समीक्षा : सिर्फ 57 भारतियों की सम्पदा बाकि नीचे से 70% जनसँख्या के बराबर है

कुछ् पुरानी उदघोषणाएं सच साबित होने लग गयी है।

कुछ दशकों पहले एक डाक्यूमेंट्री सिनेमा zeitgeist (सजग और उत्सुक लोग youtube पर देखें) में बताया गया था कि कैसे दुनिया की सभी बुराइयों की जड़ इंसान की पैदा करी हुई एक वस्तु , पैसा, की देंन हैं। आगे कुछ और डाक्यूमेंट्री (ताथयिक ) सिनेमा , जैसे the hidden secret of money (part 4) (उत्सुक लोग youtube पर देखें) में बताया गया था की पैसा छापने के तरीके में ही यह पेंच छिपा है कि दुनिया में महंगाई आती ही रहेगी और महंगाई के दबाव में इंसान जीने के सभी कोशिशों में अपराध करता ही रहेगा।
पैसा छापने के पीछे के पेंचों का खुलासा करते हुए डाक्यूमेंट्री the hidden secret of money (part 4) बताती है की कैसे दुनिया का सम्पदा असल में कुछ मुठ्ठी भर लोगों की निजी सम्पदा समझी जा सकती है। यह गुप्त , सुमड़ी में रहने वाले लोग कैसे बैंक और सेंट्रल बैंक(जैसे की RBI) से सांठ गाँठ करके जब चाहे पैसा अपनी सुविधा से छाप कर हमेशा अमीर बने रहते हैं। देशों और दुनिया की आर्थिक तंत्र की असल चाबी इन्ही लोगों के पास में है, और इसलिए असल में यही मुठ्ठी भर लोग दुनिया की सभी गरीबी और बुराइयों के जिम्मेदार माना जा सकता है। यह लोग अपने को निरंतर समृद्ध बनाये रखने के लिए जब चाहे मुद्रा छाप सकते हैं ,जिसके सह उत्पाद में दुनिया में महंगाई बढती ही जा रही है। फिर आम आदमी इस मेहंगाई से संघर्ष में अपने स्वतंत्र मन की चाहत पूरी करने से हट कर कोई 'professional' (कामगार) बन कर वही व्यवसाय करने लगता है जिसमे अधिक पैसा है। यह मुट्ठी भर लोग इस तरह अपनी मर्ज़ी से पैसा वितरण का नियंत्रण करके दुनिया में लोगों को आर्थिक गुलाम की तरह नियंत्रित करते हैं। इन मुठ्ठी भर लोगों पर दुनिया के तमाम नियम कानून का कोई प्रभाव् नहीं पड़ता जब तक इनके पास पैसा छापने के तंत्र में कुछ भी अंश का हस्तक्षेप मिलता है, जो की यह निजी बैंक संस्थाए बना कर करते हैं।  पेंच यही पर छिपा है। और जिसे की अर्थशास्त्री तकनीकी घुमाव दार भाषाओँ में गढ़ कर आम आदमी को समझना मुश्किल कर देते हैं जिससे की कोई जन विद्रोह न हो जाये।

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