EVM fraud और इसका सामाजिक विश्वास पर प्रभाव

सुब्रमण्यम स्वामी ने 2013 में जब evm fraud की शिकायत करि थी, तब भी कांग्रेस की सरकार के दौरान कोर्ट इतने पक्षपाती न थे और मामले के समाधान में vvpat उसी शिकायत के समाधान में लाया गया था। सच को स्वीकार करना ही पड़ेगा, तब भी जब की सच कांग्रेस के पक्ष में खड़ा हो--कि, अगर कांग्रेस की सरकार evm fraud में गंभीरता से लिप्त होती तब फिर शायद 2014 के लोकसभा चुनावों में सत्ता परिवर्तन कभी होता ही नही।

मगर क्या आज भी ऐसा ही है ?

आज देश की बड़ी आबादी evm और vvpat की शिकायत कर रही है। 2013 में सिर्फ भाजपा और सुब्रमण्यम स्वामी ही शिकायत कर्ता थे। आज देश की करीब करीब सभी चुनावी पार्टी इसकी शिकायत कर चुके है।

कोर्ट कितना पक्षपाती हो सकता , इस पर समूचे देशवासियों की नज़र है। कोर्ट के किसी भी पक्षपाती फैसले या टालमटोल से तकनीयत में भले ही बड़ीआबादी को चुप रहने पर मजबूर करा जा सकता है, मगर समाज मे आपसी विश्वास यानी public trust को नष्ट होने से नही रोका जा सकता है।

पब्लिक ट्रस्ट क्या है, मैंने इस विचार को समझता हुआ एक निबंध कभी पढ़ा था जो कि किसी साहित्य में नोबल पुरस्कार प्राप्त लेखक ने लिखा था। वास्तव में  इंसानों को समाज मे जीवन आचरण कर सकने का सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व सामाजिक विश्वास यानी पब्लिक  ट्रस्ट है। बुनियादी सामाजिक सहवास में से राष्ट्र का निर्माण public trust के खाते के निर्माण से ही होता है। संस्थाएं बनाई जाती है इसी खाते की देख रेख और रख-रखाव के लिए। public ट्रस्ट ही सुनिश्चित करता है राष्ट्र में सभी की बराबर की हिस्सेदारी होगी। कोई समुदाये किसी दूसरे की कुर्बानी और बलिदानों पर आराम नही भोगेगा। न्यायालय और न्याय के सूत्र public trust की रक्षा करते हुए ही कार्य करते हैं।

भक्तों को गांधी की उपलब्धि नही समझ में  आई कि गांधी ने कैसे पब्लिक ट्रस्ट को रचा बुना था। गांधी की हत्या करि और अब evm के झोल पर मिली जीत से भक्त वापस गांधी की बनाई बहमूल्य सौगात public trust को नष्ट करने लगे हैं। भारत बहु सांस्कृतिक आबादी और समुदायों वाला देश है। और आज का भारत एक कठिन राजनयिक भूगौलिक स्थान पर बसा हुआ देश है। public ट्रस्ट को लगे  आघात से हमारी विविधता  कभी भी हमारी कमज़ोरी बन सकती है।

पता नही की भक्त, निर्वाचन आयोग और न्यायपालिका को यह सब समझ आता है या नही।

Comments

Popular posts from this blog

The Orals

Why say "No" to the demand for a Uniform Civil Code in India

About the psychological, cutural and the technological impacts of the music songs