क्या आप जानते हैं कि बहिन मायावती क्यों उत्तर प्रदेश से आये प्रवासी मज़दूरों को कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रदान मदद के विरुद्ध मोर्चा खोल कर खड़ी हो रहीं है ?

क्या आप जानते हैं कि बहिन मायावती क्यों उत्तर प्रदेश से आये प्रवासी मज़दूरों को कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रदान मदद के विरुद्ध मोर्चा खोल कर खड़ी  हो रहीं है ?

बहन मायावती न तो प्रवासी मज़दूरों को खुद कोई मदद करने के लिए आगे बढ़ीं हैं, और न ही वह चाहती हैं की कोई और पार्टी आगे आये। 

क्यों? क्या प्रवासी मज़दूरों में दलित -पिछड़ा वर्ग नहीं है ? क्या यह सब सवर्ण लोग है ? 

नहीं।  

सन २०११ में जब मायावती जी की उत्तर प्रदेश में सरकार  थी और विधान सभा चुनाव आने वाले थे, तब कांग्रेस पार्टी की चुनावी भाषण में राहुल गाँधी ने उत्तर प्रदेश के गरीब जनसँख्या के भयावह सत्य से परिचय खुल्ले मंच से करवा दिया था।  की उत्तर प्रदेश की आत्मदाह करती राजनीति ने पार्क  और अम्बेडकर के मूर्तियों, हाथियों  की मूर्तियों के निर्माण में यूँ  जन धन व्यर्थ किया है की यहाँ की शिक्षा व्यवस्था , चिकित्सा व्यवस्था जब स्वाहा हो चुके हैं। राहुल गाँधी ने खुले शब्दों में कह दिया था कि यूपी के लोग आज महाराष्ट्र और पंजाब में जा कर गरीब मज़दूरी करते हैं , भीख मांगते हैं, झुग्गी झोपड़ियों और चौल में रहा कर , कैसे भी दरिद्रता में गुज़ारा करते हुए , शोषण हैं, पिटाई खाते हैं , हिंसा झेलते हैं।   राहुल गाँधी में विद्वानता तब भी इतनी थी की इस सच को देख लिया था कि  यूपी की राजनीती इंसानी मस्तिष्क में आत्ममुघ्ता के वैसे वाले नशे दे रही है जिसमे इंसान अपने ही देश और समाज का दहन कर देते हैं।  

ज़ाहिर है कि  क्योंकि मायवती ही मुख्यमंत्री थीं, तो उन्होंने राहुल गाँधी के इस सत्य कथन का जम कर विरोध किया था क्योंकि इसको स्वीकार करने का अर्थ था की मायावती ही वो आत्ममुग्ध राजनेता थीं जो राजनीति के नशे में चूर अपने समाज का दहन करे जा रही थीं जन धन को बेमतलब की जगहों पर खर्च करके ! तो मायावती जी और भाजपा के नेताओं ने तुरंत  राहुल गाँधी पर आरोप लगाया की राहुल ने यूपी  के लोगों का अपमान किया है। 
आप यह सब रिपोर्ट गूगल सर्च करके आज भी पढ़ सकते हैं। 

 मायावती ने कहा की यूपी के लोग  बहोत स्वाभिमानी होते है ,  वो मेहनत और श्रम करके कमाते हैं और जीवन यापन करते हैं।  मायावती ने और भाजपा ने यूपी के लोगों की दरिद्रता  के सत्य को कभी स्वीकार ही नहीं किया।  जब मर्ज़ की पहचान गलत होती हैं ,तब इलाज़ भी गलत होता है।  आत्ममुघ्ध लोग दरिद्रता के सत्य को पूर्ण खंडन  कर देते हैं।  क्योंकि ऐसे सच उनको गर्व करने का नशा नहीं होने देते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

the Dualism world

Semantics and the mental aptitude in the matters of law

It's not "anarchy" as they say, it is a new order of Hierarchy