एक Simulator और Emulator में क्या अंतर होता है ?

एक Simulator और Emulator में क्या अंतर होता है?

छोटे बच्चों की खिलौने वाली train तो देखी ही होगी आप सभी ने। कभी उसके कार्य करने के तरीके को किसी असली की train से तुलना करिये।

खिलौने वाली train को बनाने में बस एक साधारण से , छोटी dc motor लगती है, चार पहिये, जिनमे से दो गियर के माध्यम से dc motor से जुड़ते हैं, एक बैटरी और एक-आध बल्ब सजावट देने के लिए की train एक दम असली जैसी लगे छोटे बच्चों को। इस सब सामानों को जोड़ कर एक train की खाल जैसे बक्से में बंद कर दिया जाता है, और हो गई train तैयार !!

यह एक simulator है।

अब बात करते हैं Emulator की। कुछ ऊँची ब्रांड की दुकान , (जैसे कि Hamleys) में आपने शायद कभी महँगी वाली train देखी होगी। वह न सिर्फ scale model होते है, बल्कि उनके अंदर के कलपुर्जे असली ट्रैन की तरह ही काम करने के लिए बनाए गए होते हैं। कुछ एक ट्रेन तो चलाने के लिए वाकई में डीजल लेती हैं। इंजिन के अंदर वाकई का एक छोटा सा इंजिन होता है, जो कि डीज़ल या पेट्रोल से combustion करके चलता है। वही shaft से पहिए से जुड़ता है, और पहिया घूमता है।

यह emulator है।

यह ज्यादा सटीकता से असल full-size engine की नक़ल करता है।

Emulator में वास्तविक object की नक़ल करने की काबलियत ज़्यादा सटीक होती है, जबकि simulator को भी चाहे तो नक़ल में असली जैसा बनाया जा सकता है, मगर हर एक कार्य की नक़ल के लिए अलग से "जुगाड़" लगाना पड़ता है।

Emulator अपनी निर्माण क्रिया की खूबी के चलते स्वाभाविक तौर पर असल object की नक़ल करीबन पूरी तरह करता ही करता है।

Computer जगत में simulator और emulator के और भी गेहरे अर्थ और अभिप्राय बनते हैं, हालांकि आरम्भिक अर्थ यही रहता है जो कि ऊपर train के उदाहरण से समझाया गया है।

Computer जगत में train चलना या हवाई जहाज़ उड़ाना सीखने वाले "video game खेल" आते हैं। वह सब simulator होते हैं। वह असल माहौल की मात्र नक़ल करते है। programmer ने असल हवाई जहाज़ के जिन-जिन व्यवहार को जिन-जिन वातावरण में नक़ल करने के algorithm लिखे हैं, सिर्फ उतने को ही वह नक़ल करेगा, अपनी तरफ से कोई गणना करके कम या ज़्यादा नही करेगा।

मगर computer emulator को बनाने के लिए सबसे प्रथम वास्तविक object के व्यवहारों को गणीतिय  समीकरणों में बूझा जाता है, जिसे की modelling कहते हैं। और फिर उन गणीतिय समीकरण को program में जोड़ा जाता है, जिससे कि वह प्रोग्राम खुद से ही गणना करके किसी भी काल्पनिक हालात में भी एक भविष्यवाणी करके की नतीजे क्या होंगे।
उदाहरण के लिए projectile के फेंकने को समझिये। projectile को फेंकने में लगने वाली भौतिकी तो सभी ने इंटरमीडिएट स्कूल पाठ्यक्रम में पढ़ी होगी। emulator में यही समीकरण को program में लिखा गया है। तो वह तमाम हालात , हवा के रुख, गुरुत्व के बदलावों के लिए खुद से गणना करके सटीक भविष्यवाणी देगा नतीजों के।

मगर simulator में projectile को किसी भी असली projectile motion जैसे मिलते-जुलते curve पर चलाते हुए "आभासीय" दिखाया जाएगा और ख़ास programming की timing को नियंत्रित करते हुए अलग-अलग समय पर अलग-अलग स्थान बिंदु पर प्रकट होने का भ्रामिक आभास से सब नज़ारा वैसा का वैसा दिखाया जाएगा।

Simulators के अपने व्यापारिक उयोग होते हैं। यह सीखने के training के उद्देश्य से बनाये जाते हैं। यह किसी भी दृश्य की कल्पना करने में सहायक होते हैं, जो कि शायद आम आदमी छोटी बड़ी चूक कर सकता है कुछ विषयों पर।

Emulator एक अकादमी उद्देश्य से बनते हैं, ज्यादा मेहनत से बनते हैं, महँगी कीमत के होते हैं, और इनका एक उद्देश्य भविष्यवाणी यानी forecasting का होता है।

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