Protestant Christianity, Secularism, और democracy में जोड़

पश्चिम में ज्यादातर डेमोक्रेसी आज भी राजपाठ वाली monarchical democracy हैं।  बड़ी बात यह भी है कि यह सब की सब protestant christianity का पालन करती हैं, catholic christianity का नही। secularism एक विशेष सामाजिक और धार्मिक आचरण है जो कि सिर्फ protestant christianity में ही मिलता है, catholic christianity में नही। और secularism को ही संरक्षित करने के लिए आज भी  यहां तक कि शासक और उसके परिवार को protestant समूह में ही शादी करना अनिवार्य है, catholic में शादी करने से राजपाठ गवां देने पड़ेगा। सिर्फ ब्रिटेन के संसद ने अभी सं2013 में कानून पारित करके करीब 500 सालों बाद राजशाही परिवार को catholic लोगो मे विवाह की अनुमति दी है। स्वीडन , नॉर्वे, denmark में तो अभी भी प्रतिबंध लागू है।

राजशाही को तो राजशाही के भीतर ही शादी अनिवार्य भी थी। राजकुमार विलियम और शुश्री केट का विवाह विशेष अनुमति से हुआ है।

राजनैतिक शास्त्र में दिलचस्पी रखने वालों को इन सब बातों का सामाजिक प्रशासनिक अभिप्राय समझना चाहिए। power balance theory में यह सब अनिवार्यता और प्रतिबंध कैसे पश्चिम की डेमोक्रेसी को शक्तिशाली और सफल बनाते हैं।

आरएसएस और भक्तों को यह बात समझ मे नही आ रही है। उनको सभी christanity एक जैसी दिखती है - protestant और catholic। इसका भेद और सामाजिक इतिहास भक्तो को पता नही है। आरएसएस आरक्षण विरोधी upper क्लास, upper caste लोगो का समूह है। इसलिए इनके दिमाग खुलेंगे ही नही protestant christianity और secularism का वास्तव अभिप्राय-गठजोड़ को समझने के लिए। और democracy क्यों secularism से जुड़ता है।

आरएसएस को सिर्फ यह दिखता है कि सब देश christian देश है । वहाँ christainity की शिक्षा स्कूलों में दी जाती है।
जब सामाजिक इतिहास का ज्ञान नही होता है,और खुद की अकल किसी आत्म मुग्ध विश्वास से बंद होती है, तब वह भक्त ही बनता है।

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