खान उपनाम और उसका मंगोलों से सम्बन्ध

खान' शब्द मंगोल भाषा से है। इसका अर्थ होता है 'राजा'। चंगेज़ एक मंगोल था। मंगोल का अर्थ है मंगोल देश का निवासी। मंगोल देश, यानि मंगोलिया , चीन के उत्तर में रूस और चीन के बीच एक शीत मरूभूमि वाला देश है।
  व्यापक मान्यताओं के विर्रुद्ध, चंगेज़ मुस्लमान पंथ का अनुयायी नहीं था। वह एक प्राकृतिक मंगोल पंथ, शमाम, था। शमाम पंथ कुछ कुछ प्राचीन वैदिक पंथ के समान है। इसमें भी प्रकृति की वस्तुओं, जैसे पर्वत, नदी, पशु, वृक्ष, सूर्य, वर्षा, बादल, धरती, आकाश, अग्नि इत्यादि की पूजा करी जाती है। वास्तव में आरम्भ में धरती के सभी मनुष्य , सभी पंथ प्राकृतिक पंथ ही थे। एक पैगम्बर वाला सबसे प्रथम और प्राचीन पंथ बुद्ध धर्म था। धीरे धीरे करके यहूदी, ईसाई, और इस्लाम , सिख, इत्यादि पैगम्बर-पंथ समय के साथ प्रकट होते चले गए।
     चंगेज़ खान के तीन और अनुज थे। चंगेज़ के मरने के बाद उसके दो भाइयों ने उसके राज्य को संभाला था। चंगेज़ का राज्य आज तक के इतिहास का सबसे विशाल राज्य है। पश्चिम में, जो की वर्तमान तुर्की, ईरान, इराक जैसे देश का क्षेत्र है, उसे हगलू खान ने संभाला। जबकि पूर्व में पहले मंगू खान ने, और उसके बाद चंगू खान ने संभाला था।
    हगलु खान के वंशज समय के साथ इस्लाम कबूल कर लिए, और वह मुस्लमान पंथ के अनुयायी हो गए।
   और चंगु खान ने अपनी एक नयी राजधनी बना कर उसमे बुद्ध धर्म अपना कर रहने लगा। उसने अपना नया नाम कुबलाई खान रखा और अपनी राजधानी का नाम खानबालिक रखा, जिसका कुछ कुछ अर्थ है राजनगर, यानी राजा के रहने का स्थान।
   खानबलिक ही आगे चल कर समय में पहले पीकिंग शहर बना, और फिर नाम बदल कर बीजिंग बन गया, जो की वर्तमान में चीन देश की राजधानी है। कुबलाई खान ने अपने देश, यानि वर्तमान काल का चीन, में अपने वंश की नीव डाली, जो की 'यिंग वंश' के नाम से इतिहासकारों में प्रसिद्द है।
   उधर हगलु खान के वंशजो में एक साधारण मंगोल सैनिक आगे जा कर मंगोल शासक बन गया। वह था तैमूर लंग(लंगड़ा)। उसके बाद उसके संतानों में एक बाबर का जन्म हुआ, जिसने आगे जा कर भारत पर भी कब्ज़ा किया।
    चंगेज़ खान ने अपने जीवन काल में भारत को बख्श दिया था, और हमला नहीं किया था। हालाँकि वर्तमान का कश्मीर क्षेत्र उसके राज्य का हिस्सा ज़रूर था।
    बाबर वह शख्स था जिसने अपने पूर्वज मंगोलों की कमी को पूरा कर दिया।
  हालाँकि तब तक समय के साथ "मंगोल" शब्द कुछ फारसी और अरबी उच्चारण को ग्रहण करके "मुग़ल" शब्द में तब्दील हो चूका था।
   आज अधिकांश भारतीय लोग "मंगोल" और "मुग़ल" शब्द के इस जोड़ को जानते तक नहीं है। और "खान" उपनाम से अर्थ निकलते है एक पठान (अफगानिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के कबीलाई) मुस्लमान पंथ का अनुयायी !! खान शब्द को पठान भाषा का बताते है, जबकि "खान" मंगोल भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है राजा या उसके वंश का सदस्य। उसका पंथ कुछ और भी हो सकता है, इस्लाम आवश्यक नहीं।
   
   यह सही है की चंगेज़ खुद एक सर्वधर्म अनुयायी ही था। अधिकांश करके प्राकृतिक धर्म के अनुयायी सर्वधर्म अनुयायी भी होते है। यह स्वाभाविक है क्योंकि जो सबको मानता है वह भेदभाव कैसे करेगा !!
   इसलिए मंगोलों का शासन सभी धर्मो को प्रसारित करता था, और बहोत पंथ-सहनशील माना जाता था। आगे चल कर अकबर बादशाह और अधिकांश "मुग़ल" सम्राटों में भी यही खूबी देखने को मिल।
   इतिहासकार मानते है की मंगोल और मुग़लों ने लंबे समय तक शासन इसलिये कायम कर सके क्योंकि वह पंथ सहनशील थे। बल्कि औरंगज़ेब के आते ही जैसे ही उनकी यह पंथ सहनशीलता नष्ट हुयी, मुग़ल साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया।
    इतिहासकारों की यह मान्यता हमारे देश में लोगों की व्यापक मान्यता के एकदम विपरीत है।
   बल्कि वर्तमान काल में भारत की चुनावी पार्टियां इससे सबक लेने की बजाये और अधिक कट्टरपंथी हुई जा रही है। क्योंकि शायद उन्होंने इतिहासकारों की राय को ठीक उल्टा पढ़ रखा है।

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