ISRO के वैज्ञानिक और भारत का गुलामी मानसिकता से निर्मित तंत्र

 ISRO के वैज्ञानिकों का दल, चंद्रयान–४ के मिशन के शीर्ष  के साथ तेलंगाना में तिरुपति दर्शन करके आशीर्वाद ले कर आए हैं, प्रक्षेपण से पहले।

ये आचरण बेहद अंतर्द्वंद्व मचाने वाला, विरोधाभासी है।

 क्योंकि विज्ञान और अंधस्था के बीच संगम होना स्वीकृत नहीं होना चाहिए सभ्य समाज में। ये गंगा और गंदे नाले का संगम स्वीकृत कर लेने जैसा है, समाज वालों से।

दुखद ये है कि भारतीय तंत्र, जो वास्तव में एक हजार वर्षों की गुलामी में से पैदा हुआ है, उसमे ऐसे संगम को स्वीकार कर लेने की प्रवृत्ति अभी भी बनी हुई है, और अब ये लोग बड़े हठ के साथ वैश्विक धरोहर में भी यही संगम प्रचारित कर रहे है, विज्ञान संपन्न देशों में प्रवास करते हुए।

भारत का गुलामी मानसिकता से निर्मित तंत्र, इसमें ऐसे विरोधाभासी लोगों को एक सफल, समाज का पथ प्रदर्शक बना देने की योग्यता है। ऐसे ही लोग देश पर शासन कर रहे हैं, विदेशों में जा कर देश का "गुणगान" करते हुए, अपनी ऐसी सोच प्रचारित करते हैं। 

दुनिया को समझना होगा की भारतीय संस्कृति गुलामी के बेड़ियों को संघर्ष करके, तोड़ कर नही निकली है, यहूदियों के जैसे। हम लोग गुलामी में विलय कर  गए थे, हमने चार्वाक विचारधारा चलती है, जिसमे बेहद भ्रष्टाता,अपराध, hedonism सुख को परम उद्देश्य मानते हैं।

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