आत्म-पूजन मनोविकार क्या है ?

http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmedhealth/PMH0001930/

आत्म-पूजन मनोविकार (Narcissistic Personality disorder )  क्या है ?
आत्म-पूजन मनोविकार एक मासिक स्थिति है जब किसी व्यक्ति को अपने बारे में एक भ्रान्ति हो जाती की वह बहोत ही प्रभावशाली व्यक्ति है , या की जब कोई व्यक्ति स्वयं के सौदर्य , शारीरिक क्षमता , इत्यादि पर साधारण लागों की अपेक्षा अधिक व्यसनित होने लगता है / 

आत्म-पूजन मनोविकार के क्या कारक होते हैं ?
इसके कारक अभी अच्छे से ज्ञात नहीं हो सके हैं / मगर ऐसा मन जाता है की एक संवेदनशील व्यक्तिव , बचपन का पालन , आस पास का सामाजिक माहोल इस तरह के विकार को पैदा करने में योगदान देते हैं / 

 आत्म-पूजन मनोविकार के क्या लक्षण होते हैं ?
१) अपने विरुद्ध बोले गए व्यक्तव्य , आलोचना पर क्रोध, शर्मिदगी , या बेइज्ज़ती   से प्रतिक्रिया करना / 
२) अपने मकसद में दूसरे व्यक्ति का प्रयोग करना , किसी अन्य का उसकी जानकारी के बिना लाभ उठाना/ 
३) साधारण से कहीं अधिक स्वयं को महत्वपूर्ण व्यक्ति समझना / 
४) अपनी उपलब्धियों , योग्यताओं, कुशलताओं , प्रतिभायों का उचित माप दंड न रखना और सत्य से कहीं अधिक माप रखना / 
५) अक्सर कर के स्वयं के लिए साधारण विवेक में मान्य से कहीं अधिक "कुछ ख़ास " , " कुछ अलग " व्यवहार की अपेक्षा रखना /
६) स्वयं की पहुँच , ताकत , सौंदर्य , बुद्धिमानी , आदर्श इत्यादि पर अधिक चर्चा करना /
७) अगर कहीं स्वयं को महत्त्व या प्रशंसा न मिल रही हो तो वहां अच्छा न महसूस करना / 
८) दूसरे की भावनाओं को समझाने में अयोग्यता , सक्षमता का अभाव , और दूसरों के लिए दया-भाव की कमी / 
९) जुनूनित हद्दों में स्वहित , स्व-रुचिः रखना /
१०) दूसरों की हानि की कीमत पर भी अपने लाभ, हित को प्राप्त करने का प्रयास रखना / 

लक्षण और पहचान के परिक्षण :
अन्य सभी मनोरोगों की भाँती इस मनोविकार को भी एक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन परीक्षा , और लक्षणों की गंभीरता के द्वारा ही पहचाना जाता है / 

इसका इलाज़ क्या है ?
वाक्-मनोचिकित्सक के द्वारा बात-चीत में व्यवहार में बदलाव के लिए प्रेरित कर के ही इसका इलाज़ का प्रयास होता है / 

इलाज़ की सफलता रोगी में लक्षण की गंभीरता पर निर्भर करता है /

 आत्म-पूजन मनोविकार से क्या दिक्कतें हो सकती है ?
१) नशा या किसी अन्य किस्म का व्यसन 
२) रिश्ते , पारिवारिक संबंधों में तनाव , कार्य स्थल पर सह्कर्मोयों से विवाद /

नीचे दिए गए वेब लिंक पर किसी मनोवैज्ञानिक ने आत्म पूजन मनोविकार के  लक्षणों पर कुछ अस्पष्ट और विवाद पूर्ण लेख लिखा है / विवादपूर्ण और अस्पस्थ यह है की वह हर एक आदर्शवादी और हर उस व्यक्ति जो की अपने विवेक और आदर्शो में तल्लीन होता है, उसको  "आरोप" लगा रहे है को वह आत्म-पूजन मनोरोगी है , ऐसे की मानो आदर्शवादी और विवेक पूर्ण होना कोई गलत क्रिया है/ पाठक के मन में प्रश्न यह उठेगा ही की  लक्षणों में आदर्श वादी होने और विवेक पूर्ण होना जब माप दंड बन जाते हैं तो विवाद उठ सकता है की कितना विवेक-शील या आदर्शवादी  होने पर उसे मनोरोगी मान लिया जायेगा ?
http://psychcentral.com/blog/archives/2008/08/04/how-to-spot-a-narcissist/


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