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Showing posts from August, 2024

गहरी बातें क्या होती है

12th Fail फ़िल्म में DySP दुष्यंत सिंह मनोज को बोलता है कि अगर बड़ा अधिकारी बनना है तो cheating करना छोड़ दो। बात Self Honesty की करनी थी दुष्यंत सिंह को, मगर चूंकि मनोज अभी अंतर्मन से संबंधित गहरे विषयों और उनकी बातों से नावाकिफ था, तो उसी बात को हल्के शब्दों में ऐसे ही कह दिया गया, "cheating करना छोड़ दो"। अंतर्मन के गहरे विषय, जिन्हें किताबी पढ़ाई के तौर पर तो इंसान psychology, philosophy जैसे विषयों की किताबों से पढ़ सकता है, मगर ऐसा जरूरी नहीं है। गहरी बातों का साधु जनों, बड़े बुजुर्गों, तजुर्बेकार लोगो के साथ उठ बैठ कर भी सरीख पकड़े जा सकते हैं। आम आदमी , जो गहरी बातों से वाकिफ नहीं होता है, यदि उससे गहरे सवाल किया जाए कि वह कोई फिल्म क्यों पसंद करता है, कोई खाना क्यों पसंद करता है, कही जाना क्यों पसंद करता है, तब उसे जवाबो से पता चल जाता है कि वह अभी अपने ही मन की गहराइयों में उतरना नहीं सीखा है, और उसके जवाब वही छिछले से, चलन वाले निकलते है। मसलन , — " फलाना फिल्म इस लिए पसंद है क्योंकि सभी ने इसकी तारीफ करी है",  "फलाना खाना , (जैसे McDonalds बर्गर, या

Why do the poor people like, admire and observe the politics with so much enthusiasm

Politics, as seen in the newspaper, stands at the intersection of laws, governance, and realpolitik. Often, this is what poor people admire and look up to because it offers them a chance to reach it. The system of democracy allows them to make their way to this opportunity. They need not excel in the craft of public administration, policy-making, or discharging judicial functions. They only need to engage in some realpolitik, such as supporting certain seniors and betraying a few others at the opportune moment. That is enough to bring them the fruits of politics.

क्या वैज्ञानिक सम्बन्ध होता है खराब राजनीतिक माहौल और विभित्स rape प्रकरणों के बीच में

कोलकता रेप केस के बाद उठी सरगर्मी के दौरान एक यूट्यूब कार्यक्रम निर्माता बताते हैं कि रेप, विशेषतौर पर जघन्य रेप, जहां युवती कें शरीर पर बेहद दर्दनाक कारणों से उत्पन्न घावों के निशान पाए गए हों, या कि शरीर के संग कोई बेहद दर्दनाक सलूक किया गया हो, या कि एकं अधिक रेपिस्ट शामिल थे और बेहद क्रूर , बेरहमी से दुराचार हुआ हो, उसके पीछे के कारण सिर्फ तमाम रेपिस्ट के अंदर की क्रूरता तक शामिल नहीं रहता है । मनोविज्ञान के विशेषज्ञ बताते हैं कि इस तमाम घटनाक्रम के कारण के अलावा नए, अनजान और ठीक से नहीं पहचाने जाने वाले करने — सामाजिक और राजनैतिक परिवेश तक आते है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि ऐसे विभित्स रेप कांड प्रायः ऐसे देशों, प्रांतों, क्षेत्रों में अधिक होते है जहां पर कि प्रशासन में Due Process को पालन नहीं किए आने के आरोप गहन लगते रहते हैं। क्या संबंध होता है खराब प्रशासन व्यवस्था और विभित्स रेप कंडो के बीच में? शोधकर्ताओं ने इस पहली का उत्तर देने के लिए theory दी है कि जब प्रशासन में Due Process को पालन नहीं करने की प्रवृत्ति होती है, तब ऐसे प्रशासन अनजाने में एक सामाजिक संदेश भी भेजत

क्या था भारत की आज़ादी की लड़ाई का सच

 भारत की आजादी के बारे में एक बड़ा विचित्र अनकहा सत्य ये है कि जिन लोगों और जिन जातिय/सामुदायिक वर्गों ने तमाम आक्रमणकारियों से मिलीभगत करके देश को गुलाम बनवाया था, वही लोग अथवा वर्ग, जब सितम, शोषण झेलने को नहीं बना, तब विद्रोह कर गए, और इस विद्रोह को नाम दिया  आजादी की लड़ाई ! और आज ये ही वर्ग, जातियां उत्सव मनवाने का ढोंग करते है कि मानो इनका कोई  हाथ कभी था ही नहीं देश को गुलाम बनवाने में  !  यकीन मानिए, इन्होंने आजतक अपने कर्मों को कबूला नहीं किये है, बल्कि ये आजादी पर्व के पीछे से दुबारा सभी सच-से-अनजान देशवासियों को अपने शोषण का दास बनाना चाहते हैं। 

चल क्या रहा है भारत के प्रजातंत्र में

 गरीब, दरिद्र, शोषण को सहन करता रोज़मर्रा जीवन में प्रतिपाल, आम आदमी अपने जीवन की व्यथा का जब मुआयना करता है तब वह अपनी परिस्थिति का कारण ढूंढता है — शक्तिहीन होना। ऐसे हालातों में उसे शक्ति तक पहुंच सकने का सबसे सस्ता, आसान और तुरत मार्ग दिखाई पड़ता है — प्रजातंत्र व्यवस्था में चुनाव जीत कर। और इसकेलिए शैक्षिक क्षेत्र वाला परिश्रम भी नहीं लगता है ,जिसके लिए अतिरिक्त समय और धन संसाधन लगते हों।  प्रजातंत्र व्यवस्था में गरीब आदमी को शक्ति सत्ता तक की पहुंच देने वाला "मंत्रीपद", जहां तक जाने के लिए केवल वाकपटुता , दुस्साहस और सही व्यक्ति की चाटुकारी लगती है। ये वह असल कारण है भारत भूमि में कि लोगों को प्रजातंत्र क्यों चाहिए होता है। आज भारत में ऐसी नस्ल के मंत्री-नेता सर्वोच्च पदों तक विराजमान हो चुके हैं, जिनका उद्देश्य एक स्वस्थ समाज, सुशासन, नैतिक और आर्थिक उन्नति नहीं है उनको केवल Indicators प्राप्त करने है जनता को मुंह दिखाने भर को कि वह अच्छा शासन दे रहे है, वह नाकाबिल नहीं है। वीभत्स बलात्कार,आत्महत्या, भीषण दरिद्रता ऐसी वाली मंत्री-नेता गिरी का परिणाम है, क्योंकि असल

Wokism क्या है?

Wokism क्या है? संस्कृत भाषा में एक श्लोक है, — "अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेण रावणः । अतिदानाद्  बलिर्बद्धो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत् ।।" अर्थात — अत्यधिक  सुन्दरता के कारण सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारण रावण का अंत हुआ, अत्यधिक दान देने के कारण राजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए । English में कहा जाता है, Excess of everything is bad Wokism एक किस्म का excess होता है, तब जब समाज किसी जागृति को अतिरिक्त सीमाओं में जा कर करने लग जाता है। ऐसे में , कई सारे लोग जब अति से पीड़ित होने लगा जाते है, तब वह इस enlightenment यानी जागृति के प्रति प्रतिरोध में खड़े होने लगते है । वह enlightenment को अब woke बुलाने लग जाते हैं,   और खुद वह anti woke बन जाते हैं।

Critical Thinking और What If Analysis की कबलियात

Critical Thinking की प्रतिभा को बालको में प्रोत्साहन देने की बात तो सभी कोई करता है, मगर जमीन स्तर पर इसको कैसे विकसित करा जा सकता है बालको में, इस पर कोई विशेष मंथन नही हुआ है। Critical Thinking कोई नैसर्गिक प्रतिभा नही होती है, जो जन्मजात निकलती हो। ये जन्म उपरांत ही विकसित करी जा सकती है, और इसके आरंभिक बीज पर्यावरण से प्राप्त होते हैं।  ये केवल किताबो को पढ़ने से नही आती हैं। इसका मूल जन्मस्थान होता है, संवाद। आपसी संवाद। ये वो स्थान है जहां से critical thinking निकलती है। इसका अर्थ है कि जितनी चपलता और शालीनता किसी भी बालक को उसके मित्रमंडली में मिलेगी, तमाम तरह के संवाद करने के लिए, उतना ही वह बेहतर तरीके से मंथन करने की प्रतिभा को अपने भीतर बीज बो सकेगा। इसका अर्थ ये भी है कि महज आज्ञाकारी हो जाना , और नीत दिन बैग उठा कर स्कूल जाने से कोई बालक एक बेहतर critical thinking नही विकसित कर सकता है अपने भीतर में। और न ही दुनिया भर की किताबो को पढ़ने से ये प्रतिभा प्राप्त करो जा सकती है। तो इसका अर्थ हुआ कि critical thinking केवल संवाद यानी बेहतरीन आपसी चर्चा और बातचीत कर