी जीवन जीते हैं। चूँकि professional बनने के लिए समान रुपी शिक्षा दीक्षा चाहिए, इसके लिए इंसानी सभ्यता ने बाकायदा एक education industry भी बनायी है। education industry से गुज़र कर सभी इंसानी बच्चे एक professional बन कर उभरते हैं, और वापस अपने बच्चों को professional बनाने के लिए दैनिक श्रम करते रहते हैं। सभी professionals की दैनिक चर्या करीब करीब समान ही होती है। वह सब के सब प्रातः office जाते हैं, यानि वह स्थान जहाँ वह "मानसिक या शारीरिक सेवा" का श्रम का विक्रय करते हैं। और दोपहर को भोजन किसी lunchbox से या resturant में करके शाम को वापस घर लौट आते हैं। हफ्ते में उन्हें पांच दिन ऐसे ही जीवन गुज़र करनी होती है। एक बाद उनका weekend आ जाता है। और weekend को वह भ्रमण पर निकल जाते है।
यहाँ भ्रमण के उद्देश्य यह है की चूंकि पञ्च दिन एक समान जीवन यापन हुआ था, इसलिए थोडा अलग करके अपनी इच्छाओं की पूर्ती करी जाती है। अपनी इन्द्रियों को दूसरे भोज दिए जाते है।
भ्रमण का यह उद्देश्य अपनी मनोवैज्ञानिक संरचना में उत्थान वाला नहीं है, बल्कि इन्द्रियों की तुष्टिकरण का है। ध्यान रहे की 'संतुष्टि' (satisfaction' और 'तुष्टि'(satiation) में अंतर होता है। तुष्टि से अभिप्राय भोजन दे कर अस्थाई शांति देने से है, क्योंकि जैसे एक भोजन के बाद पुनः कुछ काल बाद भूख लगती है वैसे ही सभी इन्द्रियों के साथ भी होता है। यानि, professionals को अपनी इन्द्रियों को हर weekend पर तुष्टिकरण का भोजन देना पड़ता है। तो भ्रमण का उद्देश्य तुष्टिकरण है, दार्शनिक और बौद्धिक विस्तार नहीं है।professionals को भ्रमण से प्राप्त दर्शन से आधुनिक चलन वाले "फ़ोटो खीचों" ,"selfie लो" नेत्र तुष्टिकरण के कृत्य और चक्षु भोग करने होते हैं।
लोग अक्सर भ्रमण और पर्यटन में भी थोडा भेद करते है। भ्रमण के अभिप्राय लघु दूरी की यात्रा से है जबकि पर्यटन के अभिप्राय लम्बी दूरी की यात्रा से है। professionals भी weekend के अलावा long holiday trips पर जाते हैं। weekend trips छोटे होते हैं जबकि long holiday trips लम्बी दूरी के होते हैं।
मगर उद्देश्य दोनों ही प्रकार की यात्राओं के वही हैं। इन्द्रियों का तुष्टिकरण।
यानि, पर्यटन भी उपभोग हो गया है, और स्थल भी इस मरुस्थल संस्कृति में उपभोग स्थान हो गए हैं। वर्तमान काल की उपभोगवादी संस्कृति है ही ऐसी। उपभोगवाद (Consumerism) का अभिप्राय है संरक्षणवाद (ConservationIsm) के विपरीत । उपभोगकतावाद में वस्तुओं को खपत किया जाता है, संरक्षित नहीं।
अब चूंकि सभी professionals एक समान की दिनचर्या और विस्तृत जीवन जीते है, तो उन सब के weekend trips और long holiday trips भी एक संग ही आते हैं। इसके नतीजे में पर्यटन स्थल
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