दो मुँही समस्या है परिवारवाद

परिवार वाद में समस्या का दो तरफ़ा अंश है। इसलिए परिवार की समस्या से निजात किसी एक व्यक्ति के कंवारे होने से उनको वोट दे कर *नहीं ही* मिलने वाला है।

परिवार वाद समस्या के दो तरफ़े मुँह को गौर करें :--
1) अगर किसी अमुक व्यक्ति 'अ' को उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के प्रभाव में जनमानस स्वीकृति करता है , *तो यह गलत है* क्योंकि *_किसी और योग्य की योग्यता की अनदेखी उसका तिरस्कार होगी_*।

2) अगर किसी अमुक व्यक्ति 'अ' को उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि के प्रभाव में जनमानस *अस्वीकृत* करता है, तो भी यह गलत होगा, क्योंकि यह एक प्रकार का भेदभाव, जात-पात का स्वरुप ही होगा।

यानि, बड़ा भेद यह है कि परिवारवाद की समस्या खुद ही *दोहरे चरित्र* की समस्या है।

इसलिए इसका निवारण यह तो हो ही *नहीं* सकता की *कंवरों को वोट दो*, या *_उनके परिवार ने देश को 70 साल लूटा, इसलिए अब हमें मौका दो_*।

इसका असल समाधान तंत्र सुधार में है। पद को ही सीमित कर दो। उधाहरण के लिए, अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए कोई भी व्यक्ति 2 से अधिक बार निर्वाचित नहीं हो सकता।
हालाँकि यह भी कोई पुख्ता समाधान साबित नहीं हुआ है, मगर यह इस *दो मुँही समस्या* का *सर्वाधिक उपयुक्त* समाधान ज़रूर है। दुनिया के किसी भी देश में परिवारवाद का एकदम *पुख्ता समाधान* आज तक खोजा नहीं जा सका है। मगर *सर्वाधिक उपयुक्त* समाधान सभी अच्छे देशों में लागू है।

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