Old Trafford में भारत की पराजय के विषय पर

उठती हुई और तेज़ी से आती गेंद (rising, upp'ish delivery) भारत की कमज़ोरी बन गयी।
old trafford का मैदान बड़ा था।

इंसान में एक चरित्र होता है। pinch hitting करना मात्र एक ताकत की बात नही है, बल्कि एक चरित्र है। इस तरह के चरित्र वाले व्यक्ति अक्सर आदतन ही ऐसा करते हैं। और उनके खेलने के तरीकों में भी कही यह आदत बस जाती है। मिसाल के तौर पर, rising upp'ish delivery को वह आदतन ही गेंद में पहले से बसी हुई गति का सहारा लेते हुए कही पर cut मारते हुए wickets के पीछे ही कहीं boundary तक पहुंचा देना चाहते हैं।
यह सब उनसे उनका pinch hitting का चरित्र आदतन करवाता है।

मगर old trafford मैदान के बड़े आकार ने यहाँ आदत को कमज़ोरी में बदल दिया। पहले के चार player को wicket के पीछे ही शिकार बनाये जाने की रणनीति बनाई गयी। 5 fielders उसी क्षेत्र में थे, wicket keeper के अलावा। और wicket के आगे मात्र चार, दो leg side में, दो off side में।
मानो को खुल्ला challenge था इतने बड़े और खाली पड़े मैदान में wicket के आगे कही कोई shot खेल कर दिखाओ।  रोकने वाले ज्यादा fielder थे ही नही उस भूक्षेत्र में, मगर मानो जैसे की एक challenge दिया गया था की अगर आदत से बच सकते हो तो खेलो।

हम आदत से यकायक मुक्ति नही प्राप्त कर सके। यही होता है tempo , जब एक लय में आप एक जैसी कोई हरकत हमेशा करते ही करते है, अपनी ही आदत का ग़ुलाम बन कर। आप हर बार उस हालात में वही करते है, और कामयाब से होते रहते है बशर्ते की किस्मत आपके साथ हो। आप भूल जाते हैं कि तब भी आपकी कामयाबी के पीछे किस्मत के अंश थे। आप किस्मत को नकारने लगते हैं, और सब कुछ अपनी काबलियत समझने लग जाते हैं। शायद यही घमंड है, जब आप अंदर की तलाश को बंद कर देते है, स्व-आलोचना को व्यर्थ मान लेते हैं।

यहाँ मैदान के बड़े आकार ने हालात को बदला हुआ था। new zealand के पास भरपूर जगह थी wicket के पीछे फील्डरों को सजा करके खड़ा करने की, इतने बड़े क्षेत्र में कि आप के cut shots दूर फैली सीमारेखा तक पहुंचने से पहले ही लपक लिए जाएं। यानी आपकी आदत को आपकी कमज़ोरी में तब्दील कर देना आसान था।

ऋषभ का out होना भी कुछ कुछ उसी आदत का हिस्सा था। हालांकि वह wicket के आगे के भूक्षेत्र में लपक लिए गये। वह hi tempo के चरित्र वाले व्यक्ति हैं।  धीरे-धीरे और सब्र के साथ,  मेहनत करते हुए एक या दो रन दौड़ते हुए टिके रहना उनका चरित्र नही था।

आजकल के खेल वैसे hi tempo पर ही चलते हैं। दर्शकों को वही पसंद है। उसे aggression बुलाया जाता है। तेज़ी से मारते हुए रन बटोरना। जैसे मानो की विरोधी पर आक्रमण कर देना। इस तरह के खेल के लिये खिलाड़ियों का चयन भी वैसे ही किया जाता है। उस तरह के चरित्र वाले लोग, जो की फुर्ती से और बहुत अधिक शक्ति से बल्ला घुमा देते हैं। और क्योंकि मैदान अक्सर छोटे होते है, तब यह शक्ति इतनी भारी पड़ जाती है कि बॉल को मैदान के बाहर निकाल दे, सीधे छक्के-चौक्के के रूप में।

इसमे किस्मत का अंश था, मौसम के हालात और मैदान का आकार। old tafford में मौसम swing के पक्ष में आ गया , और मैदान इतना बड़े आकार का पड़ गया की किस्मत पलटी मार गयी hi tempo चरित्र वाले लोगों के लिये।

Comments

Popular posts from this blog

The Orals

Why say "No" to the demand for a Uniform Civil Code in India

About the psychological, cutural and the technological impacts of the music songs