हम लोग lockdown यानी देशबन्दी में समाधान को ढूंढ कर ग़लत कर रहे हैं।
10/05/2020
कभी कभी सोचता हूँ कि हम लोग lockdown यानी देशबन्दी में समाधान को ढूंढ कर ग़लत कर रहे हैं।
देशबन्दी से हम शायद शुतुरमुर्ग की तरह रेत में मुंह छिपा कर खुद को यह समझा रहे है कि ख़तरा टल गया है।
घरों में कौन कौन रहने की क्षमता रखता है? जवाब सचाई से सोचिये गा। बहकावे में मत आइये की घरों में रहने से देश को महामारी से बचा लेंगे। हर कोई इतना सामर्थ्य का नही है - आर्थिक, शारीरिक तौर पर - की घरों में दुबक कर बैठ ले, और अन्य समस्याओं से निपट ले।
घर की चार दीवारें सभी को वैसी सुरक्षा नही देती है जो आप समझें हुए हैं जब आप मंद बुद्धि हो कर जरूरत से ज़्यादा ज़ोर देकर जनता से अपील करते है कि घरों में रहिये, सुरक्षित रहिये।
सचाई यह है कि अब हमें दूसरी रणनीतियां भी टटोलनी पड़ेंगी। मिसाल के तौर पर, test करने पर ज़ोर देने की रणनीति, जिससे हम industry भी चला सकें। चाइना की सरकार ने जब wuhan में देशबन्दी करि थी, तब सिर्फ lockdown करके वह महामारी से जीत नही गए थे। उनकी सम्पूर्ण रणनीति का दूसरा हिस्सा यही था - घर घर जा कर test करना । बिना इन कदम को उठाये आखिर कितने दिनों हम देशबन्दी करके बैठे रहेंगे ? क्या सिर्फ देशबन्दी के भरोसे हम रोगियों को स्वयं से पकड़े जाने का इंतेज़ार करके काम चला लेंगे? जबकि हमे मालूम है कि wuhan में तमाम देशबन्दी के बाद, और इतनी असीम सफलता के बाद भी आज भी कुछ न कुछ कोरोना संक्रमित रोग मिल रहे हैं।
हमें रणनीतियां बदलनी होंगी । देशबन्दी तक सीमित रहने से हम लोग भुखमरी और अकाल को बढ़ावा दे रहे हैं। हमे सरकार के भरोसे बैठना बन्द करना होगा। हम पुलिस के डंडे के ज़ोर पर सामाजिक दूरी अपनाने के तरीकों बदलना होगा। हमे कम साथियों की उपस्थिति में श्रम करने पड़ेंगे, जिससे की social distance भी कायम रहे, और उत्पादन भी नही रुके।
हमे अपने रोगियों की देखभाल खुद से करनी होगी। हमे लक्षणों को खुद से पहचान करके सहायता और चिकित्सा लेने को निकलना पड़ेगा। हमे डॉक्टरी और nursing के कामों में सहयोग कर्मी बल स्वेच्छा से निर्मित करने होंगे।
टेस्ट kit को ईज़ाद करना सबसे परम आवश्यक कदम होगा, हालांकि वह नियत कार्यवाही नही हो सकता है।
तब तक दूसरे मार्ग सोचने पड़ेंगे।
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