उन्नत मुखी होने का क्या अर्थ होता है?
उन्नत मुखी बनने के प्रत्येक युग में अलग अलग अर्थ होते हैं। उन्नत मुखी बने रहना इंसान की जिंदगी का सबसे बड़ा challenge होता है। और कौन रोक रहा होता है इंसान को उन्नत मुखी, यानी progressive होने से? इंसान को progressive होने से रीत रिवाज, प्रथाएं रोक रही होती है। प्रत्येक युग में उन्नत मुखी होने के अलग अलग मानक रहे हैं। मगर इन सभी के बीच में एक विचार सर्व विदित था — कि, सभी को किसी तत्कालीन विचार से, या व्यवस्था से, या प्रथा से संघर्ष करके, उसे तोड़ कर आगे आना पड़ा है। ये जितनी भी चीज है– प्रथा, व्यवस्था, विचर, ये सब के सब समाज के माध्यम से कार्य करती हैं।समाज सभी इंसानों से बने समूह को बुलाया जाता है, जब इन सभी को एक इकाई की तरह देखा, सुना और बात करी जा रही होती है। जाहिर है, ऐसे में समाज का अभिप्राय बन जाता है, बहुमत आबादी का मन। यानी , majority की बात, उसके दर्शन, उसकी सहमति, इत्यादि से। तो समाज इंसान को हमेशा रोकने का कार्य करता है। ध्यान रहे कि समाज ऐसा करने में गलत नहीं होता है, क्योंकि वह सही मंशा से, इंसान को किसी संभावित गलत, किसी खतरे, किसी अनजान मुश्किल में पड़ने से रोकने के ल...