IITians think that Technology is a means to end corruption !

IITians think that Technology is a means to end corruption; while the truth is --Technology is just a tool

देश मे एक IIT नंदन सोचते हैं कि वह टेक्नोलॉजी के भरोसे भ्रष्टाचार को खत्म कर सकते हैं। तो वह एक कार्ड टेक्नीक ले कर आये जिससे प्रत्येक नागरिक पर निगरानी करके वह भ्रष्टाचार से मुक्ति की बात बोलते हैं।
जबकि उस कार्ड के चक्कर मे हो ठीक उल्टा रहा है। भ्रष्टाचार की हैसियत बड़ी हो गयी है, छोटे लोगो का जीना मुश्किल हो गया है। और कार्ड से छोटी मछली - बड़ी मछली का खेल शुरू हो गया है। छोटे लोग पकड़े जाते हैं, बड़े लोग मस्ती से निकल जाते है।

कई सारे iitian इसी सोच से पैदा हो रहे हैं कि artificial intelligence के भरोसे भ्रष्टाचार से मानवता को निजात दिला देंगे। जबकि सच अभी भी यही रहने वाला है। अब भ्रष्टाचार का नियंत्रण कक्ष बड़ेे पदों से हो जाएगा, जिस तक आम आदमी की पहुंच ही नही रहेगी। अच्छे लोगो और शक्तियों का समाज पर प्रभाव कमज़ोर हो गया है, और ऊंचे पद वाले बड़ी बेशर्मी से झूठ, मक्कारी और भ्रष्टाचार कर रहे हैं और निकल भी ले रहे हैं।
आखिर artificial intelligence को भी किसी न किसी इंसानी नियंत्रण में रख कर ही लगाया जाएगा।

मगर IIT में semiconductor और transistor पढ़ाया जाता है, justice, psychology और मानवीय विषय नही। इसीलिए iit नंदन ही देश मे अंधेर नगरी प्रशासन और कलयुगी समाज के सबसे बड़े सूत्रधार बन कर उभरे हैं।

अब इन्ही में से कुछ iitian वापस एक नई political पार्टी बना कर आये हैं, जबकि एक पहले से ही मौजूद iitian के वर्तमान भारत की राजनीति और तंत्र के साथ किये गए प्रयोगों से निष्कर्ष कुछ ऐसा ही निकलता लग रहा है की कुछ भी कर लो, जब बुनियादी ढांचे में ही छेद हैं तो कोई iitian या कितनों ही उच्च दर्जे का शिक्षित व्यक्ति या अच्छी मंशाओं वाले व्यक्ति की इस समाज, इसके प्रशासन , इस तंत्र पर अब बिल्कुल भी नही चलने वाली है।

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