बच्चों को ताश का खेल सिखाना
सोच रहा था कि बच्चों को ताश खेलना सिखाऊँ।
ताश के खेल में बहुत किस्म की अक्ल को विक्सित और प्रयोग करने की ज़रुरत पड़ती है, जिनको व्यावहारिक जिंदगी से हासिल करना बहुत दुर्लभ होता है। मिसाल के तौर पर -
१) दूसरे के पत्तों को बूझना उसकी अभी की चाल को देखते हुए -- inference और deduction बुद्धि कर प्रयोग करके।
२) अपनी अभी की चाल को decide करना भविष्य में आने वाली चाल या हालात की पूर्व दृष्टि क मद्देनज़र। prudence
३) पहचान करना सीखना की कब हमारे खेल में सही चाल नहीं चलने की वजह से हम हार गए हैं, और कब वाकई में पत्ते ख़राब आने से हमारा हार जाना तय था (जिसमें कुछ दुखी /बुरा नहीं मानना चाहिए। )
४) और यदि नक़ल या cheating हो रही है , तब उसे पकड़ना , और साथ में सफलता पूर्वक cheating करना सीखना।
मगर तभी एक बात कौंधी दिमाग में -- कि , ताश का खेल (या कोई भी खेल ) बच्चों को मात्र सीखा देने से आप ये सब हांसिल नहीं कर सकते है। खेल इस लिए नहीं पसंद या नापसंद किये जाते हैं क्योंकि उन्हें खेलना नहीं आता है , बल्कि इसलिए कि उन्हें खेलने की रूचि- है , अथवा नहीं है।
तो बच्चों को ताश खेलना सिर्फ सीखना ज़रूरी कदम नहीं है, बल्कि खेलने की रूचि डालना भी ज़रूरी है।
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