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Showing posts from 2017

EVM fraud के सामाजिक प्रभाव

ग़ुलामी की ओर तो बढ़ने लगे हैं, हालांकि यह होगी यूँ की अब फर्जी राष्ट्रवाद सफल होकर असली राष्ट्रीय एकता की भावना को ही समाप्त कर देगा। Evm fraud वाली राजनीति की आवश्यकता होगी कि हर मह...

संविधान निर्माताओं की गलती के परिणामों को भुगत रहा वर्तमान भारत

* मानो न मानो इन सब अंधेर नगरी प्रशासनिक और न्याय व्यवस्था के लिए अम्बेडकर का कानून ही जिम्मेदार है ।* अम्बेडकर के संविधान की असली महिमा तो यूँ है कि अगर इसे राम राज्य में भी ल...

Why there is no SANTA CLAUS in Catholic Christianity ?

Notice that Santa Clauz is a typical invent of the Protestant Christianity , and not Catholic . Santa Clauz comes in England, Norway, Denmark and these Protestant nations, but not in Vetican, the country of Pope. Since Protestant see a direct communion between Man and God , therefore, they don't like or promote any Church based diktat to regulate the life of common man. Therefore, the saints of the fold of Protestant also have easy, happy-go-lucky nature, who can sing around, and make merry, and go around distributing gifts as a pleasant surprise for children and adults alike. This behavior is unlike the saints of Catholic fold, where a saint is a high figure, sombre, revered, strict-looking, serious person, does not joke around, and who will never 'indulge' in merry-making, or even singing and galloping. Perceivably because he needs to put such demeanour by which he may regulate the conduct and behavior of common man every now and then.     Saint Nicholus has trans...

Protestant Christianity, Secularism, और democracy में जोड़

पश्चिम में ज्यादातर डेमोक्रेसी आज भी राजपाठ वाली monarchical democracy हैं।  बड़ी बात यह भी है कि यह सब की सब protestant christianity का पालन करती हैं, catholic christianity का नही। secularism एक विशेष सामाजिक और धार्मिक आचरण है जो कि सिर्फ protestant c...

संविधान का आलोचनात्मक अध्ययन

संविधान का आलोचनात्मक अध्ययन ऐसा नही की यह संविधान बिना किसी आलोचना के, सर्वस्वीकृत पारित किया था। खुद अम्बेडकर जी ,जो कि ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष थे, उन्हें भी संविधान के अंतिम स्वरूप को एक workable document कहकर पुकारा था, यह समझते हुए की इस डॉक्यूमेंट से सभी गुटों की मांगें और जायज आलोचनाएं पूर्ण नही हो सकी है, मगर इससे अधिकांश जायज आलोचना को शांत करने का मात्र एक प्रयास हुआ है। उन्होंने संविधान के अंतिम प्रपत्र को सभा को देते हुए उम्मीद जताई कि शायद भविष्य में इन के द्वारा निर्मित प्रक्रियों को अपना करके हमारा देश भविष्य काल मे कभी सारी जायज आलोचना को शांत कर सकेगा।  क्या थी भारत के संवीधन की आलोचनाएं, यह इस लेख में चर्चा का बिंदु है। 1) सर्वप्रथम आलोचना थी कि अधिकांश उच्च वर्ग, उच्च जाति (upper class, upper caste) गुटों ने आरक्षण सुविधा को स्वीकृत नही किया था। यह गुट वैसे भी भारतीय समाज मे हुए भेदभाव के ऐतिहासिक तथ्य को सत्य नही मानता है, और इसलिए भेदभाव के उपचार को भी स्वीकार आखिर क्यों करता ? 2) संविधान की एक आलोचना यह थी कि वह इतना विस्तृत और घुमावदार भाषा , तथा अनुच्छेद वाल...

कैसे ब्रिटेन की प्रशासनिक व्यवस्था स्वायत्तता प्राप्त करती है राजनैतिज्ञ वर्ग से

ब्रिटेन में bbc को कैसे समाज को सही मार्ग या सत्मार्ग दिखाने वाली खबर और जानकारी देने की स्वायत्तता मिल जाती है, बिना इस बात के डर से की कुछ शीर्ष पदों के तबादले, निलम्बन या सेवामुक्ति देखने पड़ सकते हैं ? यहां दूरदर्शन के दो मुलाजिम प्रधानमंत्री के भाषण की रिकॉर्डिंग के दौरान मात्र हंस क्या दिए, उनको नौकरी से हाथ धोना पड़ गया। किसी एक मुलाज़िम ने जनता के बीच जा कर सच क्या बोल दिया कि कोई एक भाषण वाकई में किस तारीख में रिकॉर्ड हुआ था, उसे भी परिणाम भुगतने के लिए नौकरी से निकाल दिया गया।  Whatsapp के सदवाणी संदेश कहते है कि संसार का बुरा किसी बुराई के कर्म करने वालो से इतना अधिक नही होता है, जितना कि भले लोगो के चुप रहने से, और बर्दाश्त कर जाने से होता है। अबोध भारत की बहोत बड़ी आबादी अपने भ्रमकारी कुतर्क से यह समझती/समझाती है कि समाज को भ्रष्टाचार मुक्ति दिलाने के लिए प्रशासनिक तंत्र आवश्यक नही है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को भ्रष्टाचार विमुक्त आचरण से ही मुक्ति मिलेगी। खास तौर पर वर्तमान काल के राजनैतिक वर्ग यही कुतर्क जनता में बेचना चाहता है, और लोकपाल क़ानूम जैसे वि...

रेफरी विहीन shouting मैच है भारत की राजनैतिक प्रशासनिक व्यवस्था

प्रश्न :- Via Mani M अपना मानना है कि यदि नरेंद्र मोदी लड़कपन में संघ दफ्तर नहीं पहुंचते और उसकी जगह शेयर बाजार पहुंचते तो वे अरबपति बने हुए होते । वे राजनीति में आए तो धुन ने ही उनको स...

EVM fraud और इसका सामाजिक विश्वास पर प्रभाव

सुब्रमण्यम स्वामी ने 2013 में जब evm fraud की शिकायत करि थी, तब भी कांग्रेस की सरकार के दौरान कोर्ट इतने पक्षपाती न थे और मामले के समाधान में vvpat उसी शिकायत के समाधान में लाया गया था। सच को ...

Modern times habit of revisionism

Btw, revisionism is in high gear these days. And not just in History, but also in mythology. Whatsapp messages are in circulation speaking Ravan was not a symbol of evil, but rather an ideal brother who was out to revenge his sister's dishonor. Almost all thing that we know of the Hinduism is being put to revisionism. The problem is that while freedom of expression has come to the people, armed with the tool of social media where quick dissemination is possible, most people are not articulate thinkers, practised enough in the Critical Thinking. Moreover , India does not have institution as the high brand colleges of liberal arts and other think tank organization which may help to provide to the masses the right knowledge. Result is that Intolerance has grown along with the growth of power to achieve wider dissemination of one's idea - namely, the social media. Of course the evil bend  political outfits have rushed to capture the intolerance of masses to propel themselves to...

मुस्लिम घृणा से राष्ट्र निर्माण का कोई मूल्य नही बनता

मुस्लिम-घृणा कोई ऐसा सामाजिक मूल्य नही है जिसके आधार पर इंसानों की बड़ी आबादी को शांति पथ पर चल कर सामना अचार संहिता यानी संविधान का आपसी संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया जा स...

EVM Fraud - an attack on the public trust

सुब्रमण्यम स्वामी ने 2013 में जब evm fraud की शिकायत करि थी, तब भी कांग्रेस की सरकार के दौरान कोर्ट इतने पक्षपाती न थे और मामले के समाधान में vvpat उसी शिकायत के समाधान में लाया गया था। आज दे...