अक़्सर जो सभी उच्च गुणों और मूल्यों के पालन करने का दावा करते हैं, वो कुछ भी पालन नही कर रहे होते हैं

भक्त कहते हैं कि हिंदुत्व में सब ही कुछ है - सहिष्णुता है, सहनशीलता है, पंथ निरपेक्षता भी है, प्रजातंत्र भी है, समानता भी है !!

अक्सर करके जब कोई सभी अच्छे विचारों को अपनाने की कोशिश करता है तब वह अनजाने में Mix-up कर बैठता है। विचारों को उनके उचित क्रम में रखना एक परम आवश्यक ज़रूरत होती है, अन्यथा एक horrible mix तैयार हो जाता है, जो की ज़हर की तरह घातक हो सकता है।

विचारों के Mix up और उसके घातक परिणामों को समझने के लिए  एक उदाहरण लेते हैं। कल्पना करिये कि किसी व्यक्ति के पास में Kent-RO की पानी स्वच्छ बनाने वाली मशीने है। kent की मशीन पानी को reverse osmosis विधि से filtre करने के दौरान काफ़ी सारा दूषित जल , जो की देखने में स्वच्छ ही लगता है, उसे एक pipe से निष्काषित करती रहती है।

वो लोग जो की "सभी " अच्छे, उच्च आदर्शों के पालम करने का दावा करते हैं,  अक़्सर वह बौड़मता से ग्रस्त हो जाते है, और वो उस दूषित निकास जल को वापस अपने पानी के ग्लॉस में मिला देते हैं, "जल संरक्षण' के अच्छे उच्च आदर्श के पालन करने के नाम पर। ! 

कल्पना करिये की आप बौड़म लोगों से कैसे तर्क करके उनके समझाएंगे कि ऐसा करना ग़लत होगा।

कैसे आप उन्हें बताएंगे कि मौजूदा हालात में जल संरक्षण का उच्च विचार का पालन करना गलत होगा?

आप कैसे किसी बौड़म व्यक्ति को बताएंगे कि अब ग्लॉस वाला जल वापस दूषित हो चुका है ! 
आप क्या करेंगे जब वो आपके मुंह पर जल के स्वच्छ किये जाने का प्रमाण उछाल कर फेंकेगे कि क्या इतनी बड़ी RO मशीन दिखाई नही पड़ रही है, जल को filtre किया गया है?

और अब यदि आप उसे मशीन के निकलते स्वच्छ जल और दूषित निष्कासित जल के मिलन की शिकायत करेंगे , तब वो बात घुमा कर वापस "जल संरक्षण प्रयास" में ले जायेगा, जहां से यह सारा debate /argument आरम्भ हुआ था !

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बौड़मता का अभिश्राप आसानी से परास्त नही किया जा सकता है। 
 Never argue with the stupids; first they bring you down to their standards and then they bear you down with their experience.

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