समान नागरिक आचार संहिता से सम्बंधित अवधारणाएं
समान नागरिक आचार संहिता (Uniform Civil Code) के प्रति कुछ अवधारणायें बनायीं जा रही है।
सर्वप्रथम, की इसे सेकुलरिज्म की बुनियादी आवश्यकता बताया जा रहा है। आश्चर्यजनक तौर पर ऐसे बोलने वाले कोई और नहीं बल्कि वह लोग है जो गौमांस भोजन पर प्रतिबन्ध की मांग करते घूम रहे हैं !!! सेकुलरिज्म का सम्बन्ध वैज्ञानिक विचारशीलता से है। और वैज्ञानिक विचारशीलता में गौमांस पर प्रतिबन्ध का कोई कारण उपलब्ध नहीं है। जबकि कुकुर(कुत्ता) और अश्व(घोड़ा) के मांस भक्षण के लिए है। तो ucc की बात करने वाले मूर्ख लोग है जो की खुद ही सेक्युलरिस्ट नहीं है, और साथ ही साथ भ्रम फैला कर कपटी तर्क दे रहे हैं की यदि अमेरिका में कुत्ते और घोड़े का मांस पर प्रतिबन्ध हो सकता है तब भारत में गौ मांस पर क्यों नहीं !! तो सच मायनों में ucc की बात करने का षड्यंत्रिय कारण शायद बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने का है, क्योंकि फिर बहुसंख्य किसी एक विशेष धर्म के पालनकर्ता है।
दूसरा, कि सेकुलरिज्म का अर्थ में सांस्कृतिक विविधता या धारणाओं का अंत कतई नहीं है। ucc के लाभ में यह गिनाया जा रहा है की कैसे ucc के आने से समाज का सञ्चालन और जन प्रशासन आसान हो जायेगा। जबकि सच यह है की मनुष्य के जीवन उत्साह का कोई स्पष्ट कारण तो आज तक कोई जान ही नहीं सका है। इसलिए ucc के माध्यम से विविधता का नष्ट हो जाना असल में ucc का दुर्गुण है, क्योंकि तब नागरिक अपने आप में फिर से एक कपट-सेकुलरिज्म का गुलाम बना दिया जायेगा जैसा की अतीत में चर्च और पादरियों, पंडितों और ब्राह्मणों का सेवक बन गया था। यानि,ucc असल मायनों में सेकुलरिज्म का नाम ले कर मूल सेकुलरिज्म को ही हानि पहुंचाएगा।
तीसरा, जिन धार्मिक मान्यताओं को अस्वीकार कर देने का कोई सीधा वैज्ञानिक कारण उपलब्ध नहीं है, उन्हें आज भी सभी सेक्युलरिस्ट देशों में निभाने की स्वतंत्रता उपलब्ध है। यानि, अपने जीवन में शादी की रस्में, मृत्यु संस्कार, जन्म संस्कार, तलाक प्रक्रिया इत्यादि सभी धर्मों को अपने अपने अनुसार पालन करने की आज़ादी आज भी उपलब्ध है। बस, वैधानिक प्रक्रियों को एक अंश और जुड़ गया है, और वह भी इस स्वाभाविक कारणों से की आज के स्वतंत्र नागरिक का सम्बन्ध अपनी सरकार और विश्व के दूसरे देशो से सम्बन्ध किसी न किसी अनुबंध पर ही आधारित है। उस अनुबंध के पालन के लिए आवश्यक पंजीकरण और दस्तवेज़ सभी नागरिकों को एक समान वैधानिक प्रक्रिया पर निर्मित है। वैसा भारत में भी है। अन्यथा अपने अपने धार्मिक मान्यताओं का पालन की स्वतंत्रता सभी को है।
Comments
Post a Comment